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बिहार चुनाव में PM मोदी ने बड़ी चतुराई से हिंदू-मुसलमान कर दिया और आपको पता भी नहीं चला.

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बिहार चुनाव के शुरुआती चरणों में ही लगने लगा था कि भाजपा गठबंधन का बिहार से सूपड़ा साफ हो जाएगा. तेजस्वी यादव की सभाओं में उमड़ रही भीड़ से महागठबंधन पूरे जोश में था.
तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की सभा में जुट रही भीड़ साफ इशारा कर रही थी कि बिहार से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की विदाई तय है, NDA की विदाई तय है. लेकिन 10 नवंबर को सामने आए नतीजों ने सबको चौंका कर रख दिया. हालांकि उससे पहले टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे एग्जिट पोल में भी बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनती हुई दिखाई दे रही थी.
तमाम राजनीतिक जानकार और बिहार चुनाव को कवर कर रहे पत्रकारों का यही कहना था कि तेजस्वी यादव ने इस बार भाजपा के हिंदू मुसलमान पाकिस्तान जैसे मुद्दों को हावी नहीं होने दिया और भाजपा भी जनता के मुद्दों पर चुनाव लड़ने के लिए मजबूर हुई है. सभी का यही कहना था कि तेजस्वी यादव ने रोजगार के मुद्दे को चुनावी हवा में तब्दील कर दिया है. और तेजस्वी यादव सभी को बिहार में जीत की तरफ बढ़ते हुए दिखाई दे रहे थे.
यह सब कुछ चल ही रहा था तभी प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने अचानक से सीमांचल में हुई रैली में अपनी तरफ से वह तुरुप का इक्का फेंका जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया. और जिस पर कोई चर्चा भी नहीं हुई. विपक्ष ने भी प्रधानमंत्री के बयान पर गंभीरता नहीं दिखाई और टीवी चैनलों पर भी वह बयान जो प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया था उतनी गंभीरता से नहीं दिखाया गया. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का वह बयान काम कर गया और कहीं ना कहीं भाजपा के तरफ और उसके गठबंधन की तरफ माहौल बन गया आखिरी चरण में.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनावी प्रचार में लगातार जंगलराज के मुद्दे को तो उठा ही रहे थे, लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी यात्रा सीमांचल पहुंची प्रधानमंत्री मोदी ने वहां अपनी तरफ से वह चाल चली जिसका किसी को अंदाजा भी नहीं था. सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है, सीमांचल में अधिक मात्रा में मुस्लिम मतदाता है. प्रधानमंत्री मोदी लगातार चुनाव प्रचार में लालू यादव के जंगलराज को याद दिला रहे थे. लेकिन सीमांचल पहुंचते ही प्रधानमंत्री मोदी ने जंगलराज के साथ वह जोड़ दिया जो लगातार वह पिछले 6 साल से चुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं.
सीमांचल की मुस्लिम आबादी में पहुंचते ही चुनावी प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से कहा गया कि जंगलराज के युवराज का समर्थन करने वाले लोगों को वंदे मातरम से परहेज है, भारत माता की जय के नारे से परहेज है. जंगल राज के युवराज और उनका समर्थन कर रहे लोग चाहते हैं कि भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे ना लगाया जाए.
प्रधानमंत्री के बयान ने कैसे काम किया?
आपको याद दिलाने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है, लगातार ऐसी खबरें आती रहती हैं कि भाजपा के समर्थक और भाजपा के तमाम संगठनों के लोग कहीं भी किसी को भी जबरदस्ती पकड़कर मारते हुए उन्हें भारत माता की जय वंदे मातरम और जय श्रीराम के नारे लगवाते हुए नजर आ जाते हैं. ऐसी घटनाओं पर बहुत बवाल भी होता है. ऐसी घटनाएं इस देश में हिंदू मुसलमान के बीच की जड़ों को लगातार कमजोर करती रही है पिछले 6 सालों में. और इसी का लाभ भाजपा को कहीं ना कहीं मिलता है.
भाजपा के तमाम नेता और प्रधानमंत्री भले ही अपनी तरफ से कहें कि इस देश के तमाम नागरिकों के लिए वह लोग काम कर रहे हैं, लेकिन कहीं ना कहीं उनको संजीवनी हिंदू मुसलमान के बीच नफरत फैलाकर ही मिलती है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सीमांचल के अंदर कहा गया कि जंगलराज के युवराज और उनके समर्थकों को भारत माता की जय और वंदे मातरम का नारा लगाने से परहेज हैं और वह लोग चाहते हैं कि भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे देश में ना लगाया जाए.
