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कवर स्टोरी ‘अब्बा जान’ करने की तैयारी कर रहे आउटलुक के प्रधान सम्पादक रूबेन बनर्जी बर्खास्त

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आउटलुक पत्रिका के अगले अंक के लिए कवर स्टोरी ‘अब्बा जान और आदित्यनाथ’ करने की तैयारी कर रहे आउटलुक पत्रिका के ग्रुप एडिटर-इन-चीफ रूबेन बनर्जी (Ruben Banerjee) को संस्थान ने बर्खास्त कर दिया है. रूबेन बनर्जी बुधवार को ही 33 दिनों की छुट्टी के बाद वापस लौटे थे.
छुट्टी से आने के बाद उन्होंने अपनी कवर स्टोरी के बारे में अपने वरिष्ठ सम्पादकों को मैसेज भेजा था, इसके बाद ही उनकी बर्खास्तगी का फरमान उनको सुना दिया गया. बनर्जी को निकालने के बाद ही पत्रिका के प्रबंध संपादक सुनील मेनन ने भी बुधवार को पद छोड़ दिया और ट्विटर पर इसकी घोषणा की. हालांकि उन्होंने इसे बनर्जी प्रकरण से जोड़ कर देखने से इनकार किया है.
उन्होंने अपने ट्वीट में रूबेन बनर्जी को अपना अंतिम सम्पादक बताते हुए उनके साथ किये गये कार्य प्रदर्शन को अच्छा बताया. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका इस्तीफा एक व्यक्तिगत निर्णय है और जरूरी नहीं कि यह बनर्जी के जाने से जुड़ा हो. उन्होंने कहा कि इसके पीछे ‘व्यक्तिगत और संस्थागत दोनों कारण हैं. बनर्जी से इस विषय में मीडिया से बात करते हुए कहा है कि उन्हें बिना किसी नोटिस के बर्खास्त किया गया है.
हालांकि आउटलुक प्रबंधन द्वारा उन्हें निकाले जाने के पीछे अनुशासनात्मक कार्रवाई होना बताया गया है और कहा गया है कि कम्पनी ने सोमवार को ही चिंकी सिन्हा को सम्पादक के रूप में नियुक्त कर लिया गया था आउटलुक ग्रुप के सीईओ इंद्रनील रॉय का कहना है कि ऑफिस में माहौल खराब करने और अनियमित तरीके से काम करने के कारण ग्रुप एडिटर-इन-चीफ रूबेन बनर्जी की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं.
अपने ईमेल में, रॉय ने कहा कि बनर्जी की अचानक काम से अनुपस्थिति ने आउटलुक को तनाव में डाल दिया है. मेल में कहा गया है कि, सीईओ के रूप में मुझे लगता है कि यह अनुशासन और संगठन के भविष्य के लिए अच्छा नहीं होगा, भले ही आप इसे अनिश्चित तरीके से जारी रखना चुनते हैं. समानता के आदान-प्रदान और आपके आचरण ने माहौल को पूरी तरह से खराब कर दिया है.
ईमेल में कहा गया है कि इसलिए मैं आपको यह सूचित करने के लिए विवश हूं कि मैं आपके अनुबंध की शर्तों के अनुसार आउटलुक पब्लिशिंग (इंडिया) लिमिटेड के साथ आपका अनुबंध तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के लिए मजबूर हूं. इंद्रनील रॉय ने ईमेल में आगे लिखा है कि दुर्भाग्य से, 11 अगस्त, 2021 को आपने अपने सहयोगियों को सूचित किया था कि आप एक महीने की लंबी छुट्टी पर जा रहे हैं. 8 सितंबर को, आपने मुझे लिखा था कि आप ठीक नहीं हैं और बिना किसी समय सीमा का संकेत दिए अपनी छुट्टियों को बढ़ा लिया. अब अचानक, आज सुबह मुझे आपका ईमेल मिला जिसमें कहा गया था कि आप आज से प्रभावी रूप से काम शुरू कर रहे हैं.
इंद्रनील रॉय ने कहा, मैं आपके ध्यान में लाना चाहता हूं कि एक समाचार कक्ष में संचालन को प्रभावित करने और सितंबर 2021 के पहले सप्ताह में नई वेबसाइट लॉन्च करने के प्रोजेक्ट में कम समय होने के बावजूद आपकी अचानक गैरमौजूदगी से आउटलुक तनावग्रस्त हुआ है. इसके विपरीत बनर्जी का कहना है कि, मैंने 12 सितंबर को अपनी छुट्टी बढ़ाने के लिए कहा क्योंकि मेरी तबीयत ठीक नहीं थी… . मैं ठीक हो गया और मैंने आज उपस्थित हो गया. दोबारा ज्वॉइन करना कैसे एक अनुशासनात्मक मुद्दा बन गया?
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बनर्जी संपादक के रूप में 2018 में आउटलुक से जुड़े थे. उन्हें 2019 में प्रधान संपादक के रूप में पदोन्नत किया गया था, और 2020 में आउटलुक मनी और आउटलुक हिंदी का प्रधान संपादक बनाया गया था. इस वर्ष, उन्हें समूह प्रधान संपादक के रूप में पदोन्नत किया गया था. यह बताते हुए रूबेन बनर्जी कहते हैं कि अगर मुझे इस तरह की पदोन्नति मिल रही थी, तो इसका मतलब है कि मैं अपने काम में अच्छा रहा होउंगा. उन्होंने कहा कि कन्टेंट सामग्री को लेकर मतभेद के कारण मेरी परेशानी शुरू हुई. हम जिस तरह का मैटर दे रहे थे, वे उससे खुश नहीं थे.
बनर्जी ने उदाहरण के तौर पर पेगासस विवाद और आतंकी कानूनों पर आउटलुक की कहानी का हवाला दिया है. कहा गया है कि मई संस्करण में कवर स्टोरी ‘लापता’, में जिसमें कहा गया था कि विनाशकारी दूसरी कोविड लहर के बीच मोदी सरकार गायब थी, बनर्जी का कहना है कि इस स्टोरी पर सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया थी, कई मंत्रियों और भाजपा नेताओं ने प्रबंधन के साथ-साथ संपादक से भी अपनी नाराजगी व्यक्त की थी.
हालांकि, सीईओ ने इससे इनकार किया कि ‘मिसिंग’ कवर स्टोरी को लेकर संगठन पर कोई दबाव था. सीईओ का कहना है कि ‘मिसिंग’ कवर स्टोरी को लेकर संपादक पर बिल्कुल भी दबाव नहीं था. क्योंकि ‘मिसिंग’ कवर स्टोरी मई 2021 में प्रकाशित हुई थी, और रूबेन बनर्जी को जून 2021 में पदोन्नत किया गया था.
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