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मुज़फ्फरनगर में किसानों की महापंचायत में राकेश टिकैत की हुंकार

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किसान महापंचायत में पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा, देश को बचाना है. बनारस जाने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि बनारस भी जाएंगे. राकेश टिकैत ने कहा कि जो सरकार हमारे खिलाफ काम करेगी हम उसके खिलाफ काम करेंगे. राजनैतिक पार्टियों के बैनर पोस्टर लगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यहां वो स्टेज पर नहीं आए. जबकि ये (बीजेपी) विपक्ष में थे तो मंच पर आकर बैठते थे और कहते थे ये सरकार बहुत खराब है. आप इनके हटवाओ हम सारे काम करेंगे. हमने सरकार हटवा दी और ये घर जाकर बैठ गए.
राकेश टिकैत ने न सिर्फ खेती-किसानी बल्कि निजीकरण, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन का आह्वान किया. टिकैत ने कहा कि अड़ियल सरकार को झुकाने के लिए वोट की चोट जरूरी है. टिकैत ने कहा, देश बचेगा, तभी संविधान बचेगा. सरकार ने रेल, तेल और हवाई अड्डे बेच दिए हैं. किसने सरकार को ये हक दिया. ये बिजली बेचेंगे और प्राइवेट करेंगे. सड़क बेचेंगे और सड़क पर चलने पर हमलोगों से टैक्स भी वसूलेंगे.
टिकैत ने कहा, भारत बिकाऊ है, यानी सेल फॉर इंडिया का बोर्ड देश में लग चुका है. एलआईसी, बैंक सब बिक रहे हैं. इनके खरीदार अडाणी, अंबानी हैं. एफसीआई की जमीन, गोदाम अडाणी को दिए गए हैं. समुद्र तटों के सैकड़ों किलोमीटर तक बंदरगाह बेच दिए गए हैं, मछुआरे इससे परेशान हैं. ऐसे में सभी बड़े मुद्दों को साथ लाकर देश को बचाना है. किसान नेता ने कहा, ये पानी बेच रहे हैं, नदियां निजी कंपनियों को बेची जा रही हैं. देश का संविधान भी खतरे में है, उसको भी बचाना है.
उन्होंने कहा खेती-किसानी जब बिकने की कगार पर आया तो किसान जागा. आपका बैंक कर्ज चुका दो तो और दोगुना कर्जा दे देगा. 9 महीने से हम आंदोलन कर रहे हैं और पूरा संयुक्त किसान मोर्चा डटा रहेगा. जब देश के किसान, नौजवान की जीत होगी, तभी हम अपने घर और गांव जाएंगे. टिकैत ने कहा, जब तक किसानों का मुद्दा हल नहीं हो जाता, तब तक मैं मुज़फ़्फ़रनगर की धरती पर पैर नहीं रखूँगा. मैं सीधे यहीं आया और वापस ग़ाज़ीपुर बार्डर चला जाऊंगा. उन्होंने कहा कि 12000 करोड़ से ज़्यादा हमारा गन्ने का भुगतान बाकी है. हम जिस जमीन से आए हैं, ये गन्ने का बेल्ट हैं. जब किसानों के लिए काम करने वाली सरकार आएगी तो 450 रुपये प्रति क्विटल गन्ने का भाव देगी.
टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार की योजना से रेलवे के 4.5 लाख कर्मचारी बेरोज़गार होंगे. सरकार ने रेलवे को प्राइवेट कर दिया है. कई ट्रेनें और स्टेशन बेच दिए हैं.राकेश टिकैत ने फिर दोहराया, हम MSP की क़ानूनी गारंटी चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को वोट की चोट देनी पड़ेगी. ये बीजेपी के लोग यूपी दंगा कराने वाले लोग हैं लेकिन हम उत्तर प्रदेश में ये नहीं होने देंगे. टिकैत ने कहा कि हम ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर मोर्चा नहीं छोड़ेंगे, चाहे मर क्यों न जाएं. टिकैत ने महापंचायत में अल्लाह हू अकबर और हर हर महादेव के नारे भी लगवाए.
उन्होंने कहा कि बाबा (महेंद्र सिंह टिकैत) की रैलियों में ये नारे लगते थे. हमें हिंदू मुसलमान के बीच बंटना नहीं है. उनके बड़े भाई नरेश टिकैत ने बीजेपी पर 2013 में धोखा देने का आरोप लगाया और कहा कि पश्चिमी यूपी में हिंदू मुसलमान दंगे बीजेपी ने कराए थे पर हम अब एक हैं. पूरे देश में प्रचार करेंगे. ये मुज़फ़्फ़रनगर मोहब्बत का शहर है. सब हिंदू मुसलमान एक हैं और हम अब नहीं बंटेंगे. उन्होंने कहा कि यहां मुज़फ़्फ़रनगर में एक इशारा काफ़ी है, जिसको चाहें जिता दें, जिसको चाहें हरा दें.
राकेश टिकैत ने केंद्र को दो टूक कहा, किसान आंदोलन तब तक चलेगा जब तक भारत सरकार चलवाएगी. जब तक वे बात नहीं मानेंगे आंदोलन चलता रहेगा. जब सरकार बातचीत करेगी तो हम करेंगे. देश में आज़ादी की लड़ाई 90 साल तक चली, यह आंदोलन कितने साल चलेगा हमें तो जानकारी नहीं है.
मेधा पाटेकर ने कहा कि मोदी सरकार ने जिस तरह नोटबंदी कर किसानों और मजदूरों पर चोट की थी, उसी तरह किसान अब बीजेपी के खिलाफ वोटबंदी करेगा. उन्होंने कहा कि 27 सितंबर को भारत बंद होगा. मजदूर, किसान, महिलाएं और हर वर्ग इसमें बढ़चढ़ कर शिरकत करेगा. पाटेकर ने कहा, सिर्फ कुछ पूंजीपतियों के लिए सारे फैसले लिए जा रहे हैं लेकिन कृषि कानूनों का फैसला जन संसद में होगा, जनता तय करेगी.
बतादे कि केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में रविवार की सुबह विभिन्न राज्यों के किसान मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में होने वाली किसान महापंचायत के लिए बड़ी संख्या में एकत्र हुए. अगले वर्ष की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस आयोजन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ‘किसान महापंचायत’ का आयोजन संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किया जा रहा है.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक के अनुसार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे विभिन्न राज्यों में फैले 300 किसान संगठनों के किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे हैं, जहां 5,000 से अधिक लंगर (भोजन स्टाल) लगाए गए हैं.
संगठनों के झंडे और अलग-अलग रंग की टोपी पहने किसान बसों, कारों और ट्रैक्टरों के जरिए यहां पहुंचते देखे गए. आयोजन स्थल के आसपास कई चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं. जीआईसी कॉलेज के मैदान तक पहुंचने में असमर्थ लोगों को कार्यक्रम देखने की सुविधा प्रदान करने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई हैं.
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