हालांकि किसी को भी इस नारे से परहेज नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी तरफ से आजमाया हुआ तुरुप का इक्का फेंक दिया था. जंगल राज के युवराज के समर्थकों से प्रधानमंत्री का इशारा सीमांचल की मुस्लिम आबादी की तरफ था. वह बिहार के तमाम हिंदू बहुल इलाके के लोगों को और तमाम हिंदुओं को यह बताना चाह रहे थे कि मुस्लिम तेजस्वी यादव को और महा गठबंधन को समर्थन दे रहे हैं, इसके बदले में हिंदुओं को भाजपा और उसके गठबंधन को समर्थन देना चाहिए.
वह पूरे बिहार के हिंदू वोटरों से बिना कुछ कहे ही अपील कर गए सीमांचल में कि जंगलराज के युवराज तेजस्वी यादव का जो समर्थन कर रहे हैं वह मुस्लिम है और उन्हीं मुस्लिमों को भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे से परहेज है. आखिरी के चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फेका गया यह तुरुप का इक्का काम कर गया, बिहार के तमाम हिंदू वोटर अपनी परेशानियों को, जरूरतों को भूल कर, कोरोना के दौरान सही गई असहनीय पीड़ा को भूलकर लामबंद होकर भाजपा की तरफ झुक गए. लेकिन दूसरी तरफ क्या हुआ?
मोदी ने जिसको इसरा किया वह तो एक जुट हुआ लेकिन दूसरी तरफ?
मुस्लिम दलित अलग-अलग पार्टियों में बट गए. किसी ने ओवैसी को वोट दिया किसी ने महागठबंधन के उम्मीदवार को, तो किसी ने निर्दलीय को, तो किसी ने किसी तीसरे गठबंधन को. हालांकि जो हिंदू-मुस्लिम वोटर पढ़े लिखे थे, चाहे वह किसी भी जाति से हो, जिन्हें जाति धर्म से कोई मतलब नहीं था, जो वंदे मातरम, भारत माता की जय और जय श्री राम जैसे नारों के बहकावे में नहीं आते हैं, वह तो कहीं ना कहीं महागठबंधन के साथ थे. लेकिन जो अपने आप को कट्टर हिंदू और कट्टर मुसलमान कहते हैं वह लामबंद हो गए. कट्टर हिंदू कहने वालों की जीत हो गई, कट्टर मुसलमान कहने वाले पांच जगह जीत गए. लेकिन तेजस्वी यादव की जो बनती हुई सरकार दिख रही थी वह नहीं बनी. नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं.
ओवैसी और उनके समर्थक
जहां तक बात ओवैसी की है तो उन्हें इस देश में चुनाव लड़ने का अधिकार है. संविधान ने उन्हें अधिकार दिया है. लेकिन अगर ओवैसी के वोटर और खुद ओवैसी भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी मानते हैं, उनका यह मानना है कि भाजपा हिंदू मुसलमान की राजनीति करती है, तो फिर इन्हें अपने बारे में भी सोचना होगा कि वह क्या धर्म की राजनीति नहीं करते? भाजपा अगर हिंदुओं को एक होने की बात कहती है, तो क्या ओवैसी और उनके समर्थक मुसलमानों को एक होने की बात नहीं कहते?
बरहाल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बिहार के अंदर चले गए तुरूप के इक्के पर किसी का ध्यान नहीं गया था. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को जो करना था उन्होंने अपने उस बयान से कर दिया था. बिहार में एक बार फिर से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. एनडीए की सरकार बन चुकी है. लेकिन यह कहीं ना कहीं भाजपा की ही सरकार है, नीतीश कुमार इस बार कमजोर हैं पहले के मुकाबले. जाहिर सी बात है नीतीश कुमार कठपुतली मुख्यमंत्री रहेंगे. सत्ता पर कब्जा, सत्ता द्वारा लिए जाने वाले फैसलों पर कब्जा भाजपा का होगा.
तेजस्वी यादव ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपनी तरफ से जो मेहनत की थी, बिहार के चुनावी माहौल को बदलने की कोशिश की थी, बिहार के मुद्दों को बदलने की कोशिश की थी, जिन लोगों ने तेजस्वी यादव के 10 लाख सरकारी नौकरी के वादे पर यकीन करके तेजस्वी यादव की पार्टी को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनाया था, उन लोगों को निराशा हुई होगी प्रधानमंत्री मोदी के वंदे मातरम और भारत माता की जय का बयान सीमांचल के अंदर देने से. क्योंकि तेजस्वी यादव की सरकार नहीं है, तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नहीं है, और अब फिर से रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में जाना है.
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