सीकर.
वरूण करे छिडक़ाव, पवन दे झाडू भय से.. कुचल दिए हैं पकड़ विरोध कीडे ऐसे….रावण के दंभ में चूर ऐसे ही संवादों के साथ सांस्कृतिक मंडल की ओर से 67 वीं रामलीला रविवार को शुरू हुई। पहले दिन भगवान विष्णु के राम अवतार का कारण बने नारद मोह और विश्व मोहनी की रोचक लीला हुई। वहीं, रावण के जन्म और उसके आतंक के बीच ध्यानमग्न भगवान शंकर के कैलाश पर्वत पर ताकत के घमंड से सने रावण से नंदी का तीखा संवाद दिखाया गया। आततायी रावण के अत्याचारों से तंग आकर आखिरकार पृथ्वी गाय के रूप में देवताओं के साथ क्षीर सागर पहुंची। जहां शेष शैय्या पर विराजे भगवान विष्णु से सभी ने हाथ जोडकऱ रावण से रक्षा की प्रार्थना की। जिसे सुन भक्त वत्सल भगवान ने भी देवताओं की पीड़ा व पृथ्वी का भार हरने का आश्वासन देते हुए कहा ‘राम बन दशरथ भवन में शीघ्र ही प्रगटूंगा मैं, आपके सुख के लिए रावण का अंत करूंगा मैं..’! दर्शकों की तालियों के बीच यहीं पहले दिन की रामलीला पूरी हुई। मंडल के मंत्री जानकीप्रसाद इंदौरिया ने बताया कि यह रामलीला 66 साल हो रही है। इस बार यह 67 वीं रामलीला का आयोजन है। रामलीला में सोमवार को रामलला का जन्म और उसके उत्सव का मंचन किया जाएगा।सांसद ने किया उद्घाटनमंचन से पहले रामलीला का विधिवत उद्घाटन हुआ। लोहार्गल पीठाधीश अवधेशाचार्य महाराज के सानिध्य में सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने रामलीला का आगाज किया। कार्यक्रम में विधायक राजेन्द्र पारीक, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया, पूर्व विधायक रतन जलधारी, राजकुमारी शर्मा, कलक्टर यज्ञ मित्र सिंह देव, सभापति जीवन खां, पूर्व जिला प्रमुख रीटा सिंह अतिथि रहे। इस दौरान पूर्व उप सभापति शिवदयाल योगी, पार्षद सजाउदीन चौहान सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
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