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महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से सुसाइड नोट मिला, शिष्य आनंद गिरि का जिक्र- पुलिस

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की आज संदिग्ध मौत हो गई. इसके बाद पुलिस ने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से सुसाइड नोट मिला है. इसमें उनके शिष्य आनंद गिरि का जिक्र है. पुलिस ने कहा कि हम मामले की जांच कर रहे हैं. सुसाइड नोट वसीयत की तरह है.
पुलिस ने कहा कि शिष्य आनंद गिरि से नरेंद्र गिरि दुखी थे. एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि मौके पर पहुंचे अधिकारियों के अनुसार नरेंद्र गिरी उन्हें जिस कमरे में सुसाइड किया है. वह दरवाजा बंद था, अनुयायियों की सूचना पर दरवाजा तोड़कर नरेंद्र गिरि का शव निकाला गया. मौके से सुसाइड नोट मिला है. सल्फास खाने की जो बात सामने आ रही है, वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी.
आईजी के पी सिंह ने बताया कि सुसाइड नोट को उन्होंने वसीयतनामा की तरह लिखा है, इसमें शिष्य आनंद गिरि (Anand Giri) का भी जिक्र है. नरेंद्र गिरी ने अपने सुसाइड नोट में किस शिष्य को क्या देना है? कितना देना है, इन सब का जिक्र भी किया है. सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि वह अपने कुछ शिष्यों के व्यवहार से बहुत ही आहत और दुखी हैं और इसीलिए वह सुसाइड कर रहे हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि जी का ब्रह्मलीन होना आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है. प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान तथा शोकाकुल अनुयायियों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!
हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने कहा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी जी के निधन की सूचना मिली जो बहुत ही आहत करने वाला है. ये सनातन धर्म के लिए बहुत बड़ी क्षति है. ये अपूरणीय क्षति है. प्रशासन से मांग है कि उनकी मौत की निष्पक्षता से जांच की जाए.
कल ही डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने लिया था आशीर्वाद
एक दिन पहले रविवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य प्रयागराज में थे. तब उन्होंने मंदिर जाकर महंत नरेंद्र गिरि से आशीर्वाद लिया था. पिछले दिनों प्रयागराज आए डीजीपी मुकुल गोयल भी लेटे हनुमान जी मंदिर में दर्शन पूजन करने गए थे. महंत नरेंद्र गिरि पिछले करीब दो दशक से साधु-संतों के बीच अहम स्थान रखते थे. प्रयागराज आगमन पर बडे़ नेता हों या फिर आला पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी, वे महंत से आशीर्वाद लेने और लेटे हनुमान जी का दर्शन करने जरूर जाते रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी बांघबरी मठ पहुंचते रहे हैं.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था, लेकिन बाद में इनके बीच समझौता हो गया था. तब हरिद्वार से प्रयागराज पहुंचे आनंद गिरी अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरी के पैरों पर गिरकर माफी मांग ली. आनंद बोले थे- मैं पंच परमेश्वर से भी अपने कृत्यों के लिए माफी मांग रहा हूं. मेरे द्वारा सोशल मीडिया, समाचार पत्रों, टीवी चैनलों पर जो भी बयान जारी किए गए उसे मैं वापस लेता हूं. इसके बाद महंत नरेंद्र गिरी ने भी आनंद गिरी पर लगाए गए आरोपों को वापस लेते उन्हें माफ कर दिया.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के हस्तक्षेप के बाद इस विवाद पर फिलहाल विराम लग गया था. इसके बाद गुरु पूर्णिमा के दिन आनंद गिरि अखाड़े में अपने गुरु की पूजा कर सके थे. अखाड़े और मठ में आनंद गिरि के प्रवेश पर लगाई गई रोक हटा दी थी. हालांकि, आनंद गिरी का अखाड़े से निष्कासन वापस हुआ या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है.
आनंद गिरि ने करोड़ों रुपए की जमीन बेचने के आरोप लगाए थे
अखाड़े से बाहर होने के बाद आनंद गिरि ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था और अपने गुरु नरेंद्र गिरी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. इनमें सबसे गंभीर आरोप मठ की करोड़ों रुपए की जमीनों को बेचने और उन रुपयों का दुरुपयोग करने का था. आनंद ने कहा था कि उनके गुरु नरेंद्र के कई बड़े और महंगे शौक हैं. इन शौक को पूरा करने के लिए नरेंद्र गिरि मठ के धन का दुरुपयोग कर रहे हैं. मठ के कई सेवादारों के परिवारों पर भी करोड़ों रुपया खर्च करने का भी आरोप लगाया था. इसके बाद गुरु और चेले के बीच विवाद गहरा गया था.
लेटे हनुमान मंदिर और श्री निरंजनी अखाड़े से निकाले जाने के बाद स्वामी आनंद गिरि ने अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरि पर मठ की अरबों रुपए की जमीनों को बेचने का गंभीर आरोप लगाया था. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए पत्र में अखाड़े में हो रहे घोटाले की जांच कराए जाने की मांग की थी. अब सवाल यह उठ रहा है कि गुरु और शिष्य का तो आपस में समझौता हो गया. ऐसे में आनंद गिरि ने जो अपने गुरु के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे, उनका क्या होगा. क्या भक्तों द्वारा दिए गए चढ़ावे के पैसे के दुरुपयोग के आरोप केवल आरोप ही बनकर रह जाएंगे.
14 मई 2021 को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने आनंद गिरी को अखाड़े और बाघंबरी गद्दी से बाहर कर दिया था. उन पर अपने परिवार से संबंध रखने का आरोप लगा था. नरेंद्र गिरी ने कहा था कि बड़े हनुमान मंदिर पर आने वाले दान-चढ़ावे में से आनंद गिरी धन अपने परिवार पर खर्च कर रहे हैं. असके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वरों की सहमति के बाद आनंद गिरी पर यह कार्रवाई की गई थी.
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