नरेंद्र शर्मासीकर. सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र लगाने वाले किसानों के लिए अब न तो बिजली के भारी-भरकम बिल जमा करवाने पड़ते हैं और न ही बिजली कटौती की समस्या है। यहां तक कि अंधेरे व सर्द रात में भी सिंचाई करने के झंझट से मुक्ति मिली हुई है। सौर ऊर्जा के प्रति किसानों के रुझान का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नवम्बर 2019 को स्वीकृत प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना के कम्पोनेंट ‘बी’ के अन्तर्गत प्रदेश में अब तक 60 प्रतिशत अनुदान पर 6496 कृषकों के यहां सौर ऊर्जा पम्प संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है, जबकि शेखावाटी में यह आंकड़ा 1375 तक पहुंच गया है। शेखावाटी के सीकर, चूरू व झुंझुनूं में सरकारी योजनाओं के तहत तथा किसानों द्वारा अपने स्तर पर 1300 से अधिक सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। दूसरी तरफ 1000 से अधिक आवेदन लम्बित हैं।गौरतलब है कि राजस्थान का आधे से ज्यादा भाग मरुस्थलीय है, यहां सूरज का प्रकाश अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा समय तक रहता है। इससे जहां प्रदेश में वनस्पति और खेती पर नकारात्मक असर पड़ता है, लेकिन वैज्ञानिक युग ने इस समस्या को सुविधा में बदल दिया है। अब यहां इसका फायदा उठाया जा रहा है। फायदा यह कि इससे प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन की ज्यादा संभावनाएं हैं। न इंतजार, न परेशानी डिस्कॉम में कृषि श्रेणी के कनेक्शन लेने वाले हजारों किसानों के कनेक्शन वर्षों से लम्बित हैं। जिन किसानों को कनेक्शन मिले हुए हैं, उन्हें बिजली के भारी-भरकम बिलों को भरने में दिक्कत रहती है। साथ ही सीजन के समय में पूरी बिजली नहीं मिलती, जो मिलती है वो भी रात की पारी में, जिससे किसानों को अंधेरे में, सर्दी की ठंडी रात में सिंचाई करनी पड़ती है। किसी भी फसल का उत्पादन उस को समय से दी जाने वाली सिंचाई पर निर्भर करता है। किसान भले ही खेती में उन्नत बीज और तकनीकी का प्रयोग कर लें, लेकिन फसल की सिंचाई समय पर न की जाए, तो फसल के पूरी तरह से नष्ट होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में सौर ऊर्जा अच्छा विकल्प बनी है, जिसके तहत किसान दिन में सिंचाई कर लेता और एक बार खर्चा करने के बाद बिल भरने के झंझट से भी मुक्ति मिल जाती है। कुसुम योजना में 6496 कृषक लाभान्वित भारत सरकार द्वारा स्वीकृत प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम) योजना के कम्पोनेंट ‘बी’ के अन्तर्गत प्रदेश में अब तक 60 प्रतिशत अनुदान पर 6496 कृषकों के यहां सौर ऊर्जा पम्प संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है। विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी थी। सरकार ने बताया कि उक्त योजना के अन्तर्गत 25,000 सौर ऊर्जा पम्प संयंत्र स्थापना के लिए 30 प्रतिशत केन्द्रीयांश अनुदान के लिए प्रथम किश्त के रूप में 68.97 करोड़ रुपए एवं 30 प्रतिशत राज्यांश अनुदान के लिए 267.00 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई है।किसानों को 60 प्रतिशत अनुदानसौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वाले किसानों को कुसुम योजना के तहत 60 प्रतिशत अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। किसानों के लिए फायदे की बात यह भी है कि वे अपने हिस्से से लगने वाली 40 प्रतिशत राशि में से 30 प्रतिशत तक का बैंक से लोन से ले सकते हैं। योजना का मकसद किसानों की डीजल व बिजली पर निर्भरता कम करना है। इससे किसान को तो आर्थिक रूप से फायदा होगा ही, साथ ही प्रदूषण भी कम होगा। गौरतलब है कि इन दिनों डीजल व बिजली बिलों की कीमतें दिनों-दिन आसमान छू रही हैं, ऐसे दौर में किसान का इस योजना को लेकर खासा रुझान दिखा रहे हैं।कहां कितने संयंत्रअजमेर 366अलवर 199बांडवाड़ा 5बारां 36बाड़मेर 86भरतपुर 81भीलवाड़ा 162बीकानेर 262बूंदी 128चित्तौडगढ़़ 113 चूरू 901दौसा 85धौलपुर 0डूंगरपुर 0गंगानगर 271हनुमानगढ़ 206जयपुर 1331जैसलमेर 155जालोर 101झालावाड़ 10झुंझुनूं 156जोधपुर 72करौली 32कोटा 31नागौर 70पाली 76प्रतापगढ़ 51राजसमंद 114सवाई माधोपुर 114सीकर 318सिरोही 169टोंक 722उदयपुर 73कुल 649610 एचपी तक के संयंत्र लगा सकते हैं किसान&पीएम कुसुम कम्पोनेंट-बी योजना के तहत किसान 7.5 एचपी क्षमता का अनुदानित संयंत्र स्थापित कर सकते हैं। इससे पहले 5 एचपी क्षमता के संयंत्र ही लगाए जाते थे। हालांकि योजना में 10 एचपी तक के सयंत्र भी स्थापित किए जा सकते हैं, लेकिन इनमें अनुदान 7.5 एचपी मानते हुए ही दिया जाता है। दिनेश जाखड़, कृषि विशेषज्ञ, सीकर
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