राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का आज कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है. देश के अलग-अलग राज्यों कांग्रेस आज किसान अधिकार दिवस मना रही है. जिसका नेतृत्व राहुल गांधी कर रहे हैं. कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली के राजभवन का घेराव किया, वहीं उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में कांग्रेस नेता प्रदर्शन करते नजर आए.
प्रियंका और राहुल ट्रक में सवार होकर प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे, इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा कि 3 कृषि कानून किसानों को खत्म करने के लिए लाया गया है. अगर हमने इसे अभी नहीं रोका तो दूसरे सेक्टर्स पर भी इसका असर पड़ेगा. राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी हिन्दुस्तान को नहीं समझ रहे हैं, वो सोचते हैं कि किसानों में शक्ति नहीं है और ये 10-15 दिन में चले जाएंगे, क्योंकि नरेंद्र मोदी किसान की इज्जत नहीं करते. नरेंद्र मोदी हिन्दुस्तान का किसान नहीं डरेगा, नहीं हटेगा और भागना आपको पड़ेगा.
बता दें कि इस बीच केंद्र सरकार और किसानों के बीच बैठक चल रही है, इससे पहले 8 राउंड की बैठक हो चुकी है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकला था, अब आज केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को एक बार फिर बातचीत का दौर चला. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के बाद सरकार-किसान के बीच हुई ये पहली बैठक है, लेकिन इस बार भी कुछ अलग नहीं दिखा. किसान संगठनों की ओर से अब भी कृषि कानून वापस लेने की मांग की जा रही है, जबकि सरकार संशोधनों का हवाला दे रही है. ऐसे में ये गतिरोध किस तरह खत्म होता है, इसपर हर किसी की नज़रें हैं.
सरकार और किसानों के बीच तीनों कानूनों को लेकर गतिरोध अभी बना हुआ है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम तीनों कानूनों को वापस नहीं लेंगे, लेकिन हम संशोधन करने को तैयार है. जबकि बैठक में किसानों ने सख्त रुख अपनाया और कहा कि तीनों कानून तो वापस लेने पड़ेंगे उससे कम हम मानेंगे नहीं. बैठक में कृषि मंत्री की ओर से किसानों को गिनाया गया कि देश में बड़े स्तर पर किसान कानून के समर्थन में हैं, जबकि किसानों ने कहा कि फिर भी देशभर में प्रदर्शन हो रहा है. सरकार के साथ बैठक में किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को फिर से नकार दिया है.
किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कानून वापस लिए जाएं. दूसरी ओर सिख फॉर जस्टिस संगठन की ओर से चीफ जस्टिस बोबड़े को चिट्ठी लिखी गई है, जिसमें उन्होंने अपील की है कि किसानों को 26 जनवरी को केसरी ट्रैक्टर रैली निकालने से ना रोका जाए. किसान नेता राकेश टिकैत ने बयान दिया है कि अगर सुप्रीम कोर्ट कहेगा तो किसान अपनी रिपब्लिक डे वाली ट्रैक्टर परेड को वापस ले लेंगे.
आपको बता दें कि किसानों ने कृषि कानून के खिलाफ 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है, जो लालकिले तक होगी. किसानों के लगातार बढ़ते जा रहे आंदोलन से निपट पाने में परेशान मोदी सरकार को विपक्ष के हमलों का भी सामना करना पड़ रहा है. विपक्षी दलों में कांग्रेस विशेषकर कृषि क़ानूनों को लेकर खासी मुखर है. राहुल गांधी इस मसले पर पंजाब में ट्रैक्टर यात्रा निकालने से लेकर लगातार ट्वीट कर सरकार पर दबाव बढ़ा रहे हैं. गुरूवार को मदुरै पहुंचे राहुल ने कहा कि वे किसानों के साथ खड़े हैं और आगे भी खड़े रहेंगे.
राहुल ने कुछ दिन पहले कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पार्टी नेताओं के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाक़ात कर उन्हें दो करोड़ हस्ताक्षर और एक ज्ञापन भी सौंपा था. ज्ञापन में इन तीनों कृषि क़ानूनों को तुरंत निरस्त करने की मांग की गई थी और इन्हें किसान, कृषि और ग़रीब विरोधी बताया गया था. किसान आंदोलन से प्रभावित राज्य हरियाणा में भी कांग्रेस ने राजभवन का घेराव किया है. हरियाणा में सरकार चला रही बीजेपी-जेजेपी के विधायकों में किसान आंदोलन के कारण खलबली है और उन्हें हर जगह किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने चंडीगढ़ में प्रदर्शन किया. कुमारी शैलजा का कहना है कि सरकार कृषि क़ानूनों को रद्द करने के बजाए बातचीत का नाटक कर रही है. उन्होंने कहा कि अब तक 60 से ज़्यादा किसानों की मौत हो चुकी है. हुड्डा ने कहा कि इस कठिन वक्त में कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है और उनकी हरसंभव मदद कर रही है. पंजाब में तो कांग्रेस इन कृषि क़ानूनों को लेकर खासी मुखर है ही और किसानों के समर्थन में लगातार प्रदर्शन कर रही है. पंजाब से कांग्रेस के कई सांसद पिछले एक महीने से दिल्ली के जंतर-मंतर पर इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ धरना दे रहे हैं.
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