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10 माह बाद रेस्टोरेंट में रौनक और चाट बाजार गुलजार

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सीकर. कोरोना केस जैसे-जैसे कम हो रहे हैं, रेस्टोरेंट और शहर के चाट बाजारों में रौनक लौट रही हैं। नाइट कफ्र्यू हटते ही शहर में फिर लोग जायके का लुत्फ उठाने लगे हैं। शहर में पिछले 10 महीने से कोरोनाकाल में रेस्टोरेंट और ठेले वालों का व्यवसाय प्रभावित हुआ। पहले जहां लॉकडाउन में पूरी तरह से बाजार बंद थे। वहीं, लॉकडाउन खुलने के बाद रात्रिकालीन कफ्र्यू से भी व्यापार पर पाबंदी लगा दी। शाम पांच बजे जब रेस्टोरेंट खुलते और लोगों का आने का समय होता, उसी समय कफ्र्यू लग जाता। ऐसे में रेस्टोरेंट और ठेले वालों का व्यापार प्रभावित हो गया। 10 माह बाद नए साल में अब फिर से व्यापार पटरी पर आ गया है। राजधानी के चार हजार रेस्टोरेंट और 50 हजार ठेलों पर खान-पान शुरू हो गया है। ठेले वालों को लेना पड़ा लोनकोरोनाकाल में व्यापार बंद हो जाने के बाद करीब 2 हजार ठेला संचालन बेरोजगार हो गए। ऐसे में केन्द्र की ओर से शुरू की गई योजना में शहर में कई ठेला संचालकों ने लोन के लिए आवेदन किया है। लेकिन बैंकों की जटिल प्रक्रिया के चलते कुछ को ही लोन मिला है। समय की पाबंदी हटी तो रोजगार मिलासर्दी के समय पर कई खाद्य पदार्थों की बिक्री शाम के समय में ही रहती है। रेवड़ी, मूंगफली, गजक सहित अन्य खाद्य पदार्थों के थड़ी-ठेले वाले नाइट कफ्र्यू के कारण रोजगार नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में ठेले वाले बेरोजगार थे। लेकिन अब समय की पाबंदी हटते ही इन्होंने रोजगार शुरू कर दिया है।ऑनलाइन मार्केट बढ़ाकोरोनाकाल के बाद ऑनलाइन मार्केट तेजी से बढ़ा है। लोग कफ्र्यू के कारण घरों पर ही खाने-पीने के चीजें मंगवा रहे थे। इस दौरान करीब 60 फीसदी ऑनलाइन बिक्री बढ़ गई। कोरोनाकाल से पहले यह महज 35 ही थी। लेकिन सुरक्षा के लिहाज से शहर में कई जगह अभी भी ऑनलाइन डिलेवरी कराई जा रही हैं। कोरोनाकाल में पहली बार पिछले कुछ दिनों से रेस्टोरेंट्स में रौनक आने लगी है। समय की पाबंदी हटने का भी असर व्यापार पर पड़ा है। लेकिन पूरी अहतियात बरती जा रही है। गाइड लाइन की पालना के साथ लोगों को बिठाया जा रहा है।परदेश से लौटेकोरोनाकाल के दौरान व्यापार ठप होने पर अपने अपने घरों को गए लोग अब लौट आए हैं। सीकर में ज्यादा बिहार, उत्तरप्रदेश के लोग यहां आकर छोटा मोटा व्यापार करते हैं। ये लोग लॉकडाउन में चले गए थे। अब लौटकर अपने व्यापार को संभाला है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भरी हुंकारसीकर. अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के बैनरतले आंगनबाड़ी महिला कार्मिकों ने शुक्रवार को कलक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन कर आक्रोश जताया। मानदेय कर्मचारियों ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के समय मानदेय कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था। लेकिन सरकार दो साल बाद भी अपने वादे पर खरी नहीं उतर सकी है। जिलाध्यक्ष चन्द्रावती दुल्लड़ ने बताया कि कार्यकर्ता, सहयोगनी व साथिन को काफी कम न्यूनतम मानेदय दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में मानदेय कर्मचारियों ने सभी मोर्चे पर चिकित्सा विभाग का पूरा साथ दिया। इसके बाद भी योजनाओं का लाभ नहीं दिया गया। प्रदर्शन के बाद कार्यकर्ताओं ने अपर जिला कलक्टर धारा सिंह मीणा को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कार्यकर्ताओं ने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ देने, प्रचेता के रिक्त पद भरने व पदोन्नति देने सहित अन्य मांग की है। इस मौके पर अनिता, उर्मिला, प्रियंका, विपिन शर्मा, रेशवा व सुदंरी सहित अन्य मौजूद रही।

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