कोटा. वर्धमान महावीर खुला विवि का 12वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को यूआईटी ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष प्रो. सीबी शर्मा, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी, विवि की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने 74 टॉपर्स को स्वर्ण पदक, 25 हजार 747 को उपाधियां प्रदान कीं। समारोह में स्वर्ण पदक व उपाधियां पाकर विद्यार्थियों के चेहरों पर स्वर्णिम आभा देखते ही बनती थी।
इससे पहले दीक्षांत समारोह की शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में सभी एकेडमिक अधिकारी मौजूद थे। विवि के कुलगीत से समारोह की शुरुआत की गई। उसके बाद कुलपति ने समारोह का आगाज किया। समारोह में दिसम्बर 2017 में एमए अर्थशास्त्र की परीक्षा में टॉपर अल्पा राठी और जून 2018 की एमएससी बॉटनी की टॉपर प्रिंयका व्यास को कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।
उसके बाद दिसम्बर 2017 में बीजे की परीक्षा के टॉपर विपिन बिहारी पाठक और जून 2018 की बीजे की परीक्षा के टॉपर डॉ. नवीन कुमार अजमेरा को करुणा शंकर त्रिपाठी मेमोरियल स्वर्ण पदक दिया गया। दिसम्बर 2017 में पीजीडीएलएल की परीक्षा के टॉपर विमल नंगल तथा जून 2018 की पीजीडीएलएल परीक्षा के टॉपर जयेश नंदवाना को पंडित लक्ष्मी नारायण जोशी मेडल प्रदान किया गया।
जून 2018 की एमएलआईएस परीक्षा के टॉपर व पीजीडीजीसी की दिसम्बर 2017 की परीक्षा के टॉपर पृथ्वीपाल सहारण को दो स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इसके अलावा दिसम्बर 2017 और जून 2018 की परीक्षाओं की उपाधियों के अलावा अगस्त 2018 से जुलाई 2019 तक की पीएचडी उपाधियां प्रदान की गई। यहां कुल 25747 उपाधियां बांटी गई।
आठ को पीएचडी की उपाधि
विवि के आठ विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि से नवाजा गया। इनमें मोनिका तलरेजा को वाणिज्य, प्रभात दीक्षित को पत्रकारिता, अनिल कुमार जैन, संजय कुमार, निधि प्रजापति व हेमन्त नामदेव समेत चार विद्यार्थियों को शिक्षा विषय, सुधांशु गौतम को लोक प्रशासन तथा राजेन्द्र सिंह राजावत को प्राणीशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई।
– शिक्षा चरित्र निर्माण का सबसे बड़ा साधन
समारोह को सम्बोधित करते हुए उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति के चरित्र निर्माण का सबसे बड़ा साधन है। इसमें उच्च शिक्षा की भूमिका और भी महत्वपूर्ण है। उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों का दायित्व है कि नई पीढ़ी में देशभक्ति, उत्तरदायित्व व अनुशासन के बुनियादी मूल्यों का समावेश करते हुए छात्रों को तैयार करें। इसके लिए शिक्षा की तीनों इकाइयां औपचारिक, अनौपचारिक और निरौपचारिक शिक्षा का उपयोग किया जा सकता है।
वर्धमान महावीर खुला विवि अपनी तरह का विशिष्ट विवि है। क्योंकि यहां ज्ञान के औपचारिक प्रसार की बजाय निरौपचारिक तरीकों पर जोर दिया जाता है। ऐसे लोग जो पढऩा चाहते है, आगे बढऩा चाहते है, परन्तु नौकरी के कारण या अन्य किसी कारण से नियमित रूप से महाविद्यालय, विवि नहीं जा पाते, उनके लिए खुला विवि किसी वरदान से कम नहीं है।
मेरा मानना है कि राज्य के इस एकमात्र खुला विवि को देश के उत्कृष्टतम शिक्षा केन्द्र के रूप में विकसित किया जाए ताकि जनसंख्या के बड़े हिस्से को उच्च शिक्षा का अवसर मिल सके। कार्यक्रम में विवि की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने राज्यपाल का संदेश पढ़कर सुनाया।
– जिस विवि से पढ़ाई, उसी का सम्बोधन
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष प्रो. सीबी शर्मा ने कहा, मैंने कोटा खुला विवि से अपना शिक्षण कार्य आरंभ किया और आज मैं आपके साथ अपने शिक्षण जीवन का सबसे सुखद अनुभव साझा करना चाहूंगा। मुझे वर्ष 2015 में दुनिया के सबसे बड़े मुक्त विद्यालय राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष का दायित्व दिया गया और वर्ष 2017 में भारत सरकार ने तेरह लाख सेवारत अप्रेशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण का दायित्व मेरी संस्था को दिया। यह व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए व संस्था के लिए महत्वपूर्ण अवसर था। मेरी संस्था ने प्रशिक्षण के इस काम को 18 माह में पूरा किया।
दीक्षांत समारोह: स्वर्णिम आभा से चमके चेहरे, 74 को मिला स्वर्ण पदक, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री ने नवाजा
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