- Advertisement -
HomeNewsRakesh Tikait की बेटी और बहू ने भी बुलंद की आवाज़

Rakesh Tikait की बेटी और बहू ने भी बुलंद की आवाज़

- Advertisement -

लंबे वक्त से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) मानो इस किसान आंदोलन का चेहरा बन गए हैं. टिकैत का परिवार उनसे मिलने धरना स्थल आता रहता है.
राकेश टिकैत की बहू निकिता चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भले ही वे घर पर हों लेकिन आंदोलन का हिस्सा वे भी हैं और अक्सर धरना स्थल पर राकेश टिकैत से मिलने आती रहती हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी की भी बहुत जरूरत है.
निकिता चौधरी ने कहा कि कृषि कानूनों से आने वाले समय में जो दिक्कतें होंगी उससे बेहतर है कि अभी आंदोलन को जारी रखा जाए. राकेश टिकैत की बेटी ने बातचीत में कहा कि जिन्हें लगता है कि किसानों को कृषि कानूनों की जानकारी नहीं है उनकी समझ सही नहीं है. टिकैत की बेटी गिनाने लगीं कि कृषि कानूनों से किसानों को क्या क्या नुकसान होगा.
बता दें कि किसानों द्वारा जंतर मंतर पर आयोजित ‘किसान संसद’ में गुरुवार को तीन कृषि कानूनों में से एक पर चर्चा की गयी और ‘असंवैधानिक’ बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की गयी. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में कहा कि किसान संसद के छठे दिन किसानों ने कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून को निरस्त करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया.
कृषि कानूनों के खिलाफ 40 से ज्यादा यूनियन एसकेएम के नेतृत्व में पिछले आठ महीने से आंदोलन कर रही हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह कानून ‘‘असंवैधानिक और कॉरपोरेट समर्थक’’ है. ‘किसान संसद’ ने कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 को असंवैधानिक, किसान विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक बताते हुए खारिज कर दिया.
‘संसद’ के दौरान किसानों ने बताया कि कैसे कानून, विभिन्न धाराओं के तहत कॉरपोरेट को कानूनों के नियामक दायरे से छूट देता है, जबकि यह अनुबंध खेती में करने वाले किसानों को कोई सुरक्षात्मक प्रावधान प्रदान नहीं करता है. संसद के मॉनसून सत्र के समानांतर ‘किसान संसद’ का आयोजन किया जा रहा है. किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
‘किसान संसद’ में हिस्सा लेने के लिए जंतर मंतर पर हर दिन 200 किसान एकत्र होते हैं. एसकेएम ने कहा ‘किसान संसद’ ने भी संकल्प लिया और भारत के राष्ट्रपति से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि ‘‘संसद की सर्वोच्चता बरकरार रहे.’’ बयान में कहा गया, ‘‘नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अपने कार्यकाल के दौरान नियमों और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार संसद की कार्यवाही का संचालन करने में बुरी तरह विफल रही है.’’
The post Rakesh Tikait की बेटी और बहू ने भी बुलंद की आवाज़ appeared first on THOUGHT OF NATION.

- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -