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Mamta Banerjee 2024 के चुनाव में प्रधानमंत्री का चेहरा बनने दिल्ली नहीं आई हैं

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ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) का अभी इरादा भाजपा की जड़ें कमजोर करने का है. उन्होंने राजनीतिक मामलों के सलाहकार प्रशांत किशोर से भी मंत्रणा की है. इसके बाद वह राज्यों के आगामी विधान सभा चुनावों में भाजपा को हराने की रणनीति लेकर दिल्ली आई हैं.
राज्यों में भाजपा की कमर तोड़ने की तैयारी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) को भरोसा है कि त्रिपुरा के आगामी विधानसभा चुनाव में विप्लव देव की सरकार सत्ता में नहीं आएगी. वहां ‘खेला’ होगा. इसी तरह से वह भाजपा को उत्तरप्रदेश में बड़ी चोट देने के लिए विपक्ष के बीच में तालमेल की पक्षधर हैं. ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ औपचारिक मुलाकात करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट की.
सोनिया गांधी ने भेंट के दौरान ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) की राजनीतिक क्षमता की तारीफ की और राज्य में सरकार बनाने के लिए बधाई भी दी. दोनों नेताओं के बीच में केंद्रीय, क्षेत्रीय और राजनीति के अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई. कांग्रेस अध्यक्ष ने ममता बनर्जी को और ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष को परस्पर अपेक्षित सहयोग देने का भरोसा दिया.
ममता बनर्जी का इरादा अभी कई विपक्षी नेताओं से मिलने का है. वह आम आदमी पार्टी के प्रमुख व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) से मिलीं. टीएमसी प्रमुख एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत कई दलों के नेताओं से मिलने के इरादे से दिल्ली आई हैं. राज्य स्तर का चुनाव सीएम बनर्जी के लिए सियासी से ज्यादा निजी हो गया है.
बंगाल जीतने के बाद भी वे अभी उस उग्र झगड़े से उबर नहीं पाई हैं, जिसका उन्होंने सामना किया है. बनर्जी के करीबियों ने बीजेपी को सबक सिखाने के लिए उनकी बेचैनी देखी है. निजी कारण अब उनकी राजनीतिक समझ से बड़ा हो गया है. उनके लिए यह लगभग करो या मरो की स्थिति है, जैसी बंगाल में 2011 के वामपंथ के खिलाफ थी.
Mamta Banerjee प्रधानमंत्री का चेहरा नहीं हैं
ममता बनर्जी खुद को भावी प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रस्तुत करने से परहेज कर रही हैं. वह साफ कहती भी हैं कि अकेले कुछ नहीं कर सकतीं. सोनिया गांधी से मुलाकात के समय राहुल गांधी भी मौजूद थे. ममता बनर्जी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 में भाजपा को घेरने में काफी दिलचस्पी दिखाई है. समझा जा रहा है कि वह इस चुनाव में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत अन्य के साथ साझा मंच के जरिए भाजपा को कड़ी चुनौती देने की मुहिम में शामिल हो सकती हैं.
सूत्र बताते हैं कि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के घर 10 जनपथ पर अपने दिल्ली दौरे के एजेंडे को साफ तौर पर रखा. ममता बनर्जी की योजना 2024 में प्रधानमंत्री पद की कुर्सी नहीं है. वह केवल भाजपा को बड़ा झटका देना चाहती है और इस अभियान में वह कांग्रेस (Congress) को केंद्रीय भूमिका में लेकर चलना चाहती हैं.
भाजपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती
ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) के रणनीतिकारों को वर्ष 2022 बड़े राजनीतिक अवसर के रूप में दिखाई दे रहा है. पश्चिम बंगाल सरकार 2022 में सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों में विपक्षी दलों के तालमेल तथा समान विचारधारा वाले दलों के सहयोग से भाजपा को आधे से अधिक राज्यों में आसानी से हराया जा सकता है. ऐसा होने पर भाजपा का आधा बल समाप्त हो जाएगा.
हालांकि ममता बनर्जी का कहना है कि वह प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को अकेले दम पर नहीं हरा सकतीं. इसके लिए सभी विपक्षी दलों को साथ आना चाहिए. विपक्ष के सामने रोडमैप 2022-24 है. विपक्ष को प्रशांत किशोर की यह रणनीति कारगर लग रही है. शरद पवार भी इससे सहमत दिखाई दे रहे हैं. यशवंत सिन्हा का भी मानना है कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की छवि से टकराने से पहले राज्यों में विपक्षी एकजुटता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
राज्यों में भाजपा के सामने विपक्ष के पास नेता भी हैं और चेहरा भी. इसलिए राज्यों में आसानी से चुनौती दी जा सकती है. इससे केंद्रीय स्तर पर भाजपा को चुनौती देने में आसानी होगी. ममता बनर्जी भी इस रणनीति को मजबूत करने के इरादे से दिल्ली में हैं. बंगाल की सीएम ने कहा, एक ऐसा प्‍लेटफॉर्म होना चाहिए जिस पर विपक्ष एक साथ काम करें. संसद सत्र के बाद हम एक साथ काम कर सकते हैं.
संयुक्‍त विपक्ष का चेहरा कौन होना चाहिए, इस सवाल पर ममता ने कहा, ‘मैं राजनीतिक भविष्‍यवक्‍ता नहीं हूं. यह स्थितियों पर निर्भर करता है. मैं अपने विचार किसी पर थोपना नहीं चाहती. जब हम मिलेंगे तो इस पर चर्चा करेंगे.’ उन्‍होंने कहा किहम मिलजुलकर विपक्ष का चेहरा तय करेंगे. ममता ने कहा कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी भी विपक्ष की एकता की पक्षधर हैं.
रणनीति पर जोर
क्‍या जगनमोहन रेड्डी और नवीन पटनायक को भी अन्‍य नॉन बीजेपी सीएम के साथ मिलकर काम करना चाहिए, इस सवाल पर ममता ने कहा-इन दोनों के साथ मेरे अच्‍छे संबंध हैं जब तूफान आता है तो बहुत कुछ बदल जाता है. पश्चिम बंगाल में लोगों ने उन्‍हें (बीजेपी को) 440 वोल्‍ट करंट लगा दिया. ममता ने कहा कि अब पूरे देश में ‘खेला होबे’. सात अगस्‍त को हम इसे सेलिब्रेट करेंगे.
उन्होंने कहा कि संसद का सत्र खत्म होने और कोरोना वायरस महामारी की स्थिति सामान्य होने पर वह सभी विपक्षी सदस्यों से मिलेंगी. अपने इस बयान से उन्होंने यह संकेत दिया है कि उनकी एक और यात्रा जल्द हो सकती है. पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने वाली ममता बनर्जी का विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद यह पहला दिल्ली दौरा है.
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इन बैठकों को ऐसे समझा जा सकता है कि बीजेपी के खिलाफ जंग में कांग्रेस क्षेत्रीय दिग्गजों को भी शामिल करने का लचीला रुख अपना रही है. 2024 चुनाव से पहले टीएमसी और कांग्रेस का साथ आना विपक्ष की एकता के लिए अच्छा रहेगा, लेकिन चुनाव में यह कैसे सफलता दिलाएगा, इस बात का फैसला समय करेगा.
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