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सिर्फ एक फैसले से उत्तर प्रदेश में राजनीतक भूचाल

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पंजाब के मुख्यमंत्री की शपथ लिए कुछ ही मिनट हुए थे कि बहुजन समाज पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती मीडिया से चर्चा से लिए आईं. मायावती ने अपनी बात की शुरुआत तो की चन्नी को बधाई देकर की लेकिन अगले ही मिनट पर उन्होंने कांग्रेस पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए.
मायावती ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने को कांग्रेस का ‘चुनावी हथकंडा’ बताया. इस फ़ैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी कह चुकी है कि दलित कांग्रेस के लिए ‘राजनीतिक मोहरा’ हैं. मायावती ने कहा, ये बेहतर होता कि कांग्रेस पार्टी इनको पहले ही पूरे पांच साल के लिए पंजाब का मुख्यमंत्री बना देती. किंतु कुछ ही समय के लिए इनको पंजाब का मुख्यमंत्री बनाना, इससे तो ये लगता है कि ये इनका कोरा चुनावी हथकंडा है. इसके सिवा कुछ नहीं है.
मायावती ने क्या कहा?
उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती दलित समुदाय से ही आती हैं और उनकी गिनती देश के सबसे बड़े दलित नेताओं में होती रही है. मायावती की बहुजन समाज पार्टी की नज़र पंजाब के दलित वोट बैंक पर भी है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मायावती की बीएसपी ने पंजाब में अकाली दल के साथ गठजोड़ किया है. मायावती ने दावा किया कि कांग्रेस ने चन्नी को मुख्यमंत्री बीएसपी और अकाली दल के गठजोड़ से चिंतित होकर बनाया है.
उन्होंने कहा, ये भी स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी यहां अकाली दल और बीएसपी के गठबंधन से काफी ज़्यादा घबराई हुई है. मुझे पूरा भरोसा है कि पंजाब के दलित वर्ग के लोग भी इनके हथकंडे के बहकावे में कतई नहीं आने वाले हैं. पंजाब में अकाली-बीएसपी गठजोड़ की कामयाबी के लिए दलित वोटों को ही सबसे अहम माना जा रहा है.
लेकिन, मायावती की पार्टी का असल दांव उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगा होगा, जहां बीते करीब तीन दशक से दलितों का सबसे ज़्यादा वोट उनकी पार्टी बीएसपी को हासिल होता रहा है. इस बार प्रबुद्ध (ब्राह्मण) सम्मेलन के जरिए बीएसपी ब्राह्मण और दलित वोट बैंक को साथ लाने का वो ही फॉर्मूला आजमाने की कोशिश में है, जिसने साल 2007 में मायावती की पार्टी को पहली बार अकेले दम पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुमत दिलाया था.
किसी वक़्त यही समीकरण कांग्रेस के लिए सत्ता का रास्ता तैयार करता था. इस बार भी प्रियंका गांधी को आगे करते हुए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पुराने फार्मूले को आजमाने की कोशिश में है. प्रियंका गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी ये समीकरण साधने की कोशिश की थी. भीम आर्मी के चंद्रशेखर आज़ाद रावण से उनकी मुलाक़ात को इसी कोशिश का हिस्सा माना गया था. हालांकि, तब कांग्रेस कोई कमाल कर दिखाने में कामयाब नहीं रही थी.
उत्तर प्रदेश में विरोधी दल कांग्रेस को अब तक गंभीरता से नहीं ले रहे थे. लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब सरकार का मुखिया बनाकर कांग्रेस ने दोनों प्रदेशों (पंजाब और उत्तर प्रदेश) में राजनीतिक बहस को नई दिशा देने की कोशिश की है. जानकारों की राय में आंतरिक गुटबाजी के बाद भी कांग्रेस फ़िलहाल पंजाब में सबसे बड़ी ताक़त के तौर पर देखी जा रही है.
अगर चन्नी के हिस्से थोड़ी भी कामयाबी आई तो वो दलित चेहरे के तौर पर दूसरे राज्यों में भी पार्टी का ग्राफ ऊंचा कर सकते हैं और जिस तरह कांग्रेस नेता रविवार शाम के बाद से कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू से ज़्यादा चर्चा चरणजीत सिंह चन्नी और उनके दलित समुदाय से जुड़े होने की कर रहे हैं, उससे यही संकेत मिल रहा है. हालांकि, विरोधी दलों के नेता इन संकेतों से आगे भी देख रहे हैं और कांग्रेस की दुखती रग दबाने की कोशिश में हैं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए. जिनमें केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकारों के ‘दलितों के हित’ में किए काम गिनाए. योगी आदित्यनाथ रविवार को वाराणसी में बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए थे.
रविवार को ही इसका वीडियो भी ट्विटर पर पोस्ट किया गया था. लेकिन सोमवार को जिस वक़्त चन्नी शपथ ले रहे थे, योगी आदित्यनाथ ने लगभग तभी ट्विटर पर कई ट्वीट किए. हालांकि इनमें चन्नी, पंजाब या कांग्रेस का कोई ज़िक्र नहीं था. लेकिन बीजेपी आईटी सेल के राष्ट्रीय प्रभावी अमित मालवीय ने चन्नी के चयन का ज़िक्र करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा.

