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Bhimtal:नियाग्रा वॉटरफॉल से कम नहीं भीमतल

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Aajkal Rajasthan/Tourism/Bhimtal waterfall राजस्थान का नाम आते ही जेहन में रेगिस्तान की कल्पना मन में हिलोरे मारने लगती है, लेकिन ऐसा नहीं है। राजस्थान में बहुत ही खूबसूरत और रमणीक स्थल भी जहां आपके मन को सुकून मिलेगा। ऐसी ही जगह है भीमताल जिसे देखकर आप कहेंगे कि यह जगह नियाग्रा वॉटरफॉल के कुछ कम नहीं है। इसी तरह सवाईमाधोपुर के शिवाड़ क्षेत्र में बना हुआ टापुर बांध भी इन दिनों पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

Bhimtal waterfall भीमतल झरना क्या और कैसा है?

बूंदी से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भीमतल इन दिनों पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। भीलवाड़ा और बूंदी जिले की सीमा पर स्थित यह खूबसूरत प्राकृतिक झरना है,Bhimtal waterfall in bundi जिसकी ऊंचाई 60 मीटर है। झरना इन दिनों देशी.विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सैकड़ों की तादाद में इस वॉटरफॉल का लुत्फ उठाने यहां लोग आ रहे हैं। इस झरने का सबसे मनोहर दृश्य इस झरने का पानी हैं, जो ऊंचाई से कुंड में गिरता है और फिर आगे बढ़ता है। झरने के ऊपरी छोर भीमतल बांध बना हुआ है। जिसकी भराव क्षमता 36 फीट है। बांध पूरी तरह लबालब हो गया है। बांध से पानी छोडऩे के दौरान झरने का प्रवाह और तेज हो जाता है। इस झरने का वीडियो सोशल वीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

भीमतल झरना कहाँ है?

भीमतल राजस्थान के बूंदी जिले में बिजौलिया मार्ग पर स्थित है। यहां पर प्राचीन भीमतल महादेव का मंदिर है। यह मंदिर जमीन से कुछ नीचे स्थित और वहां तक सीढि़यों से पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर की खासियत यहां अनवरत रूप से शिव का अभिषेक होना है। दरअसल, इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव यहां अज्ञातवास के दौरान आए थे। इस दौरान पीने के पानी का इंतजाम करने के लिए भीम ने अपने पैर को जमीन पर मारा तो वहां जलधारा फूट पड़ी। यह जलधारा आज भी बह रही है। इस कारण इस स्थान को भीमतल कहा जाता है। उसके बाद यहां शिव परिवार की स्थापना की गई।
इसी प्रकार सवाईमाधोपुर के जलप्रपातों व बांधों का नजारा बारिश में बेहद मनमोहक हो जाता है। शिवाड़ में हो रही बरसात से लबालब हुए टापुर बांध को देखने बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे है। तेज गति से बह रहा झरना हर किसी को आने को मजबूर कर रहा है। झरने से कल कल की आवाज सुनकर सैलानी खुद को भिगोने से रोक नही पा रहे है। अवकाश के दिनों में यहां विशेषकर भीड़ देखने को मिलती है। झरना देखने आए लोगों का कहना था कि बांध से बह रहा झरना सुनकर हम लोग यहां तक पहुंचे है। आपको बता दें कि टापुर बांध जयपुर से महज 90 किलोमीटर दूर है। टापुर का बांध सरकारी रिकॉर्ड में ढील बांध या गोपालपुरा बांध के नाम से दर्ज है।

भीमतल बांध का निर्माण किसने करवाया?

यहां लगे शिलालेख के मुताबिक जयपुर के तत्कालीन शासक सवाईमाधोसिंह द्वितीय ने संवत 1968 यानी सन् 1911 में इस बांध का निर्माण करवाया था। करीब 250 वर्गमील जलभराव क्षेत्र वाले इस बांध की क्षमता 1215 मिलियन क्यूबिक फीट थी। बांध से करीब 29 मील तक नहरें बनी हैं। यानी सिंचाई का बेहतरीन साधन। लेकिन यहां काश्तकारों की दुश्वारियां भी कम होती नहीं दिख रही। इस विशाल बांध के निर्माण में तब तीन लाख 9 हजार रुपए की लागत आई थी।

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