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छात्रा के सामूहिक बलात्कार पर कोर्ट ने कहा, अपराधी पर दया मतलब खतरा

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सीकर. कम उम्र की नाबालिक बालिका को बहला-फुसलाकर गलत काम और उनका सहयोग करने वाले अभियुक्त किसी भी सहानुभूति और दया के पात्र नहीं है। यह कृत्य समाज के विरुद्ध गंभीर अपराध की कोटि में आता है। ऐसी स्थिति में अभियुक्त को दंडित किया जाना आवश्यक है। अन्यथा समाज में विपरीत संदेश प्रसारित होने के साथ बच्चों की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न होगा। विशिष्ठ न्यायाधीश पोक्सो डॉ. सीमा अग्रवाल ने छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार करने के मामले में बुधवार को दिए फैसले में यह टिप्पणी की। न्यायाधीश ने मामले के तीनों आरोपियों को सजा सुनाई है। मुख्य आरोपी को दस वर्ष और सहयोगियों को पांच-पांच वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
2017 में हुई वारदातमुख्य आरोपी नीमकाथाना इलाके के गोडावास गांव का कमलेश है। मावंडा आरएस गांव के बालाजी नगर रेलवे फाटक निवासी जितेन्द्र उर्फ जीतू सैनी व गुवार गांव के पास स्थित ढाणी मोटावाली के निवासी मुकेन्द्र उर्फ विकास ने कमलेश का सहयोग किया था। विशिष्ट लोक अभियोजक यशपासिंह महला ने बताया कि वारदात जिले के ग्रामीण क्षेत्र में वर्ष 2017 में 16 जनवरी को हुई। घर में सो रही नाबलिक बालिका का कमलेश ने अपने साथियों के साथ अपरहण कर लिया। बालिका के साथ सीकर जिले के साथ बड़ौदा व नासिक में 20 से अधिक दिनों तक बलात्कार किया गया। बाद में बालिका को बस में बैठाकर सीकर भेज दिया गया। यहां पहुंच कर उसने पुलिस व परिजनों को अपनी पीड़ा बताई। इस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में चालान पेश कर दिया। पूर्व लोक अभियोजक शिव रतन शर्मा ने बताया कि मामले में 26 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए। साथ ही 32 दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए। मामले में न्यायालय ने आरोपी कमलेश को दस वर्ष के कठोर करावास और 50 हजार रुपए के जुर्माना, जितेन्द्र और मुकेन्द्र को पांच-पांच वर्ष के कठोर कारावास और 10-10 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।

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