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HomeNewsममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी गलती कर दी?

ममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी गलती कर दी?

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मेघालय (Meghalaya) के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा (Mukul Sangma) सहित 12 विधायक कांग्रेस (Congress) के तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं. मेघालय में तृणमूल कांग्रेस अब मुख्य विपक्षी दल बन चुका है. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कांग्रेस को अब तक की सबसे बड़ी चोट दी है. क्योंकि ममता बनर्जी एनडीए से नहीं नहीं है और उन्होंने बीजेपी या किसी बीजेपी के सहयोगी दल को झटका नहीं दिया है, बल्कि देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी को ललकारने की और तोड़ने की कोशिश की है.
प्रशांत किशोर बड़ी रणनीति पर काम कर रहे हैं
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) अपनी शर्तों पर कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे, लेकिन उनकी शर्ते नहीं मानी गई. नतीजा यह हुआ कि पूरे देश में प्रशांत किशोर तृणमूल के लिए कांग्रेस को तोड़ने निकल पड़े हैं. आखिर प्रशांत किशोर यह सब कुछ क्यों कर रहे हैं? ममता बनर्जी कांग्रेस को चोट क्यों दे रही हैं? क्या यह बातें किसी से छुपी हुई हैं? ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में बीजेपी को हराया है और निश्चित तौर पर कांग्रेस के सहयोग से ही हराया है. जिस तरीके से दिल्ली में बीजेपी को अरविंद केजरीवाल ने हराया था ठीक उसी तरीके से ममता बनर्जी ने भी बीजेपी को पश्चिम बंगाल में मात दी.
जिस तरीके से अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते थे, ठीक उसी तरीके से ममता बनर्जी भी प्रधानमंत्री बनने के सपने पाल बैठी हैं. ठीक उसी तरीके से जैसे एक वक्त मायावती उत्तर प्रदेश जीतने के बाद प्रधानमंत्री पद का ख्वाब देखने लगती थी. ठीक उसी तरीके से जैसे मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश जीतने के बाद प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनने के ख्वाब देखते थे. क्षेत्रीय नेताओं की महत्वाकांक्षाए आसमान छूने लगती हैं. ममता बनर्जी के साथ भी वही हो रहा है.
क्या ममता बनर्जी के समर्थक पूरे देश में हैं? अगर ममता बनर्जी मेघालय में कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर मुख्य विपक्षी पार्टी बन बैठी हैं तो क्या चुनाव में भी वह मेघालय के अंदर जीत हासिल कर सकती हैं या फिर मुख्य विपक्षी दल बन सकती हैं? जिन कांग्रेसी विधायकों को ममता बनर्जी ने तोड़ा है, उन विधायकों को कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर जनता ने वोट दिया था. क्या ममता बनर्जी मेघालय के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर पाएंगी, इतना कॉन्फिडेंस प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी को है? दरअसल यह पूरी कवायद प्रशांत किशोर के इशारे पर हो रही है ताकि 2024 में विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी को नहीं बल्कि घोषित तौर पर ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री का चेहरा बनाया जाए.
विपक्ष की तरफ से ममता बनर्जी प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार बने क्या यह संभव है?
उम्र का लिहाज करके और अपने राज्य में चुनावी जीत हासिल करने पर भले ही विपक्षी पार्टियां ममता बनर्जी का सम्मान करती हो. लेकिन ममता बनर्जी का अड़ियल रवैया किसी भी क्षेत्रीय दल को, चाहे वह किसी भी प्रदेश का हो, पसंद नहीं है. मोदी के पास देश चलाने की नीतियां नहीं है. ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में ऐसा कौन सा काम किया है, रोजगार के क्षेत्र में जिसके दम पर पूरे देश की जनता जो मोदी का विरोध करती है वह उनके नाम पर वोट देगी? ममता बनर्जी ने कहा है कि वह उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात करेंगी.
