भीलवाड़ा।MGH MCHमहात्मा गांधी चिकित्सालय परिसर स्थित मातृ एवं शिशु चिकित्सालय इकाई (एमसीएच या जनाना) के निर्माण को लेकर अस्पताल प्रशासन ने ही सवाल उठाने शुरू कर दिए। दो साल पहले करीब १६ करोड़ की लागत से बने जनाना अस्पताल भवन नक्शे को गलत बताया जा रहा है। स्टाफ भी विरोध में है। जनाना अस्पताल में पांच वार्ड है लेकिन इतना स्टाफ नहीं है कि अलग से लगाया जा सके। लिहाजा मरीज व स्टाफ में झगड़े आम बात है। शुक्रवार के झगड़े के बाद स्टाफ की बैठक में भी यह मुद्दा उठा।
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MGH MCH प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण गौड़ की अध्यक्षता में बैठक में निर्णय लिया कि गंभीर रोगियों के लिए सोमवार से १५ बैड का पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड शुरू करेंगे। इसके लिए अलग स्टाफ होगा। स्टाफ को हिदायत दी है कि व्यवहार सुधारें। गौड़ ने बताया कि जनाना अस्पताल की छत पर ५० बैड का बडे हॉल बनाना जरूरी है। इसके लिए जिला कलक्टर से चर्चा करेंगे। इससे कम स्टाफ में भी बेहतर सेवा मिल सकेगी।
७० बैड स्वीकृत, लगाए १२५जनाना अस्पताल में ७० बैड की मंजूरी है लेकिन मरीजों की ज्यादा तादाद देख १२५ बैड लगे हैं। यहां औसतन ५० डिलेवरी होती है। इनमें १५ से २० सिजेरियन होती है। वार्ड छोटे-छोटे होने से मरीजों की देखभाल में दिक्कत आती है।
गुणवत्ता पर भी सवालदो साल पहले बने भवन की छत का प्लास्तर बारिश से गिरने लगा। १६ करोड़ का भवन दो साल में जवाब देने लगा। पीएमओ गौड ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के इंजीनियर को तलब किया था।
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