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उस्ताद की राह पर तो नहीं टी-104, चार बार टे्रकुंलाइज हो चुका है बाघ

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सवाईमाधोपुर. रणथम्भौर के चर्चित बाघ उस्ताद ने चार लोगों पर हमला कर उनकी जान ली थी। इसके बाद उसे रणथम्भौर से उदयपुर के सज्जनगढ़ बॉयोलोजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिया गया था। अब बाघ टी-104 भी उसके नक्शे कदम पर है। बाघ टी-104 ने फरवरी में रणथम्भौर की कुण्डेरा रेंज के पाडली गांव में शौच करने गई एक महिला का शिकार कर लिया था। कैलादेवी अभयारण्य के दुर्गेशी घटा वन क्षेत्र में एक चरवाहे के शिकार का शक भी टी-104 पर ही है।
अब तक चार बार किया जा चुका है टे्रकुंलाइज बाघ टी-104 रणथम्भौर के इतिहास में सबसे अधिक बार टे्रकुंलाइज होने वाला बाघ भी है। विभाग की ओर से टी-104 को अब तक चार बार टे्रकुंलाइज किया जा चुका है। पहली बार फरवरी में कुण्डेरा में महिला का शिकार करने के बाद बाघ को टे्रकुंलाइज किया गया था। इसके बाद यह धाकड़ा वन क्षेत्र में बाघ टी-64 के साथ संघर्ष में घायल हो गया था। तब बाघ को टे्रकुंलाइज कर उपचार किया गया था। इसके बाद गत दिनों बाघ को कैलादेवी अभयारण्य में टे्रकुंलाइज किया गया और इसके बाद बाघ को फलौदी रेंज में छोडऩे गई वन विभाग की टीम का कैंटर खराब होने के कारण बाघ को एक बार फिर टे्रकुंलाइज कर पिंजरे में शिफ्ट किया गया था।
उस्ताद को भी किया था चार बार टे्रकुंलाइज : इसके उलट वन विभाग की ओर से उस्ताद(टी-24) को भी चार बार टे्रकुंलाइज किया गया था। सबसे पहले 2009 में पांव में चोट के कारण पहली बार टे्रकुंलाइज किया गया था। इसके बाद 2010 में उस्ताद का कॉलर हटाने के लिए और 24 जनवरी 2015 को उस्ताद को पेट की परेशानी के कारण और फिर 2015 में ही उस्ताद को रणथम्भौर से उदयपुर के सज्जनगढ़ बॉयोलोजिकल पार्क में शिफ्ट करने के लिए टे्रकुंलाइज किया गया था।
यह था उस्ताद 2005 में हुआ था उस्ताद का जन्म टी-22 बाघिन की संतान था उस्ताद 17 मई 2015 को उदयपुर किया शिफ्ट 4 बार किया था ट्रेकुंलाइज 4 लोगों की जान ली थी
उस्ताद ने टी-104 2016 में हुआ था टी-104 का जन्म टी-41 बाघिन ‘लैला की संतान है टी-104 4 बार किया अब तक टे्रकुंलाइज 1 महिला का कर चुका है शिकार 1 चरवाहे का शिकार करने की भी है आशंका
बाघ टी-104 ने अब तक केवल एक ही महिला का शिकार किया है। करौली में चरवाहे पर हमला करने वाले बाघ के टी-104 होने के अब तक साक्ष्य नहीं मिले है। ऐसे में उस्ताद से टी-104 से तुलना करना गलत है। रणथम्भौर में बाघों की संख्या अधिक होने के कारण भी बाघ बाहर आ जाते हैं। अरिंदम तोमर, पीसीसीएफ, जयपुर।

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