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उत्तर प्रदेश को लेकर मोदी और योगी की अलग अलग रणनीति

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जंग और चुनाव में सब कुछ जायज है. देश भर में बीते आठ सालों से सूबे दर सूबे जीत की इबारत लिखती आ रही भारतीय जनता पार्टी के यूपी में दोबार सत्ता हासिल करना सबसे अहम है. यूपी के रास्ते फिर दिल्ली में 2024 में कमल खिलेगा यह भी भाजपा के आलाकमान को बखूबी मालूम है. यूपी फतेह के लिए भाजपा राजनैतिक जंग में इस्तेमाल हो सकने वाले हर हथियार को बखूबी इस्तेमाल कर रही है.
जहां एक ओर प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ताबड़तोड़ दौरे कर प्रदेश भर में विकास परियोजनाओं के उद्घाटन व शिलान्यास की झड़ी लगा भाजपा को विकास का पर्याय बनाने में जुटे हैं वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अयोध्या से लेकर कैराना तक एक बार फिर से राजनीति में धर्म का तड़का लगा रहे हैं. यह महज संयोग ही नहीं है कि वर्तमान कार्यकाल के आखिरी महीनों में योगी एक बार फिर से कैराना जाकर पलायन के घाव कुरेद रहे हैं और मलहम लगा रहे हैं तो अयोध्या जाकर तीस साल पहले कारसेवकों पर हुए गोलीकांड की याद दिला रहे हैं.
विकास के साथ धर्मिक ध्रुवीकरण की मिलावट से सत्तारुपी उम्दा उत्पाद निकलेगा ये अंदाजा शायद भाजपा के लंबरदारों को बखूबी है. उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना से कथित रूप से हिंदुओं के पलायन को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया था. अब विधानसभा के चुनाव फिर से आ गए हैं और ऐसा साफ दिख रहा है कि बीजेपी इस बार भी इस मुद्दे पर राजनीति करेगी. हिंदुत्व की राजनीति करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को कैराना पहुंचे. यहां उन्होंने फिर से यही बात कही कि कैराना से हिंदुओं का पलायन हुआ था लेकिन अब यहां किसी की हिम्मत नहीं है कि दंगे और पलायन की स्थिति ला सके.
उन्होंने कहा हम पीड़ितों को मुआवजा देंगे. यहीं पर योगी कहते हैं कि घूम गया है धर्म चक्र, जो लोग मंदिर का नाम नही लेते थे मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं. मुजफ्फरनगर में मारे गए निर्दोषों की जाति कुछ लोगो को नजर नही आती थी. इसी तरह बीते सप्ताह जब गृह मंत्री अमित शाह लखनऊ के चुनावी दौरे पर आए थे तो उन्होंने भी कैराना से कथित पलायन के मुद्दे को जिंदा किया था. शाह ने कहा था कि पिछली सरकार में कैराना से पलायन शुरू हुआ था और आज उत्तर प्रदेश में किसी की हिम्मत पलायन कराने की नहीं है और पलायन कराने वालों का पलायन हो चुका है. कैराना इलाक़े से बीजेपी के पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने साल 2016 में यहां से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाया था.
उन्होंने कहा था कि मुज़फ्फरनगर के दंगों के बाद से यहां से लगभग 350 हिंदू परिवार पलायन कर चुके हैं. लेकिन बाद में वह अपनी बात से पलट गए थे और उन्होंने कहा था कि उन्होंने कभी भी सिर्फ हिंदुओं के पलायन का मुद्दा नहीं उठाया था. उन्होंने कहा था कि यहां मुद्दा कानून व्यवस्था और सुरक्षा का था. पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक बार फिर हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाया जा रहा है. 2013 में इस इलाक़े में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद किस दल को उत्तर प्रदेश में लगातार सबसे ज़्यादा सियासी फ़ायदा हुआ था, यह बताने की जरूरत नहीं है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलन के दौरान भी माहौल को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा चुकी है.
मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद हिंदू मतों का जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ था और 2014 के लोकसभा चुनाव, 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ी सियासी ताकत राष्ट्रीय लोक दल का सफाया हो गया था. ध्रुवीकरण का यह असर उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्सों में भी दिखा था. इससे पहले अयोध्या में हर साल दीवाली के मौके पर मनाए जाने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम में भी मुख्यमंत्री योगी ने लोगों को 1990 में कारसेवकों पर हुयी फायरिंग और इसके किरदारों की याद दिलायी थी. मुख्यमंत्री जहां अयोध्या में बन रहे राम के भव्य मंधिर को भाजपा व मोदी देन बता रहे हैं वहीं वो यह भी कह रहे हैं कि पहले की सरकारों में कब्रिस्तान में पैसा खर्च होता था और उनकी सरकार में मंदिर पर.
