प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से यह ऐलान किया गया है कि सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि बिल वापस लिए जाएंगे. बता दें कि किसान लंबे समय से मोदी सरकार से मांग कर रहे थे कि यह बिल किसानों के हित में नहीं है इसे वापस लिया जाए. मोदी सरकार का अड़ियल रवैया जारी था.
मोदी सरकार के बड़े-बड़े मंत्री आंदोलनकारी किसानों के बारे में असभ्य भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे, उन्हें नक़ली किसान बता रहे थे. उनका कहना था कि देश का असली किसान मोदी सरकार के साथ है और यह कानून किसानों के हित में है. लेकिन किसानों की मांगों के सामने मोदी सरकार को घुटने टेकने पड़े.
अपने कानूनों के समर्थन में मोदी सरकार का तर्क बिल्कुल भी नहीं चला और किसानों का संघर्ष कामयाब हुआ. लगभग 700 किसानों की शहादत के बाद मोदी सरकार ने यह कानून वापस लिया और वह भी इसलिए लिया है ताकि उत्तर प्रदेश के अंदर बड़ी हार से बचा जा सके या फिर जीत हासिल की जा सके.
उत्तर प्रदेश में फीडबैक मोदी सरकार को ठीक नहीं मिल रहा था तीनों कृषि कानूनों के विरोध के बाद. अब जबकि मोदी सरकार ने किसानों के सामने घुटने टेकते हुए कानून वापस ले लिए हैं, इसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने बड़ा ऐलान किया है.
किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें.
आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा ।
सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें : @RakeshTikaitBKU#FarmersProtest
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) November 19, 2021
आपको बता दें कि राकेश टिकैत ने ऐलान किया था कि जब तक मोदी सरकार इन काले कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक वह आंदोलन खत्म नहीं करेंगे, अगर इसमें अगले लोकसभा चुनाव का वक्त लगता है तो वह अगले लोकसभा चुनाव तक आंदोलन करने के लिए तैयार हैं. बता दें कि किसान मोदी सरकार के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं थे. किसानों ने कानूनों को वापस लेने के लिए मोदी सरकार पर दबाव बनाने के साथ-साथ भारी संघर्ष किया है जो पूरे देश ने देखा है.
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