लेकिन उद्धव ठाकरे की पार्टी बार-बार कहती आ रही है कि मोदी के विरोध में देश का नेतृत्व कांग्रेस के बिना संभव नहीं है और ममता बनर्जी अगर यह मानकर चल रही है कि कांग्रेस को कमजोर कर के वह कांग्रेस का समर्थन हासिल करेंगी, अपने नाम पर तो यह मुमकिन नहीं है. क्योंकि यह सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की कांग्रेस नहीं बल्कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की कांग्रेस है और राहुल और प्रियंका ममता बनर्जी जो कर रही हैं कांग्रेस के साथ वह भूल जाएं, माफ कर दें, यह मुमकिन नहीं लगता. ममता बनर्जी कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपने का काम कर रही है.
राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार नहीं किया. प्रियंका गांधी ने भी पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार नहीं किया, ममता बनर्जी का अंदर ही अंदर समर्थन किया. लेकिन ममता बनर्जी ने कांग्रेस के साथ क्या किया मेघालय में आसाम में? ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर में अगर इतना ही राजनीतिक दम है, इतने ही बड़े रणनीतिकार हैं प्रशांत किशोर तो ममता बनर्जी के लिए किसी बड़े बीजेपी के नेता को तोड़कर दिखाएं जो पश्चिम बंगाल से बाहर किसी प्रदेश का हो. बीजेपी के विधायकों जो पश्चिम बंगाल के नहीं हो उन्हें ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल करा कर दिखाएं प्रशांत किशोर.
दरअसल इसके पीछे खेल क्या है?
ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर यह रणनीति बना रहे हैं कि 2024 में विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी नहीं या फिर किसी दूसरे नेता का नाम नहीं बल्कि ममता बनर्जी का नाम सामने रखा जाए और ममता बनर्जी के नाम पर मोदी के सामने विपक्ष चुनाव लड़े. इसी रणनीति के तहत कांग्रेस को कमजोर करने का प्रयास ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर कर रहे हैं. प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी चाहते हैं कि कांग्रेस को कमजोर कर दो और पूरे देश में जितनी भी विपक्षी पार्टियां हैं उनके अंदर संदेश जाए कि कांग्रेस लड़ नहीं सकती. ममता बनर्जी आक्रामक रुख अपना सकती हैं मोदी के सामने और इसी के बेस पर ममता बनर्जी के नाम पर विपक्षी एकता बनाने की कवायद अभी से शुरू हो.
प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी को यह भली-भांति पता है कि बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस आखिर में खुद का नुकसान सहकर देश की खातिर उनके नाम का समर्थन करेगी ही और नहीं करेगी तो फिर देश के सामने यह बात रखी जाएगी कि कांग्रेस खुद नहीं चाहती है कि बीजेपी सत्ता से जाए. इसी ब्लैकमेलिंग द्वारा दिख रही सफलता के कारण ही प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी यह सब कुछ कर रहे हैं कांग्रेस के साथ.
गलती कर रही है ममता बनर्जी?
राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं कि जो बीजेपी और आरएसएस से जो डरता है वह कांग्रेस छोड़कर चला जाए. कांग्रेस छोड़कर चले जाना मतलब यही हुआ कि जो संघर्ष नहीं करना चाहता है वह दूसरी पार्टियों में चले जाए. ममता बनर्जी की पार्टी में जो नेता जा रहे हैं उनमें अधिकतर नेताओं को राज्यसभा का लालच देकर ममता बनर्जी अपनी पार्टी में शामिल करवा रही हैं. यानि जो नेता सत्ता की मलाई चाहता है वह कांग्रेस छोड़ रहा है. ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर मिलकर जो रणनीति अपना रहे हैं, उससे पूरे देश में यही संदेश जाएगा कि ममता बनर्जी विपक्षी एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है.
ममता बनर्जी की पार्टी सिर्फ एक प्रदेश की पार्टी है और वह अपने नाम पर सहमति बनाने के लिए ही सिर्फ कुछ राज्यों में हाथ पाव मारने की कोशिश कर रही हैं. बाकी उन्हें चुनाव में कोई लाभ नहीं मिलेगा यह उन्हें भी पता है. पूरे देश की जनता जो मोदी के विरोध में हैं उसके बीच यही संदेश जाएगा कि ममता बनर्जी मोदी को हराने के लिए नहीं बल्कि अपने प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए विपक्षी एकता को कमजोर कर रही हैं.
