सीकर.कोरोनाकाल में कई लोग बेरोजगार हो गए तो कई परिवारों की आमदनी 30 से 70 फीसदी तक कम हो गई। लेकिन महंगाई की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। तेल, दाल से लेकर गैस सिलेंण्डर और पेट्रोल-डीजल के दामों में पिछले एक साल में हुई बढ़ोतरी ने आम आदमी की बचत की जेब पर कैची चला दी है। महंगाई की वजह से आम आदमी के घर का पूरा बजट बिगड़ गया है। इसके बाद भी केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से आमजन को राहत देने की दिशा में कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं। कोरोनाकाल मेंं सरकार ने बिजली के बिलों को स्थगित कर दिया। इस वजह से उपभोक्ताओं को इस महीने औसत के आधार पर बिल दिए जा रहे हैं। लेकिन अगले महीने बिल उपभोक्ताओं के महंगाई का करंट लगाएंगे। महंगाई को लेकर पत्रिका की खास रिपोर्ट।
ऐसे समझें एक साल में महंगाई का ग्राफ:
1. पेट्रोल-डीजल: 77 से 103 पर पहुंचा पेट्रोललगातार बढ़ते पेट्रोल व डीजल के दामों ने आम आदमी का तेल निकाल दिया है। पेट्रोल व डीजल के दामों में बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्ट भी महंगा हो गया है। इस वजह से भी महंगाई का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले साल अप्रेल के महीने में जहां पेट्रोल के भाव 77.42 रुपए प्रति लीटर व डीजल के भाव 70.48 रुपए लीटर थे। लेकिन अब पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़कर 103.8 व 96.23 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गए है। सीकर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव अरुण फागलवा का कहना है कि केन्द्र व राज्य दोनों सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव कर कटौती करें तो जनता को राहत मिल सकती है।
2. गैस सिलेंडर: 826 पार, कैसे जलेगा चूल्हागैस सिलेंडर की कीमतों में भी लगातार उछाल आ रहा है। पिछले साल जून महीने में घरेलू सिलेंडर की कीमत 607 रुपए थी। अब गैस सिलेंडर की कीमत 826.50 रुपए है। कई परिवार तो ऐसे है जिन्होंने बढ़ती महंगाई की वजह से गैस का विकल्प तलाशने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
3. खाद्य तेल: 20 फीसदी तक की बढ़ोतरीपिछले एक साल में सरसो, सोयाबीन सहित अन्य तेल के दामों में 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। व्यापारी प्रभू खंडेलवाल का कहना है कि पिछले साल सरसों के तेल की कीमत औसत 120 रुपए थी। दीवाली के सीजन में यह दर बढ़कर 135 रुपए तक पहुंच गई। अब सरसों के तेल की कीमत बढ़ते-बढ़ते 165 से 180 रुपए लीटर तक पहुंच चुकी है। उन्होंने बताया कि वनस्पति तेल, सोयाबीन तेल सहित अन्य तेलों के दामों में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है।
4. दाल: अब आदमी की थाली से सोशल डिस्टेंसपिछले लॉकडाउन के मुकाबले दालों के दामों मेंं भी काफी बढ़ोतरी हुई है। इस वजह से गरीब व्यक्ति की थाली से दालों का सोशल डिस्टेंस जारी है। एक्सपर्ट का कहना है कि चना दाल पिछले लॉकडाउन में 60 से 65 रुपए किलो थी। लेकिन अब इसकी दर बढ़कर 75 से 80 रुपए किलो तक पहुंच गई है। इसी तरह अरहर दाल 85-90 रुपए प्रति किलो से 95 से 100 रुपए किलो तक पहुंच गई है। मूंग दाल, मसूर दाल व उडद की दालों के भावों में भी इजाफा हुआ है।
5. दूध, दही, घी व ड्राईफूट्स: एक साल में डिटर्जेट पाउडर से लेकर, दूध, दही, घी, ड्राईफूट्स व साबुन की कीमतों में भी औसत दो से लेकर दस फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।
महिलाओं की पीड़ा: वोट दोनों दलों को दिए राहत की जिम्मेदारी भी इनकीबिगड़ गया बजट:बिहारी मार्ग वार्ड नं 23 की निवासी सपना सिहोटीया का कहना है कि महंगाई ने आम घरों का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है। पहले जिन घरों में एक महीने का राशन पांच हजार रुपए तक आ रहा था उसी राशन की कीमत अब बढ़कर सात से साढ़े हजार रुपए तक पहुंच गई है। जनता ने वोट भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों को दिए है इसलिए राहत की जिम्मेदारी भी इन दोनों दलों की बनती है।
कोरोनाकाल में महंगाई का दर्द…ितलक नगर निवासी सीमा देवी का कहना है कि गैस सिलेंडरों से लेकर अन्य खाद्य पदार्थो पर महंगाई की मार बढ़ी है। एक तरफ कोरोनाकाल की वजह से आमजन वैसे ही परेशान है। ऐसे में लगातार बढ़ती महंगाई से आम आदमी के घर का बजट पूरी तरह बिगड़ गया है। सरकारों को इस दिशा में सोचना चाहिए।
30 फीसदी तक बढ़ा खर्चाफलों के थोक विक्रेता मुन्ना राजा का कहना है कि पेट्रोल व डीजल की दर बढऩे की वजह से 30 फीसदी तक का खर्चा बढ़ गया है। उनका कहना है कि डीजल की दरों में बढ़ोतरी का असर सीधे तौर पर फल व सब्जियों पर भी आ रहा है।
सियासत के अपने-अपने दावे:
भाजपा: राज्य सरकार जनता को कर रही गुमराहमहंगाई के नाम पर कांगे्रस जनता को गुमराह करने पर तुली है। लेकिन देश की जनता सब समझती है। हरियाणा में राजस्थान से कम दरों पर पेट्रोल-डीजल मिल रहा है, क्योंकि वहां की राज्य सरकार कम टैक्स लेती है। राजस्थान की सरकार को बड़ा दिल दिखाते हुए कोरोनाकाल में टैक्स कम वसूलना चाहिए जिससे जनता केा राहत मिल सके।
हरिराम रणवां, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा किसान मोर्चा
कांग्रेस: केन्द्र ने सात साल में 12 बार एक्साईज ड्यूटी बढ़ाई, कौन जिम्मेदारबढ़ती मंहगाई के लिए सीधे तौर पर केन्द्र सरकार जिम्मेदार है। केन्द्र सरकार ने पिछले सात साल में 12 बार एक्साईज ड्यूटी बढ़ा दी। इससे पेट्रोल व डीजल के दाम आसमान छू रहे है। राजस्थान सरकार ने तो अपने क्षेत्राधिकार के टैक्सों में कटौती की है। गैस सिलेंडर के दाम बढ़ रहे हैं इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
गोविन्द सिंह डोटासरा, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
माकपा: केन्द्र व राज्य की दोनों सरकार जिम्मेदारमहंगाई के लिए केन्द्र व राज्य सरकार दोनों जिम्मेदार है। आम व्यक्ति के उपभोग की बस्तुओं पर सरकारों का कोई नियंत्रण नहीं है, इसका खामियाजा उपभोक्ता के साथ किसानों को भुगतना पड़ रहा है। पेट्रोल व डीजल की दरों के मामले में राज्य सरकार भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है।अमराराम, किसान नेता
पेट्रोल-डीजल तेल निकाल रहे हैं…तेल-घी धार पर हैं, रसोई चलाना तो दूर….जीना भी दुश्वार है
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