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पांच साल में पांच कदम भी नहीं चली ये सरकारी नौकरी, इंतजार में अटके भावी ‘जवान’

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सीकर/लक्ष्मणगढ़. प्रदेश में सरकारी नौकरियों में लापरवाही हर कदम पर सामने आ रही हैं। हालत यह है कि प्रदेश के युवाओं को एक भर्ती में नौकरी के लिए छह साल तक का भी इंतजार करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ सरकार कमेटी गठन के जरिए बेरोजगारों को नौकरियों में आश्वासन के छीटे देने का काम कर रही है। दरअसल, राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सब-इंस्पेक्टर भर्ती 2016 के अभ्यर्थियों को अभी भी नौकरी का इंतजार है। भर्ती में शामिल 511 चयनित अभ्यर्थियों का मेडिकल और पुलिस सत्यापन भी लगभग चार महीने पहले हो चुका है। इसके बाद भी राज्य सरकार की ओर से नियुक्ति नहीं देने से बेरोजगारों की आस टूट रही है। हालात यह है कि चयनित युवकों की नौकरी नहीं लगने से अब तो इनके सामने रोजी-रोटी का भी संकट भी खड़ा हो गया है। चयनित अभ्यर्थियों ने रविवार को कोरोनाकाल का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन भेजकर जल्द नियुक्ति देने की मांग की है।
2016 में मांगे गए थे आवेदनभर्ती में चयनित मीरण गांव निवासी दीपक, सीकर निवासी अजय, ललिता, तथा अलवर निवासी अयन, शीतल आदि ने बताया कि राज्य सरकार ने 2016 में पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के 330 पदों पर भर्ती निकाली थी। सरकार ने बाद में बेराजगार अभ्यर्थियों की मांग पर 181 पद बढ़ाते हुए कुल 511 पद कर दिए गए थे।
2018 में हुई लिखित परीक्षा
विज्ञप्ति जारी होने के बाद भी एसआई की लिखित परीक्षा विभिन्न कायदों के फेर में उलझी रही। इस वजह से परीक्षा का आयोजन वर्ष 2018 में हो सका। लिखित परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की 2019 में शारीरिक दक्षता परीक्षा ली गई। शारीरिक दक्षता परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों के साक्षात्कार पिछले वर्ष होने के बाद सरकार ने सितम्बर माह में फाईनल परिणाम जारी कर अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों का जनवरी व फरवरी माह में मेडिकल, पुलिस व दस्तावेज सत्यापन भी करवा लिया।
इधर, थानों में नफरी कम, कैसे जीतेंगे जंगप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे सरकारी सिस्टम को हिला कर रख दिया है। थाने व चौकियों में स्टाफ का टोटा लगातार सामने आ रहा है। इसके बाद अंतिम रुप से चयनित अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं देना सरकार की मंशा पर बड़ा सवाल खड़े कर रहा है। बेरोजगारों का कहन है कि सरकार ने एक सप्ताह में नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए तो कोविड गाइडलाइन की पालना करते हुए गांधीवादी तरीके से प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।
सरकारी के इंतजार में छोड़ दी प्राईवेट भी
सीकर निवासी रूपा ने बताया कि वह पहले निजी क्षेत्र में कार्यरत थी। निजी क्षेत्र के साथ-साथ तैयारी भी की। लेकिन अंतिम रुप से चयनित होने के बाद निजी क्षेत्र की नौकरी भी छोड़ दी। लेकिन कोरोनाकाल में सरकार खुद बेरोजगारों की परीक्षा ले रही है। कोरोना की वजह से निजी क्षेत्र में भी नौकरी नहीं मिल रही है। इसी तरह शिवम बेनीवाल का कहना है कि सरकार को हर भर्ती के साथ यह भी घोषित करना चाहिए कि इस भर्ती में अंतिम तौर पर इस वर्ष तक नियुक्ति दे दी जाएगी।

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