सीकर. फलों के राजा आम का स्वाद चखने के लिए अब गर्मियों का इंतजार करना गुजरे जमाने की बात साबित हो सकती है। सीकर जिले में अब सर्दी के सीजन में भी आम का स्वाद चखा जा सकेगा। यह कर दिखाया है कि जिला मुख्यालय के पास लखीपुरा, पुरोहित का बास के किसान फूलचंद ने। अद्र्ध सैनिक बल से सेवानिवृत्त किसान ने बताया कि एक पेड़ से साल में पचास किलो से ज्यादा आम लिए जा सकेंगे। अच्छी बात है कि आम का बगीचा इस प्रकार से तैयार किया गया है कि उसमें अन्य परम्परागत फसल भी बोई जा सकती है और उन फसलों की सिंचाई के लिए प्रयुक्त पानी ही आम के पेड़ों को मिल रहा है। आम से लकदक पेडों की निराई गुड़ाई का काम करीब 79 साल के किसान नियमित रूप से कर रहे हैं।
पांच पौधों से की शुरूआत
जिले में सर्दी के समय बहुत कम और गर्मी के समय बहुत ज्यादा तापमान होने के कारण लेकिन जलवायु अनुकूल नहीं होने से आम के पौधे पनप नहीं पाते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हर साल नवाचार कर आम की गुठिलयों को उगाने का प्रयास करते रहे। इसके बाद उन्होने बगीचा लगाने की शुरूआत महज पांच पौधे लगाने से की। इसके लिए अनुकूल वातावरण और विशेषज्ञों की सलाह लेकर खाद का उपयोग किया और जब इन सभी पौधों से बेहतर उत्पादन मिलने लगा तो हौंसला बढ़ा और सेवानिवृत्ति के बाद उन्होने खुद के खेत में ग्राफ्टिंग के जरिए सात सौ से ज्यादा पौधे तैयार किए। जिनमें अल्फांसों, लंगड़ा, दशहरी, मलिका और बारह मासी किस्म के पौधे हैं। इन पौधों को ग्राफ्टिंग के बाद करीब 12 बीघा जमीन में लगाकर बगीचा तैयार किया है।
पेड़ों पर लगे आम हो जाते है बुकबकौल फूलचंद बिना रसायन पेड़ पर आम तैयार होने से लोग सीजन की शुरूआत से पहले ही बुकिंग करवानी शुरू कर देते हैं और आस-पास के लोग ही आम को ले जाते हैं। इसके अलावा अब कई लोग केरी के लिए भी कच्चे आम की एडवांस बुकिंग करवा देते हैं। जिससे न केवल उन्हें अतिरिक्त आय होती है वहीं दूसरी पराम्परागत फसल होने से दोहरा लाभ भी हो जाता है।
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