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विदेश से पढ़ाई करने वालों को बड़ा झटका, एनएमसी का ड्राफ्ट जारी

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सीकर. विदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को एनएमसी ने बड़ा झटका दिया है। एनएमसी की ओर से लगभग दस दिन पहले आगामी परीक्षा को लेकर ड्राफ्ट जारी किया गया है। यदि इस ड्राफ्ट पर मुहर लगती है तो विदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को बड़ा झटका लगना है। इसके तहत विदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को नैक्स्ट परीक्षा में शामिल होने के लिए सिर्फ दो मौके मिलेंगे। जबकि देश से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए कोई सीमा तय नहीं की है। इससे विदेश से डॉक्टरी करने वाले एक लाख से अधिक विद्यार्थियों के भविष्य पर तलवार लटक गई है।
एक अलग से परीक्षा भी देनी होगीनैक्स्ट परीक्षा मे भारत से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वालों को सिर्फ दो पेपर देने होंगे। जबकि विदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वालों को एक अलग से परीक्षा भी देनी होगी। ड्राफ्ट के जारी होते ही विदेश से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों में इसका विरोध भी शुरू हो गया है।
जहां से पढ़ाई वहां का पंजीयन भी अनिवार्य
नए नियम के तहत अब जिस देश से विद्यार्थी डॉक्टरी की पढ़ाई करके आएंगे वहां इंटर्नशिप के साथ पंजीयन भी कराना होगा। पंजीयन प्रमाण पत्र के बाद ही विद्यार्थी नैक्स्ट परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।
अब तक यह व्यवस्थाविदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई करके आने वाले विद्यार्थियों के लिए अब तक देश में एमएमजी परीक्षा की व्यवस्था लागू थी। इस परीक्षा का परिणाम 30 फीसदी तक अटका हुआ था।
यह है विद्यार्थियों की पीड़ा
केस एक: पढ़ाई एक जैसी, फिर भेदभाव क्यों
झुंझुनूं निवासी सुनील कुमार ने विदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए तीन साल पहले दाखिला लिया था। उस इस तरह के कोई नियम नहीं थे। सुनील का कहना है कि जब दुनियाभर में डॉक्टरी की पढ़ाई के एक जैसे मापदंड है तो फिर नैक्स्ट परीक्षा में सरकार भेदभाव क्यों करने पर तुली है।
केस दो: फिर देश में कैसे बढ़ेगी चिकित्सकों की संख्याजयपुर निवासी ओमप्रकाश भी विदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं। हालांकि कोरोना के कहर की वजह से वह ऑनलाइन पढ़ाई अपने घर से ही करने में जुटे है। उनका कहना है कि कोरोनाकाल में लगातार चिकित्सकों की कमी महसूस देशभर में की जा रही है। सरकार ने नए ड्राफ्ट में जहां से पढ़ाई वहां पंजीयन की अनिवार्यता भी की है। ऐसे में जब विद्यार्थी किसी दूसरे देश में पंजीयना करा लेगा तो वह फिर वहां भी प्रेक्टिस कर सकता है। इससे देश को नुकसान होगा।
नहीं कर सकेंगे कॉलेज में बदलाव
एक्सपर्ट वेदप्रकाश बेनीवाल व अतुल बापना का कहना है बताया कि नई गाइडलाइन के हिसाब से विद्यार्थी विदेश में भी कॉलेज नहीं बदल सकेंगे। इसका खामियाजा कई विद्यार्थियों को भुगतना पड़ सकता है। दुनियाभर के विद्यार्थियों से आने वाले सुझावों पर विचार करने के बाद ही ड्राफ्ट को कानूनीजामा पहनाया जाना चाहिए।

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