राहुल गांधी प्रशांत किशोर की शर्तों को पहले ही नकार चुके हैं. राहुल गांधी की नजर में जो व्यक्ति एक बार आ जाता है वह उस पर बराबर नजर बनाकर रखते हैं और यही बात प्रशांत किशोर के साथ भी होने वाली है. क्योंकि ममता बनर्जी को आने वाले विधानसभा चुनाव में गोवा, मेघालय या फिर किसी और राज्य में लड़ती हैं तो उन्हें सफलता बिल्कुल नहीं मिलने वाली, लेकिन वह कांग्रेस का कुछ वोट जरूर काटने का काम करेंगी. क्या वोट काटने वाली पार्टी को बीजेपी के सामने जनता वोट देगी या कांग्रेस को?
जनता की सहानुभूति कांग्रेस के साथ आएगी
देश की जनता देख रही है कि लगातार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जनता के मुद्दों पर बीजेपी से लोहा ले रहे हैं संघर्ष कर रहे हैं और बीजेपी को घुटनों पर आना भी पड़ रहा है लड़ाई कांग्रेस लड़ रही है लेकिन फायदा लेने की कोशिश क्षेत्रीय पार्टियां और उसके नेता कर रहे हैं जनता की सहानुभूति जरूर कांग्रेस के साथ होगी और ममता बनर्जी को जनता उसी तरीके से नकार देगी जिस तरीके से BJP को नकारने के लिए तैयार बैठी है. जनता भी सोच रही है की लड़ाई कांग्रेस लड़े, राहुल गांधी लड़े, प्रियंका गांधी लड़े और प्रधानमंत्री ममता बनर्जी?
पश्चिम बंगाल में अंदरूनी तौर पर तृणमूल कांग्रेस को समर्थन दिया राहुल गांधी ने. लेकिन तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ क्या कर रही हैं यह बात शायद राहुल गांधी भूलने वाले नहीं हैं. आने वाले वक्त में बीजेपी के साथ-साथ तृणमूल कांग्रेस भी पूरी कांग्रेस और राहुल गांधी के निशाने पर आ सकती है. ममता बनर्जी की पार्टी पश्चिम बंगाल में हिंसा करने के लिए जानी जाती है और ऐसी हिंसा करने वाली पार्टी की मुखिया देश की प्रधानमंत्री बने, यह देश की जनता नहीं चाहेगी और राहुल गांधी इन बातों को उठा सकते हैं आने वाले समय में.
इस वक्त देश में बेरोजगारी चरम पर है. महंगाई चरम पर है. चीन सीमा पर भी हालत ठीक नहीं है. इन मुद्दों को राहुल गांधी लगातार उठा रहे हैं. देश की जनता की लड़ाई राहुल गांधी लगातार सड़कों से लेकर संसद तक लड़ रहे हैं. कांग्रेस से जुड़े हुए संगठन लगातार सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन ऐसे वक्त में ममता बनर्जी अपने राजनीतिक लाभ के लिए कांग्रेस को तोड़कर शायद देश की जनता की आवाज को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. यह ममता बनर्जी की बड़ी राजनीतिक भूल हो सकती है.
ममता बनर्जी का अड़ियल रवैया जनता को भी शायद ही पसंद आए. भले ही पूरे देश की जनता है चाहती थी कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में ना जीते और बीजेपी को हराना था तो ममता बनर्जी का समर्थन भले किया हो. लेकिन ममता बनर्जी का रवैया देश की जनता को मोदी से शायद ही अलग दिखाई देता होगा. प्रियंका गांधी इस वक्त उत्तर प्रदेश के अंदर सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. ममता बनर्जी को एक्सपोज करने में प्रियंका गांधी ज्यादा समय लेंगे ऐसा लगता नहीं है. ममता से कहीं अधिक प्रियंका को लोग पसंद करेंगे.
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