- Advertisement -
HomeNewsबिहार में राष्ट्रपति शासन के आसार, इसलिए बीजेपी को काटने और श्रेय...

बिहार में राष्ट्रपति शासन के आसार, इसलिए बीजेपी को काटने और श्रेय लूटने में लगे नीतीश कुमार

- Advertisement -

जिस तरह लगभग सभी विपक्षी दलों के साथ परोक्ष तौर पर बीजेपी भी अभी चुनाव टालने की मांग कर रही है, उससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समझ में आ रहा है कि इस बार बीजेपी उसके साथ बड़ा खेल कर सकती है और चुनाव राष्ट्रपति शासन में करवा कर उनका गणित कमजोर कर सकती है.
इसी अनुमान के साथ अब नीतीश कुमार बीजेपी को भी किनारे कर अपनी गाड़ी बढ़ा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय हैं तो भाजपाई और वह अस्पतालों का दौरा भी खूब कर रहे हैं लेकिन वास्तव में उनकी कुछ नहीं चल रही. नीतीश ने अपने सबसे चहेते प्रशासनिक अधिकारी प्रत्यय अमृत को इस विभाग की कमान दे दी है. एक समय झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के खास रहे आईएएस अधिकारी संजय कुमार बिहार में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव थे. उन्हें हटाकर कुछ दिनों के लिए ऐसे आईएएस अधिकारी को नीतीश ने खुद कमान सौंपी जिनके पास इस तरह का कोई अनुभव नहीं था.
डेढ़ महीने के अंदर उन्हें बदला और आखिरकार अपने सबसे पसंदीदा आईएएस अधिकारी प्रत्यय अमृत को स्वास्थ्य विभाग सौंप दिया. मंगल पांडेय को अब ट्वीटर के जरिये तस्वीरें दिखानी पड़ रही कि वह एक्टिव हैं जबकि प्रत्यय अमृत सीधे तौर पर हर दिन की जानकारी मीडिया के सामने रख रहे और कोरोना को लेकर तमाम दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं. नीतीश की दखल के कारण कई साल से डॉक्टरों का एकमुश्त तबादला नहीं कर पाने वाले मंत्री मंगल पांडेय को उम्मीद थी कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के ठीक पहले वह कुछ कर सकेंगे लेकिन अब डॉक्टर भी मनचाही पोस्टिंग की फरियाद लेकर उनके दर पर नहीं जा रहे.
नीतीश ने अन्य जगहों पर भी बीजेपी को काटने और श्रेय लूटने में पूरी ताकत झोंक दी है. बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वे पहले वह खुद करते थे. कारण चाहे जो हो, इस बार वह ऐसा नहीं कर रहे हैं. बीजेपी ने अपने सांसदों-विधायकों को सक्रिय होने का निर्देश दिया. इस पर अमल होता, उससे पहले ही नीतीश ने अपने जल संसाधन मंत्री संजय झा को हेलीकॉप्टर से घुमवा दिया. बाढ़ प्रभावित इलाकों में जेडीयू ने अपने नेटवर्क से राहत संबंधी कार्यों में भी तेजी ला दी है.
काम केवल बाढ़ ग्रस्त इलाकों में हो और वहीं के लोग जानें, इससे आगे की जिम्मेदारी नीतीश ने जेडीयू कोटे के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार को सौंपी है. बिहार में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्रालय पहली बार ऐसा सक्रिय दिख रहा है. मंत्रीया विभागीय सचिव रोज पूरी जानकारी लेकर मीडिया में आ रहे हैं और फोकस इस बात पर रह रहा है कि नीतीश कुमार कोरोना के साथ बाढ़ को संभालने में खुद लगे हैं.
नगर विकास विभाग बीजेपी के पास है और विभागीय मंत्री सुरेश शर्मा के विधानसभा क्षेत्र- मुजफ्फरपुर शहर में बारिश से भारी तबाही के बावजूद नीतीश सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. पटना में विभाग की छवि पिछले साल खराब हुई और इस साल मुजफ्फरपुर में जेडीयू की विभिन्न इकाइयों के नेता बारिश में शहरों की हालत पर लगातार नगर विकास विभाग के खिलाफ बयान दे रहे हैं और मंत्री सुरेश शर्मा के बयान का मजाक भी बना रहे हैं.
चाणक्य स्कूल ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा मानते हैं कि यह सब नीतीश को मजबूरी में करना पड़ा है- कोरोना की शुरुआत में जब मजदूरों की परेशानी सामने आ रही थी तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के पैटर्न को अच्छा और बिहार में मजदूरों के लिए उसी तरह की कोई व्यवस्था की मांग कर नीतीश को एक तरह से छेड़ दिया था. रही-सही कसर विधानसभा चुनाव को लेकर जेडीयू से बीजेपी के अलग स्टैंड ने पूरी कर दी.
क्षेत्रीय दलों की फिलहाल यह मजबूरी कई प्रदेशों में दिखती है कि वह बीजेपी के भले साथ हो लेकिन उसके प्रति आंखें मूंदकर नहीं रह सकती. यही नीतीश भी कर रहे हैं. दरअसल, बिहार में राष्ट्रपति शासन की आवाज धीरे-धीरे बुलंद होती जा रही है. बीजेपी ने चुनाव आयोग को कोरोना काल में निर्वाचन को लेकर सावधानियों पर सलाह तो दी है लेकिन यह भी कहा है कि अभी चुनाव की संभावना तलाशना लोगों की जान को खतरे में डालना है. नीतीश को बीजेपी के इसी स्टैंड में साजिश नजर आ रही है.
The post बिहार में राष्ट्रपति शासन के आसार, इसलिए बीजेपी को काटने और श्रेय लूटने में लगे नीतीश कुमार appeared first on THOUGHT OF NATION.

- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -