जयपुर.प्रदेश में अब पंचायत राज के चुनावों के बाद ही नई ‘कृषि विद्युत नीति’ जारी होगी। बिजली कंपनियों ने नीति को स्वीकृति के लिए सरकार को भिजवा दी है।
हालांकि पंचायत चुनावों की उलझन के कारण नीति जारी होने में दो से छह महीने का समय लगने की आशंंका है। इसका किसानों को सीधा नुकसान हो रहा है। अभी तक पंचायत चुनावों के अंतिम दौर को लेकर आशंकाएं है।प्रदेश में सामान्य श्रेणी में कृषि कनेक्शन के लिए फरवरी 2012 से दिसंबर 2019 तक के 3.12 लाख आवेदन बकाया है। हालांंकि एससी व एसटी के आवेदनों को प्राथमिकता से तुरंत डिमांंड नोटिस जारी किया जा रहा है। वहीं ड्रिप योजना में सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत हर साल करीब 50 हजार रुपए खर्च हो रहा है। ड्रिप योजना के कनेक्शनोंं का पूरा खर्चा उपभोक्ता को भुगतना पड़ता है।
3290 करोड़ के खर्चे से एक साल में कृषि कनेक्शन:सामान्य श्रेणी में एक कनेक्शन देने हेतु लाईन व ट्रांंसफार्मर स्थापित करने में औसतन दो लाख 53 हजार रुपए खर्च हो रहे है। यह खर्चा डिस्कॉम को अपने स्तर पर करना होता है।
सरकार के निर्देश पर जयपुर, जोधपुर व अजमेर डिस्कॉम ने 2018-19 में 31 जनवरी 2012 के आवेदन करने वाले दो लाख किसानों को डिमांड नोटिस जारी किया है।
इसमें से एक लाख 30 हजार कनेक्शन हो चुके है। इस पर तीनों बिजली कंपनियों ने 3290 करोड़ रुपए खर्च किया है।एक साल में भी नहीं बन पाई नीतिकांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाने के बाद भाजपा शासन काल में बनी ‘कृषि विद्युत नीति-2017को बदल कर किसानों के फायदे की नई सरल नीति बनाने की घोषणा की थी, लेकिन एक साल में भी नीति नहीं बन पाई।
इससे पहले भाजपा सरकार ने ही 2004 में कृषि विद्युत नीति बनाई थी। किसानों का कहना है कि अब पंचायत चुनावों का बहाना कर नीति पेडिंग की जा रही है।
बिजली कंपनियों ने 3290 करोड़ रुपए खर्च किया।