नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, उन्होंने कहा है कि वे कांग्रेस में बने रहेंगे. सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे खत में कहा कि वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने रहेंगे. 23 जुलाई को उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था.
अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा, इंसान का पतन समझौते से होता है. मैं कांग्रेस के भविष्य और पंजाब की भलाई के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकता. इसलिए मैं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं. पार्टी के लिए काम करता रहूंगा.
पंजाब में आज नए मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हुआ है और इसके चंद घंटे बाद ही सिद्धू ने सोनिया गांधी को इस्तीफा भेज दिया. इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण वजह हैं. सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की वजह सिद्धू की नाराजगी है.
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— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 28, 2021
गौरतलब है कि हाल ही के कुछ दिनों में नवजोत सिंह सिद्धू की मंज़ूरी से हुई गतिविधियों के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटाकर दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब की गद्दी सौंपी गई थी. सिद्धू ने अपने इस्तीफे की वजह नहीं बताई है, लेकिन माना जा रहा है कि वे CM न बनाए जाने से नाराज चल रहे थे.
इसके बाद मंत्री पद और मंत्रालयों के बंटवारे में भी सिद्धू की नहीं चली. मंगलवार को मंत्रालय बांटे गए, सिद्धू के विरोध के बावजूद गृह विभाग सुखजिंदर रंधावा को दे दिया गया. इसके बाद दोपहर में ही सिद्धू का इस्तीफा सामने आ गया. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने नवजोत सिद्धू के इस्तीफे के संबंध में कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है.
चन्नी ने कहा कि उन्हें नवजोत सिद्धू पर पूरा भरोसा है. अगर मुझसे या किसी और से नाराजगी है, तो उसे मिलकर सेटल कर लिया जाएगा. इधर, सिद्धू के मीडिया एडवाइजर सुरिंदर डल्ला ने कहा कि नवजोत सिद्धू सैद्धांतिक राजनीति कर रहे हैं. नई सरकार ने कांग्रेस हाईकमान के नए 18 सूत्रीय फार्मूले पर कोई काम नहीं किया. पिछले 5 दिनों में नई सरकार में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला.
नवजोत सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर को कुर्सी से हटाने के लिए पूरा जोर लगाया। माना गया कि पर्दे के पीछे रहकर सिद्धू ने पूरा खेल खेला. कैप्टन के बाद सिद्धू चाहते थे कि वो कैप्टन की जगह मुख्यमंत्री बनें. हालांकि हाईकमान की पसंद सुनील जाखड़ को बनाना चाहते थे. इसलिए सिद्धू पीछे हट गए. इसके बाद कुछ विधायकों ने सिख स्टेट-सिख सीएम का मुद्दा उठाया. जिसके बाद सुखजिंदर रंधावा का नाम चलने लगा.
यह देख सिद्धू ने कहा कि अगर जट्ट सिख को सीएम बनाना है तो फिर उन्हें बनाया जाए. कांग्रेस हाईकमान इसके लिए राजी नहीं हुआ तो वो गुस्से में पर्यवेक्षकों और पंजाब इंचार्ज हरीश रावत वाले होटल से चले गए. यहां तक कि उन्होंने मोबाइल भी स्विच ऑफ कर लिया. इसके बाद रंधावा की जगह चरणजीत चन्नी सीएम बन गए. माना जा रहा है कि चन्नी सरकार में सिद्धू 4 चेहरों के विरोध में थे.
सिद्धू का तर्क था कि उन पर पहले ही दाग लगे हुए हैं, इसलिए उन्हें शामिल नहीं किया जाए. इसके बावजूद उनका विरोध दरकिनार हो गया. सिद्धू ने एडवोकेट डीएस पटवालिया को पंजाब का नया एडवोकेट जनरल बनाने की सिफारिश की. इसके बावजूद अब एपीएस देयोल पंजाब के नए एजी बन गए हैं. सिद्धू डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा को गृह विभाग देने के पक्ष में नहीं थे. वो चाहते थे कि CM चरणजीत चन्नी इसे अपने पास रखें. इसके बावजूद सिद्धू की नहीं सुनी गई. होम मिनिस्ट्री रंधावा को दे दी गई.
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