इसके बरअक्स दूसरी ओर भाजपा की एक और कवायद प्रदेश में विकास की तस्वीर पेश करने की भी है जिसके तहत चुनाव से ठीक पहले दनादन बड़ी परियोजनाओं के शिलान्यास व लोकापर्ण कराए जा रहे हैं. विकास की तस्वीर पेश करने की कमान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हाथों में ले रखी है. विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जहां यूपी में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दौरे तेज हो गए हैं वहीं विकास परियोजनाओं की सौगातें दनादन मिलने लगी हैं. अगले दो महीनों के भीतर प्रदेश में शिलान्यास व लोकार्पण का सिलसिला चलता रहेगा.
नंवबर व दिसंबर महीने में ही प्रदेश में एक दर्जन से ज्यादा बड़ी परियोजनाओं का लोकापर्ण व शिलान्यास करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं. पूर्वांचल एक्सप्रेस वे और काशी विश्वनाथ कारीडोर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद लोकापर्ण होगा तो जेवर अंतरर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, फिल्मसिटी व गंगा एक्सप्रेस वे जैसी बड़ी परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाएगा. इसके अलावा गोरखपुर का बंद पड़ा खाद कारखाना और गोरखपुर एम्स भी अगले माह दिसंबर तक शुरू हो जाएगा. तय हो चुका है कि नवंबर और दिसंबर में जनता के उपयोग वाली करोड़ों रुपए खर्च कर तैयार कराई गई कई मेगा परियोजनाएं जनता को सौंपी जाएंगी.
इसके तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में करीब 42000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार कराया गया 340.82 किमी लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे इस महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता को सौंपेंगे. करीब 36000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले गंगा एक्सप्रेस वे की आधारशिला प्रधानमंत्री दिसंबर में रखेंगे. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास जुलाई 2018 में आजमगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी ने किया था. इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झांसी आने का कार्यक्रम प्रस्तावित है. यहां वह रानी लक्ष्मी बाई की 193 वीं जयंती समारोह में शामिल होंगे और झांसी में नल के जरिए जल योजना समेत कई विकास परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाएंगे. इसके अलावा डिफेंस कॉरिडोर के तहत झांसी नोड में निवेश परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे. इसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) द्वारा झांसी नोड में लगाई जा रही फैक्ट्री के भूमि पूजन कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.
प्रदेश सरकार ने इसके लिए 183 हेक्टेयर जमीन भूमि आवंटित की है जहां 400 करोड़ रुपए का निवेश कर आकाश मिसाइल में उपयोग की जाने वाली प्रणाली का निर्माण किया जाएगा. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर जैसी परियोजना की सौगात जनता को देंगे. वाराणसी का काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण कार्य करीब-करीब पूरा हो गया. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना की शुरुआत मार्च 2019 में प्रधानमंत्री ने की थी. साथ ही प्रधानमंत्री गंगा एक्सप्रेसवे, जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी जैसी मेगा परियोजनाओं की आधारशिला भी रखेंगे. गंगा एक्सप्रेस वे यूपी का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे होगा.
करीब 36000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाला यह एक्सप्रेस वे 595 किमी लंबा होगा. मेरठ से शुरू होकर यह एक्सप्रेस वे प्रयागराज पर समाप्त होगा. दिसंबर में प्रधानमंत्री इस एक्सप्रेस वे की आधारशिला रखेंगे. इसी प्रकार गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में बनने वाले जेवर एयरपोर्ट और फिल्म सिटी के निर्माण की आधारशिला भी प्रधानमंत्री रखेंगे. उक्त परियोजनाओं के पहले प्रधानमंत्री पिछले महीने वाराणसी, कुशीनगर को कई विकास परियोजनाओं की सौगात दे चुके हैं. बीते महीने प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध की क्रीड़ास्थली सिद्धार्थनगर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में नौ नए राजकीय मेडिकल कॉलेजों की सौगात प्रदेश को दी थी.
गृहमंत्री अमित शाह भी 13 नवंबर को आजमगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय की आधारशिला रखेंगे. अब देखना यह होगा कि यूपी कि जनता आने वाले दिनों में विकास संग धर्म के इस मेन्यू को पसंद करती है या फिर किसानों की बदहाली, बेरोजगारी, मंहगाई, महामारी में लाचारी, भ्रष्टाचार, पटरी से उतरी कानून व्यवस्था जैसे सवालों को खड़ा कर रहे विपक्ष के साथ कदमताल करेगी.
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