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मिलिए इन रॉबिनहुड्स से जो बांट रहे हैं खुशियां

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मधुलिका सिंह/उदयपुर . पप्पू, महेंद्र, सपना, कंकू कुछ ऐसे बच्चे हैं जो कच्ची बस्तियों में रहते हैं। ये कभी कचरा बीनते थे तो कभी यूं ही सडक़ों पर भटकते रहते थे। लड़कियां घरों में काम में हाथ बंटाती थी लेकिन स्कूल जाना तो दूर की बात है, पढ़ाई के नाम पर अपना नाम भी सही से नहीं बता पाते थे। अब यही बच्चे अंग्रेजी में अपना इंट्रोडक्शन दे सकते हैं और स्कूल में भी जाते हैं। इन बच्चों के वर्तमान को सुधार कर भविष्य बनाने के मिशन में जुटी है रॉबिनहुड आर्मी।
7 गांवों में मिशन 5 किया पूरा
रॉबिनहुड आर्मी के चाहत अरोड़ा और ख्याति मेहता ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस पर पूरे देश भर में रॉबिनहुड आर्मी की ओर से मिशन 5 चलाया गया। इसमें उदयपुर जिले के 7 गांवों का चयन किया गया। इसमें खजूरी, साकरोदा टाक, पनाडिय़ा और ईसवाल में आने वाले 4 गांव शामिल थे। 160 रॉबिन्स की टीमों ने अलग-अलग गांवों में जाकर 14 हजार 1 सौ किलो राशन जिसमें दाल, आटा और चावल के एक-एक किलो और 5-5 किलो के पैक्स बनाकर बांटे। वहीं, 3 हजार 250 किलो फल भी बांटे। इसी तरह शहर की कच्ची बस्तियों में भी उन्होंने राशन का वितरण किया।
खाने को बर्बाद होने से बचा रहे
उन्होंने बताया कि रॉबिनहुड एकेडमी जुलाई 2016 से शुरू की गई जिसमें कच्ची बस्तियों के बच्चों को शिक्षा से जोडऩे का लक्ष्य रखा गया। इसमें ठोकर चौराहा और सेक्टर 6 की कच्ची बस्तियों में एकेडमी चलाई जाती है जहां 82-85 स्टूडेंट्स हैं। यहां सेक्टर 6 में एक जगह नियमित पढ़ाते हैं और दूसरी जगह सप्ताह में 2 बार। वहीं उन बच्चों में जो बदलाव आए हैं उसे ही वे उपलब्धि मानते हैं। वर्ष 2016 में अस्तित्व में आई रॉबिनहुड आर्मी से उदयपुर में अब तक कई रॉबिन्स जुड़ चुके हैं जिनमें सभी स्वेच्छा से सेवाएं देते हैं। कई लोग उन्हें बचे हुए खाने की जानकारी देते हैं, उनके पास खूब कॉल्स आते हैं लेकिन वे रात 11 बजे बाद कॉल पर नहीं जाते।

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