काशी के डोम राजा को पहले की सरकारों ने सम्मान नहीं दिया, लेकिन आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 20, 2021

पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री
चन्नी दलित समुदाय से आते हैं. कांग्रेस नेताओं के मुताबिक उनका दलित होना, मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए बड़ी वजह साबित हुआ. पंजाब में अगले साल की शुरुआत में चुनाव में होने हैं. ऐसे में चन्नी का मौजूदा कार्यकाल कुछ ही महीनों का रहेगा. लेकिन फिर भी वो एक इतिहास बनाने में कामयाब रहे हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया तब जिन कांग्रेस नेताओं के नाम भावी मुख्यमंत्री के तौर पर चर्चा में थे, उनमें चन्नी का नाम शामिल नहीं था.
रविवार दोपहर तक उनके नेता चुने जाने को लेकर कोई चर्चा नहीं थी. लेकिन, चन्नी के नाम का एलान हुआ तो कांग्रेस के नेता ज़ोर-शोर से ये बताने लगे कि वो पंजाब के पहले ‘दलित मुख्यमंत्री’ होंगे. कांग्रेस के सीनियर नेता मनप्रीत बादल ने रविवार को मीडिया से कहा, पंजाब में एससी पॉपुलेशन (दलित आबादी) हिंदुस्तान में सबसे ज़्यादा है. करीब 33 फ़ीसदी. जब से हिंदुस्तान आज़ाद हुआ है जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में आज तक कोई दलित मुख्यमंत्री नहीं बना.
समीकरण
साल 2009 से पहले तक बीजेपी के पास दलित वोट 10-12 फ़ीसदी थे. साल 2014 में बीजेपी के पास दलित वोट 24 फ़ीसदी हो गए. यानी दोगुने. साल 2019 में बीजेपी के खाते में 34 फ़ीसद दलित वोट आए. इसी बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को अपनी सरकार के साढे चार साल के कामकाज का ब्योरा पेश किया और दावा किया कि अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 350 से ज़्यादा सीटें मिलेंगी.
भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 403 में से 312 सीटें हासिल की थीं. इस नतीजे को दोहराने के लिए बीजेपी की नज़र दलित वोटों पर है और सोमवार को जब पंजाब में कांग्रेस नेता राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री को बधाई दे रहे थे तभी योगी आदित्यनाथ ट्विटर पर बाबा साहेब आंबेडकर को याद कर रहे थे.
योगी आदित्यनाथ ने लिखा, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने अपनी मेहनत व बुद्धिमता से भारत को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान दिया. उनका त्यागमय जीवन हमें आत्मविस्मृति से उभारकर अपने गौरवशाली अतीत के साथ पुन: जोड़ने को प्रेरित करता है.
हालांकि, मायावती ने कांग्रेस के साथ बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, सच्चाई ये है कि इनको मुसीबत में है या फिर मजबूरी में ही दलित वर्ग के लोग याद आते हैं. अब यूपी में विधानसभा चुनाव होने में कुछ समय बचा हैं तो यहां भाजपा भी इसी कोशिश में जुटी है.
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