प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) अक्सर टीवी पर आकर या किसी कार्यक्रम के माध्यम से देश की जनता को संदेश देते रहते हैं. अपनी पार्टी की नीतियों का बखान करते रहते हैं, विपक्ष की आलोचना करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी लोकतंत्र और मानवाधिकार पर भी जान देकर चले जाते हैं.
मीडिया के माध्यम से बीजेपी और मौजूदा सरकार पूरे देश को मैनेज करने की कोशिश लंबे समय से कर रही है और इसमें कुछ हद तक कामयाबी हो चुकी है. 2014 से पहले और अभी भी चुनावी रैलियों में सेना के नाम पर वोट मांगना और पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को सबक सिखाने, लाल आंख दिखाने जैसी बातें करना प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के लिए आम बात थी और है.
अगर सेना सर्जिकल स्ट्राइक करती है या फिर एयर स्ट्राइक करती है तो बीजेपी से लेकर खुद प्रधानमंत्री मोदी और देश की मीडिया तक इसका श्रेय बीजेपी की मौजूदा सरकार को और प्रधानमंत्री खुद को और मीडिया प्रधानमंत्री मोदी को देते रहते हैं. चुनावी रैलियों में पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात करके बीजेपी वोट मांगती रही है प्रधानमंत्री मोदी वोट मांगते रहे हैं.
लेकिन क्या प्रधानमंत्री को जवाब नहीं देना चाहिए कि चुनावी रैलियों में पाकिस्तान को सबक सिखाने से आखिर बीजेपी को वोट मिलने के अलावा देश को क्या मिल जाता है, पाकिस्तान को क्या सबक मिलता है? क्या पाकिस्तान का डर दिखाकर, पाकिस्तान के नाम पर देश की जनता की भावनाओं से खेल कर वोटों की फसल काटने के अलावा आखिर पाकिस्तान को बीजेपी की सरकार में कोई ठोस जवाब दिया गया है?
पाकिस्तान को सबक सिखाने के नाम पर, चुनावी रैलियों में देश की जनता की भावनाओं से खेल कर वोट मांगने को राष्ट्रवाद कहते हैं या फिर उसे राष्ट्रवाद (Nationalism) कहते हैं, जो इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की सरकार में दुनिया की परवाह किए बिना, अमेरिका की परवाह किए बिना पाकिस्तान के दो टुकड़े करके बांग्लादेश को अलग देश घोषित करके साबित किया गया. राष्ट्रवाद क्या है? देश की जनता की भावनाओं से खेल कर सरकार बनाना राष्ट्रवाद है या फिर दुश्मन देश को ऐसा तमाचा मारना जिसकी गूंज वह पूरी जिंदगी भूल ना पाए, जैसे बांग्लादेश के जम्मू को पाकिस्तान आज तक नहीं भूल पाया?
मीडिया द्वारा और बीजेपी के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को ग्लोबल लीडर साबित करने की कोशिश की जाती रहती है और देश की जनता को बताया जाता है कि पूरी दुनिया प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व से प्रभावित है. लेकिन क्या मोदी सरकार यह देश को बताएगी कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत को आज तक अमेरिका, रूस जैसे देशों से कोई बड़ी डील हासिल क्यों नहीं हुई है? अफगानिस्तान के मामले पर पूरी दुनिया ने देखा कि भारत को अलग रखा गया, यह प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति, कूटनीति की असफलता ही तो है?
प्रचार के दम पर खुद को ग्लोबल लीडर साबित करना और यह बताना कि पूरी दुनिया मोदी के नेतृत्व से प्रभावित है इससे आखिर सरकार बनाने के अलावा देश को क्या हासिल हो रहा है? जनता को आखिर इससे क्या लाभ हो रहा है? जिन वादों के दम पर 2014 में सरकार बनाई थी उन वादों को आखिर पूरा क्यों नहीं कर रही है मोदी सरकार? चीन आज हमारी सीमा के अंदर जब मर्जी होती है घुस जाता है.
आखिर चीन को लाल आंख क्यों नहीं दिखा पा रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी? पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमतों को लेकर 2014 से पहले खूब हो हल्ला होता था और बीजेपी ने और खुद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि अगर जनता उन्हें वोट देती है और सरकार बनती है तो पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमतों में भारी कमी की जाएगी. क्या यह वादा भूल गए प्रधानमंत्री मोदी? बेरोजगारी अपने चरम पर है.
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश के अंदर बेरोजगार युवाओं का पहाड़ खड़ा हो रहा है. जिनके पास रोजगार था वह भी छूट चुका है. आखिर अपने रोजगार के वादे पर अमल करने की कोशिश प्रधानमंत्री मोदी क्यों नहीं कर रहे हैं? प्रधानमंत्री मोदी लोकतंत्र की और मानवाधिकारों की बात कर रहे हैं. लेकिन उनकी ही पार्टी के केंद्रीय मंत्री के बेटे पर किसानों के नरसंहार का आरोप है. लेकिन प्रधानमंत्री चुप है, यह कौन सा मानवाधिकार और लोकतंत्र है?
बीजेपी के नेता देश की जनता को ही और किसानों को देशद्रोही आतंकवादी बताते हैं. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी खामोशी अख्तियार किए रहते हैं, यह कौन सा लोकतंत्र है और कौन से लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री हैं?
The post PM मोदी को कुछ सवालों के जवाब आज नहीं तो कल देने होंगे appeared first on THOUGHT OF NATION.
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