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राजस्थान में आठ साल में 880 से अधिक जनप्रतिनिधि हुए अयोग्य घोषित

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सीकर.प्रदेश में अयोग्य माननीय का कुनबा हर साल बढ़ता जा रहा है। पिछले आठ साल में 880 से अधिक माननीय पंचायतीराज की सत्ता के गलियारों से क्लीन बोल्ड हुए है। पंचायतीराज विभाग की ओर से विभिन्न शिकायतों पर एक साल में औसत 140 से 165 जनप्रतिनिधियों को अयोग्य घोषित किया गया है। जबकि पिछले 12 सालों में 1870 से अधिक जनप्रतिनिधि अयोग्य घोषित हुए है। इनमें से 15 फीसदी से अधिक दागदार जनप्रतिनिधि तो ऐसे है जिनको चुनाव लडऩे के भी अयोग्य घोषित कर दिया है। वहीं पंचायतीराज विभाग ने 3260 शिकायतों को जांच के नाम पर उलझा रखा है। इसके बाद भी सत्ता के सहारे चहेते जनप्रतिपिनिधियों को बचाने का खेल पर्दे के पीछे से जारी है। कई जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को पांच साल से अधिक का समय भी गुजर गया लेकिन अंतिम फैसला नहीं सुनाया गया।कहां कितने अयोग्य घोषित हुए सरपंचजयपुर 132कोटा 17झालावाड़ 12बूंदी 20बारां 07भरतपुर 6धौलपुर 4करौली 5सवाईमाधोपुर 07हनुमानगढ़ 7गंगानगर 27चूरू 16बीकानेर 34अलवर 40सीकर 56दौसा 30झुंझुनूं 49जालौर 22पाली 63सिरोही 41जोधपुर 22नागौर: 62अजमेर: 42टोंक: 17भीलवाड़ा 37बाड़मेर 01बांसवाड़ा 2चित्तौडगढ़ 8उदयपुर 12डूंगरपुर 7राजसमंद 5अब तक प्रदेश में लंबित शिकायतों की स्थितिजिला प्रमुख 06प्रधान 104सरपंच 2100जिला परिषद सदस्य 4पंचायत समिति सदस्य 9वार्ड पंच 710इस तरह के मामलों में दागदार है नेताजीप्रदेश के पंचायतीराज के जनप्रतिनिधि मुख्य तौर पर पांच तरीके से दागदार है। इनमें से 35 फीसदी के उपर भ्रष्टाचार के दाग लगे है। जबकि अन्य फर्जी अंकतालिका, जाली पट्टे, गलत दस्तावेज जारी करने, पुराने मामलों में दोषी ठहराने व संतान संबंधी शिकायतों की वजह से अयोग्य घोषित हुए है।सरकार के साथ बदल जाते है आरोपप्रदेश में कई ऐसे जनप्रतिनिधि भी है जिनके सरकार के साथ आरोप व अयोग्यता के मापदंड भी बदल जाते हैं। खास बात यह है कि पिछले दस वर्षो में ऐसे भी 450 से अधिक जनप्रतिनिधि है जो अयोग्य घोषित होने के बाद अपील में शिकायत खारिज होने पर योग्य भी घोषित हो चुके है।किसी ने सौलर लाइट में घपला तो किसी ने भरी फर्जी हाजरीजब बचाने वाले अपने हो तो नियम-कायदों को कैसे ताक पर रखा जाता है, इसका भी बड़ा उदाहरण पंचायतीराज विभाग की शिकायतों में सामने आया है। किसी ने तय दर से दोगुना दरों पर सौलर लाइट लगवा ली तो किसी ने मनरेगा में फर्जी हाजरी फेल सरकार को चूना लगा दिया। ग्रामीणों की शिकायत व ऑडिट के आधार पर ऐसे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ गाज गिरी।

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