सीकर. कीटनाशक और उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग को देखते हुए कृषि विभाग जैविक खेती को बढ़ावा देगा। विभाग जिले के तीन हजार हेक्टेयर में जैविक कलस्टर बनाएगा। इसके तहत जिले के सैंकड़ों किसान आगामी वर्षों में खुद के ब्रांड के नाम से अपने जैविक उत्पाद बेच सकेंगे। सामान्य बाजार भाव से करीब तीन गुना अधिक भाव मिलने से किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। 20 हेक्टेयर का होगा कलस्टरजिले में बनाए जाने वाला प्रत्येक कलस्टर 20 हेक्टयेर का होगा। तीन साल तक कृषि विभाग की निगरानी में जैविक खेती करने के बाद विभाग किसान को जैविक उत्पाद तैयार करने का प्रमाण पत्र देगा। इसके बाद किसान अपनी फसल का ब्रांड बनाकर बाजार में बेच सकेगा। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं होने से जैविक फसलें बाजार में सामान्य से तीन गुना से अधिक भाव पर बेची जा सकेगीखाद-बीज का भी प्रशिक्षण योजना के तहत जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को विभाग की ओर से जैविक खाद व बीज निशुल्क मुहैया करवाए जाएंगे। कृषि विभाग हर साल कलस्टर में शामिल किसानों को तीन बार निशुल्क प्रशिक्षण देगा। साथ ही जैविक उर्वरक और कृषि आदान खरीदने पर किसान को अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा कृषि विभाग के अधिकारी जैविक खेती के दौरान समय समय पर खेत या जोन का निरीक्षण करेंगे। जिससे जैविक खेती करने से पहले और बाद में भूमि की उर्वरता में होने वाली बढ़ोतरी का रेकार्ड तैयार करेंगे। इनका कहना है जिले के किसानों में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए तीन हजार हेक्टेयर में कलस्टर बनाया जाएगा। तीन साल तक किसान अपनी उपज का रेकार्ड संधारित करेगा। इसके बाद पंजीयन होने पर किसान या समूह अपने ब्रांड के नाम से उपज बेच सकेगा। -एसआर कटरिया, उपनिदेशक कृषि सीकर
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