सीकर. राजस्थान के सीकर जिले में बलात्कार पीडि़ता के गर्भवती होने के मामले में खंडेला थानाधिकारी पर राजस्थान उच्च न्यायालय की अवमानना कार्रवाई की तलवार लटक गई है। पीडि़ता के गर्भवती होने की सूचना विधिक सेवा प्राधिकरण को नहीं भेजने को न्यायालय ने गंभीरता से लिया है। इसे राजस्थान उच्च न्यायालय की अवमानना मानते हुए थानाधिकारी व संबंधित चिकित्सा अधिकारी को नोटिस जारी किया है। कार्रवाई के लिए नोटिस की प्रति प्राधिकरण को भी भेजी गई है। इसके साथ ही थानाधिकारी व चिकित्सा अधिकारी को जवाब पेश करने के लिए सात दिन का समय दिया है।
जमानत आवेदन पर हुआ खुलासामामले का खुलासा गिरफ्तार आरोपी उत्तरप्रदेश के कानपुर के फजलगंज निवासी अनिल कुमार द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत आवेदन पेश किये जाने पर हुआ। विशिष्ट न्यायाधीश पोक्सो डॉ. सीमा अग्रवाल ने आरोपी का जमानत आवेदन खारिज कर दिया है। न्यायालय ने इस मामले में कहा कि पीडि़ता की सोनोग्राफी व मेडिकल रिपोर्ट से जाहिर है कि पीडि़ता छह माह की गर्भवती है। लेकिन थानाधिकारी व चिकित्साधिकारी ने पीडि़ता के गर्भवती होने की सूचना जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को नहीं भेजी है। जबकि राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेशानुसार गर्भावस्था की जानकारी होने के साथ ही तत्काल सूचना दिया जाना आवश्यक है। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में थानाधिकारी व चिकित्साधिकारी को नोटिस जारी किया जाए कि पीडि़ता के गर्भावस्था की जानकारी होने के बाद भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्ण कालिक सचिव को सूचित क्यों नहीं किया। क्यों न संबंधित थानाधिकारी व चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना किए जाने के कारण अवमानना की कार्रवाई की जाए। इस संबंध में थानाधिकारी व चिकित्सा अधिकारी कोई स्पष्टीकरण रखना चाहते हैं तो सात दिन में पेश करें। इस आदेश की एक प्रति पूर्ण कालिक सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को उक्त न्यायिक दृष्टांत में दिए गए निर्देशों के अनुसार आवश्यक कदम उठाने के लिए व की गई कार्रवाई से इस न्यायालय को सूचित किए जाने के लिए प्रेषित की गई है।
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