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सरकार और किसानों के बीच आज बातचीत, ठोस नतीजा नहीं निकलने पर किसानो ने दी बड़ी चेतावनी

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केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं. देशभर में जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच किसान संगठनों और सरकार के बीच कानून पर बने गतिरोध को सुलझाने के लिए आज तीसरे दौर की बातचीत होगी. हजारों की संख्या में किसान दिल्ली और उसकी सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
चिल्ला बॉर्डर (दिल्ली नोएडा लिंक रोड) पर विरोध प्रदर्शन में बैठे एक किसान ने कहा, यदि केंद्र सरकार के साथ आज की बातचीत पर कोई ठोस नतीजे नहीं निकलते हैं तो हम संसद का घेराव करेंगे. किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन तेज होता जा रहा है. नये कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार और किसान नेताओं की पांचवें दौर की वार्ता शनिवार को होगी.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश इस बैठक में उपस्थित होंगे. ये उन बिंदुओं पर विचार-विमर्श करेंगे जो किसान नेताओं ने उठाए थे और उसका समाधान पेश करेंगे. किसान संगठनों ने शुक्रवार को बैठक की. बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्च की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने बताया कि हमने मीटिंग में तय किया है कि तीनों कानून को रद्द करे बिना नहीं मानेंगे. उन्होंने बताया कि सरकार कुछ संशोधन करने को तैयार है लेकिन हमने सरकार से साफ कहा है कि सरकार तीनों कानून वापस ले.
किसान नेताओं ने कहा कि हम 8 दिसंबर को पूरे देश के टोल प्लाजा फ्री करेंगे और जो दिल्ली के बचे कुचे रास्ते हैं उन्हें भी बंद करेंगे. किसानों कहा है कि वो कल 5 दिसंबर को पीएम मोदी के पुलते जलाएंगे. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने उन प्रावधानों के संभावित समाधान पर काम किया है, जिन पर कृषि नेताओं ने आपत्तियां जताई हैं. सरकार ने शनिवार को गतिरोध भंग होने की उम्मीद जताई है ताकि किसानों का विरोध प्रदर्शन जल्द से जल्द खत्म हो.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने धमकी दी है कि अगर सरकार मांगों को पूरा करने में विफल रही तो किसानों का आंदोलन तेज होगा. टिकैत ने कहा, बृहस्पतिवार को हुई बैठक के दौरान सरकार और किसान किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंच पाये. सरकार तीन कानूनों में संशोधन करना चाहती है, लेकिन हम चाहते हैं कि कानूनों को पूरी तरह से निरस्त किया जाए.
राकेश टिकैत ने कहा, यदि सरकार हमारी मांगों पर सहमत नहीं होती है, हम विरोध जारी रखेंगे. हम यह देखना चाह रहे हैं कि शनिवार की बैठक में क्या होता है. किसान आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. शीर्ष अदालत में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसानों को हटाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि इस प्रदर्शन से COVID-19 के प्रसार का खतरा पैदा हो गया है. साथ ही लोगों को आने-जाने में भी दिक्कत हो रही है.
किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि नए कानून ‘‘किसान विरोधी” हैं और ये एमएसपी प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे तथा किसानों को बड़े निगमित कंपनियों (कार्पोरेट) की रहम पर छोड़ दिया जायेगा. हालांकि, सरकार कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत करेंगे.
किसान संगठनों के साथ चर्चा से पहले प्रधानमंत्री आवास पर किसान आंदोलन को लेकर अहम बैठक हुई. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद हैं. यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब आज दोपहर में किसान संगठनों के साथ सरकार बातचीत करने वाली है. सरकार की कोशिश कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को खत्म करने की है.
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