उदयपुर/झाड़ोल . सरकार की ओर से नि:शुल्क दवा, नि:शुल्क जांच समेत कई तरह की चिकित्सा योजनाएं संचालित है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर स्थिति दयनीय है। बरसात के साथ ही जल जनित मौसमी बीमारियों के प्रकोप से हर कोई आहत है, वहीं सरकारी तौर पर चिकित्सा सुविधाओं का भारी अभाव है। इसी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने हर गांव-कस्बे तक पहुंचकर पड़ताल शुरू की है। शुरुआत में झाड़ोल सीएचसी की रिपोर्ट-इन दिनों हर रोज 400 रोगी अस्पताल पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों की भारी कमी के चलते हर रोज रोगियों की लम्बी कतारें लग रही है। एक जिस डॉक्टर के भरोसे अस्पताल चल रहा है, वह भी प्रतिनियुक्ति पर है। जबकि यहां के लिए स्वीकृत दस डॉक्टरों में से एक भी पद भरा हुआ नहीं है। यहां कार्यरत डॉ हरिओम की नियुक्ति मूलत: प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सोम में है। अस्पताल में मेडिसीन, सर्जन, नेत्र रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ, ऑर्थोपेडिक चिकित्साधिकारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, ऐनेस्थीसिया सहित 10 चिकित्सकों के पद हैं, लेकिन एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर यहां नहीं है।ेपेरीफेरी के गांव गोगला, बदराणा, खाखड़, मगवास, दमाणा, लूणावतों का खेड़ा, कन्थारिया, सैलाणा, माकड़ादेव, देवास, गोराणा, चन्दवास, ब्राह्मणों का खेरवाड़ा, झाड़ोल, कोचला, सुलतान जी का खेरवाड़ा, गोदाणा आदि करीब 30 गांव। केंद्र से दूरस्थ गांव डइया-अम्बासा है, जिसकी दूरी करीब 80 किलोमीटर है।डॉ. हरिओम की जुबानीमैं यहां अकेला कार्यरत हूं। वह भी प्रतिनियुक्ति पर हूं। कभी कभी डॉ. रमेश कार्य करते हैं। मौसमी बीमारियों का समय चल रहा है। रोजाना 400-450 रोगियों की आवाजाही रहती है। व्यक्तिगत रूप से कलक्टर, सीएचएमओ, बीसीएचओ से निवेदन कर और डॉक्टर नियुक्त करने की मांग की, लेकिन अभी तक किसी ने नहीं सुना है। जबकि यहां आमजन को काफी तकलीफ हो रही है।डॉ. हरिओम, चिकित्सक, सीएचसी झाड़ोलमैंने भी कई बार उच्चाधिकारियों को पत्रों, जिले की बैठकों के दौरान जानकारी देकर रिक्त पदों की स्थिति से अवगत कराया। अभी डॉक्टरों को रोटेशन प्रणाली से प्रतिनियुक्त कर काम चलाया जा रहा है।डॉ. धर्मेन्द्र गरासिया, बीसीएमओ, झाड़ोल
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