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नाविका द्वारा राहुल गांधी के लिए आपत्तिजनक शब्द, रणनीति का हिस्सा?

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नाविका कुमार (Navika Kumar) का नाम उन न्यूज़ रीडर्स मे आता है जो जल्दी से जल्दी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की नजरों में आना चाहते हैं. नाविका कुमार लगातार वह काम करती रही है जिससे वह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व, भाजपा के नेताओं और भाजपा के समर्थकों की नजरों में ऊपर आ सके. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व, भाजपा के नेताओं और भाजपा के समर्थकों की नजरों में अच्छा बनने के लिए क्या करना पड़ता है?
भाजपा से जुड़े हुए लोगों की नजरों में अच्छा बनने के लिए, चाहे न्यूज रीडर्स हो या फिर मीडिया संस्थाओं से जुड़े हुए किसी अन्य पद पर हो, सभी को सिर्फ एक काम करना रहता है, वह है विपक्ष को बदनाम. मीडिया संस्थानों से जुड़े हुए लोग जितना अधिक विपक्ष को, विपक्ष के नेताओं को टारगेट करते हैं, उतना ही आज के वक्त में इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि, वह भाजपा के नजदीक है या भाजपा के शीर्ष नेताओं के पसंदीदा है.
विपक्ष के नेताओं को गलत तरीके से जनता के बीच प्रस्तुत करना, विपक्ष के नेताओं पर अनर्गल आरोप लगाना आज मीडिया का पसंदीदा पेशा बन चुका है. टाइम्स नाउ की न्यूज़ रीडर नाविका कुमार की तरफ से लाइव डिबेट में इस देश के विपक्ष के सबसे बड़े नेता और गांधी परिवार के सदस्य, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को ब्लडी कहा गया. नाविका कुमार ने राहुल के लिए इस शब्द का इस्तेमाल अपने लाइव डिबेट में किया और उसके तुरंत बाद माफी मांग ली.
क्या यह नाविका कुमार की तरफ से गलती से बोला गया या फिर जानबूझकर? अगर कोई सभ्य और संस्कारी महिला हो या पुरुष, पब्लिक डोमेन में अपनी बात रख रहा है और अच्छे संस्कार उसे मिले हुए हैं तो चाहे वह सामने वाले का कितना भी बड़ा विरोधी हो, उसके लिए गलत शब्दों का चयन नहीं कर सकता. तो फिर नाविका कुमार की तरफ से गलती से ब्लडी शब्द राहुल गांधी के लिए कैसे निकला?
दरअसल पिछले 7 सालों के भारतीय मीडिया के चाल चरित्र और चेहरे को देखा जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि, विपक्ष के नेताओं के लिए, खास तौर पर कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए इनके मन में किस हद तक जहर भरा हुआ है. कांग्रेस और गांधी परिवार में भी सबसे अधिक अगर मीडिया के निशाने पर कोई रहता है तो वह राहुल गांधी है.
नाविका कुमार (Navika Kumar) ने राहुल के लिए ब्लडी शब्द का इस्तेमाल किया, उसके बाद लाइव शो में माफी मांग ली, सॉरी कहा. दरअसल यह पूरा ही स्क्रिप्टेड मालूम पड़ता है. नाविका कुमार की तरफ से विपक्ष के बड़े नेता के लिए ऐसे शब्द का इस्तेमाल गलती से भी नहीं किया जाना चाहिए था. लेकिन यह सबकुछ जानबूझकर किया गया है. दरअसल मीडिया संस्थानों से जुड़े हुए यह लोग जितना अधिक विपक्ष को निशाना बनाएंगे, विपक्ष के नेताओं को टारगेट करेंगे, उनसे सवाल करेंगे या उनके खिलाफ कुछ भी गलत बोलेंगे, खास तौर पर राहुल गांधी के खिलाफ उतना अधिक इन्हें भाजपा के समर्थकों का, भाजपा के नेताओं का समर्थन मिलेगा.
