सीकर. आमजन को निजी अस्पताल में केसलेश उपचार मुहैया करवाने के लिए प्रदेश सरकार ने आयुष्मान भारत- महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना में आंशिक बदलाव किए हैं। योजना से जुडऩे के लिए अब निजी अस्पताल राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नए प्रमाण पत्र के साथ योजना के पूर्ववर्ती चरण में, जननी सुरक्षा योजना में, सीजीएचएस, एक्स सर्विसमैन कॉन्ट्रीब्यूटरी स्कीम, राज्य बीमा और भविष्य निधि विभाग में से किसी भी एक योजना से कम से कम दो साल जुड़े होने का प्रमाण प्रस्तुत करने पर भी उसे विकल्प के तौर पर स्वीकार किया जाएगा।
नाम और स्वामित्व नहीं बदला तो पात्रयोजना से जुडऩे वाले अस्पताल संचालक नाम और स्वामित्व बदले बिना अस्पताल का स्थान परिवर्तित करते हैं तो नए और दोनों स्थान की समयावधि को मिलाकर कार्यरत समय माना जायेगा। इसलिए उसे सभी जरूरी दस्तावेज और घोषणा पत्र विभाग को देना होगा। जबकि पूर्व में हॉस्पिटल की जगह परिवर्तित होने पर राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का सर्टिफिकेट नए सिरे से जारी होता था, जिससे दो साल से कार्यरत होने की अनिवार्य शर्त से निजी अस्पताल योजना से जुडऩे से वंचित रह जाता था।
जिले में 35 सरकारी और तीन निजी अस्पताल जुडेजिले के श्री कल्याण अस्पताल, उप जिला अस्पताल नीमकाथाना व अजीतगढ़ और 32 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इस योजना से जुड़ चुके है। नीमकाथाना के दो और रींगस का एक प्राइवेट हॉस्पिटल जुड़ गया है। योजना से अब तक प्रदेश के 735 सरकारी और 220 निजी अस्पताल जुड़ चुके हैं।
तीन माह में देना होगा प्रमाण पत्रयोजना से जुडऩे वाले अस्पतालो में कार्यरत चिकित्सको का राजस्थान मेडिकल काउंसिल से पंजीकृत होना जरूरी है लेकिन पंजीयन प्रमाणपत्र की अवधि पूरी होने के बाद नए पंजीयन के लिए आवेदन करने वाले ऐसे चिकित्सक सेवाएं दे सकेंगे। लेकिन उन्हे अगले तीन माह में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट विभाग को देना होगा जरूरी होगा।
यूनतम बेड संख्या की अनिवार्यता को किया 30 से 10योजना से जुडऩे वाले अस्पताल की कुल बेड संख्या की अनिवार्यता में भी आंशिक बदलाव कर आंखों और ईएनटी अस्पताल में न्यूनतम बेड संख्या को 30 से घटाकर 10 कर दी गई है। इससे इस श्रेणी के अस्पताल अब और ज्यादा योजना से जुड़ पाएंगे और लाभार्थियों को लाभ मिल सकेगा।
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