सीकर। इसे डेंगू पीडि़तों का दुर्भाग्य कहें या चिकित्सा विभाग की अनदेखी। डब्ल्यूएचओ व केन्द्र सरकार ने डेंगू रोग की पुष्टि के लिए जिस रेपिड टेस्ट कार्ड को अमान्य कर रखा है उसी से चिकित्सा विभाग रोगियों की वर्षों से जांच करवा रहा है। खास बात ये है कि रेपिट टेस्ट कार्ड से एड़स, गर्भवती, मलेरिया, वीडीआरएल जैसी जांच के परिणाम मान लेता है लेकिन जब डेंगू की बात आती है तो विभाग इससे सिरे से नकार देता है। हाल ये है कि चिकित्सा विभाग सरकारी अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी में प्रतिवर्ष लाखों रुपए के रेपिड टेस्ट कार्ड को बंटवा कर लाखों रुपए खर्च कर रहा है।
ये है कारण डेंगू रोग के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने रेपिड कार्ड टेस्ट को ही अमान्य कर दिया। पहले भी जब मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता था तो चिकित्सा विभाग कार्ड टेस्ट को अमान्य कर देता था। चिकित्सकों के अनुसार जब कार्ड के जरिए टेस्ट अमान्य है तो फिर अस्पतालों में कार्डों के जरिए जांच क्यों की जाती है। अस्पतालों व एलाइजा जांच की सुविधा ही नहीं होने से कार्ड की रिपोर्ट के आधार पर ही उपचार किया जाता है।
मौसम हुआ अनुकूलडेंगू रोग टाइगर मच्छर के कारण फैलता है। इसके लार्वा के पनपने के लिए आदर्श तापमान 25 से तीस डिग्री तक अनुकूल माना जाता है। पिछले एक सप्ताह से तापमान में आ रही लगातार गिरावट के कारण मौसम अनुकूल हो गया है। आश्चर्य की बात ये है कि विभाग ने ग्रामीण के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी पानी भरने के स्रोतों पर छिडक़ाव नहीं किया है।
स्क्रीनिंग है कार्ड टेस्ट यह सही है रेपिड कार्ड टेस्ट के जरिए डेंगू रोग की पुष्टि नहीं की जा सकती है। केन्द्र सरकार व डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार एलाइजा ही डेंगू की पुष्टि करती है। एलाइजा जांच की एक मशीन कल्याण अस्पताल में लगी हुई है। रेपिड कार्ड के जरिए जुकाम-बुखार के रोगियों की स्क्रीनिंग की जाती है। इसके बाद ही एलाइजा जांच होती है। डा अशोक चौधरी, पीएमओ एसके अस्पताल सीकर
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