टीआरपी के लिए नाविका कुमार (Navika Kumar) ने यह सब कुछ किया है. ताकि बीजेपी के समर्थकों का समर्थन मिल सके, उनके नेताओं का जो अभी समर्थन है उससे भी अधिक मिल सके. नाविका कुमार भी प्रधानमंत्री मोदी की समर्थक है, यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है. लेकिन रजत शर्मा, अर्णव गोस्वामी, अंजना ओम कश्यप, रुबिका लियाकत, चित्रा त्रिपाठी, श्वेता सिंह, दीपक चौरसिया, अमीश देवगन जैसे जो पत्रकार और न्यूज रीडर हैं उनकी तरह नाविका कुमार को बीजेपी के नेताओं और समर्थकों द्वारा देखा नहीं जाता है.
शायद राहुल गांधी के खिलाफ ब्लडी शब्द का इस्तेमाल नाविका कुमार ने इसीलिए किया ताकि बीजेपी के नेताओं और उनके समर्थकों का ध्यान आकर्षित किया जा सके, गलत तरीके से ही सही लेकिन टीआरपी ली जा सके. हो सकता है यह सब कुछ कर के आने वाले वक्त में नाविका कुमार भी जो बड़े बीजेपी के समर्थक न्यूज रीडर और पत्रकार हैं उनकी ही लाइन में, उनकी बराबरी पर दिखाई दे. मीडिया संस्थाओं से जुड़े हुए बीजेपी समर्थक पत्रकार हो या न्यूज रीडर सभी राहुल गांधी की गलत इमेज बनाने में बीजेपी की कहीं ना कहीं मदद करते हुए पाए जाते रहे हैं.
टीआरपी और पैसों के लिए मीडिया आज बीजेपी के सामने नतमस्तक है. बीजेपी को खुश करने के लिए देश का चौथा स्तंभ तमाम मर्यादाओं को लांघ चुका है. यह वही महिला पत्रकार और न्यूज़ रीडर है, जिन्होंने किसानों को खालिस्तानी और नक्सली बताने में, देशद्रोही बताने में, पाकिस्तान के इशारे पर चलने वाला बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. दरअसल यह लोग सत्ता के चरणों में नतमस्तक होकर देश के अंदर नफरत की फसल उगा रहे हैं.
नफरत का बीज जो 6-7 साल पहले लगाया गया था वह पेड़ बड़ा हो चुका है. अब और बीज लगाए जा रहे हैं, ताकि फसल नफरत की हमेशा बनी रहे. देश की जनता को अब यह सोचना और समझना पड़ेगा कि क्या राजनीति इस स्तर तक वह पसंद करेंगे कि विपक्ष के नेताओं को लाइव डिबेट में गालियां दी जाए और सभ्यता की सारी सीमाएं पार कर दी जाएं? क्या विपक्ष के नेताओं को गालियां देने से महंगाई कम हो जाएगी? बेरोजगारी का जो पहाड़ खड़ा हुआ है वह खत्म हो जाएगा? मीडिया से जुड़े हुए लोग जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर डिबेट क्यों नहीं करते? महंगाई, बेरोजगारी, बदतर होती हुई स्वास्थ्य व्यवस्था और कानून व्यवस्था को लेकर सरकार से सवाल क्यों नहीं करते?
दरअसल हिंदू-मुसलमान, पाकिस्तान और विपक्ष के नेताओं को गाली देने जैसे मुद्दों पर इन्हें टीआरपी मिलती रहती है और इसी के सहारे यह देश की मौजूदा सरकार की नाकामियों को दबाने में भी कामयाब हो जाते हैं. टीआरपी और पैसों के लिए यह मीडिया चैनल्स देश और देश की जनता से ही गद्दारी कर रहे हैं.
The post नाविका द्वारा राहुल गांधी के लिए आपत्तिजनक शब्द, रणनीति का हिस्सा? appeared first on THOUGHT OF NATION.

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