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कृषि विधेयक पर नवजोत सिंह सिद्धू ने उठाए सवाल

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केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों को लेकर पंजाब की राजनीति में हलचल मची हुई है. बीते दिनों कांग्रेस और अकाली दल इस बिल का खुला विरोध कर चुके हैं.
इन सब के बीच अब कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि वह इन विधेयकों के खिलाफ हैं और वह किसानों के साथ विधेयक के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे. पंजाब के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को कहा कि वह अपने संसदीय क्षेत्र अमृतसर (पूर्व) में इस बाबत हो रहे प्रदर्शनों में शामिल होंगे.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के बिल का जवाब देने का कानूनी समाधान इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना है. सिद्धू ने यह घोषणा ऐसा समय की है, जब पार्टी ने अपने सांसद/विधायकों को सदन द्वारा पारित कृषि बिल के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए कहा है.
किसान पंजाब की आत्मा हैं- सिद्धू
सिद्धू ने मीडिया से कहा कि किसान पंजाब की आत्मा हैं और आत्मा पर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ये बिल किसानों और मजदूरों की कीमत पर बड़ें पूंजीपतियों के फायदे में होगा. यह भारत के संघीय ढांचे को बुरी तरह से प्रभावित करेगा. कांग्रेस नेता ने कहा कि बिल 28,000 आढ़तियों और पंजाब में 4-5 लाख मंडी में काम करने वाले लोगों की आजीविका को छीन लेगा, जिनके पास 1850 बिक्री केंद्र हैं.
पंजाब के विधायक एवं पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने संसद में पारित कृषि संबंधी विधेयकों को मंगलवार को ‘‘काला कानून’’ करार दिया जो कृषक समुदाय को ‘‘बर्बाद’’ कर देगा. क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने घोषणा की कि वह प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में सड़क पर उतरेंगे. उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों, किसान संगठनों और प्रत्येक पंजाबी को इस किसान विधेयकों के क्रियान्वयन का मजबूती से विरोध करने के लिए हाथ मिलाना चाहिए.
सिद्धू ने कुछ दिन पहले ट्विटर का इस्तेमाल करते हुए किसानों के समर्थन में आवाज उठायी थी और कहा था, पंजाब, पंजाबियत और पंजाबी किसानों के साथ है. संसद के दोनों सदनों ने कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों जैसे विपक्षी पार्टियों के विरोध के बीच कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी है. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को मंगलवार को राज्यसभा में पारित कर दिया गया.
सिद्धू ने अपने यूट्यूब चैनल ‘जीतेगा पंजाब’ पर मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि वह इन विधेयकों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा, ये काले कानून लाकर, सरकार किसानों को दरकिनार कर रही है. सिद्धू ने यह भी सुझाव दिया कि कृषक समुदाय के हितों की रक्षा के लिए एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार किया जाए. उन्होंने छह रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का उल्लेख करते हुए कहा, यह एक इस्तेमाल करो और फेंको नीति है.
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि केंद्र की सरकार ने चार से पांच लाख करोड़ रुपये कर माफ करके और करों में सब्सिडी और छूट देकर उद्योगपतियों की लीक से हटकर मदद की है. हालांकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बारी आती है तो इतना हो हल्ला होता है. ये काले कानून किसानों को बर्बाद कर देंगे.
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