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किसानों और सरकार के बीच सुलह पर बड़ा संकट

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कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. बीते दिन सरकार के साथ बातचीत फेल होने के बाद किसानों ने आक्रामक रुख अपना लिया है. किसानों ने फिर सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकराया है, जिसमें सरकार ने कमेटी बनाने की बात कही थी.
पंजाब और हरियाणा से बड़ी संख्या में किसान अब दिल्ली की ओर बढ़ने लगे हैं, ताकि यहां मौजूद किसानों को समर्थन दिया जा सके. दूसरी ओर सरकार भी एक्टिव दिख रही है. किसान नेता बूटा सिंह का कहना है कि हमने सरकार के कमेटी बनाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. ये आंदोलन को ठंडा करने की कोशिश है, किसान शाम को अपनी राय प्रेस कॉन्फ्रेंस में रखेंगे.
केंद्र सरकार की ओर से किसानों से कहा गया था कि सरकार एक कमेटी बनाएगी, जिसमें सरकार के प्रतिनिधि, किसानों के प्रतिनिधि और अन्य लोग होंगे. सरकार के साथ बातचीत फेल होने के बाद किसानों का आंदोलन जारी है. सिंधु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान सुबह से ही डटे रहे. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल ने बुधवार सुबह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस बैठक में तीन दिसंबर को होने वाली किसानों के साथ चर्चा पर मंथन हुआ.
किसानों के बड़े आंदोलन को देखते हुए आज दिल्ली और एनसीआर में कड़ी सुरक्षा की गई है. सिंधु बॉर्डर समेत अन्य सीमाओं पर हर वाहन की जांच हो रही है. बुधवार को फरीदाबाद के पास किसानों की एक महापंचायत हुई, जिसके कारण सुरक्षा को बड़ा दिया गया. यहां हर वाहन की चेकिंग हो रही है. रालोद नेता जयंत चौधरी भी सुबह-सुबह सिंधु बॉर्डर पर पहुंचे. जयंत ने कहा कि वो एक नेता नहीं बल्कि किसान के तौर पर यहां आए हैं. बीते दिन भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने भी किसानों का समर्थन किया था.
सितंबर में लागू किये गये इन कानूनों के बारे में सरकार का पक्ष है कि यह बिचौलियों को हटाकर किसानों को देश में कहीं भी अपनी ऊपज बेचने की छूट देता है और यह कृषि क्षेत्र से जुड़ा बड़ा सुधार है. प्रदर्शनकारी किसानों की आशंका है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खरीद प्रणाली व्यवस्था को खत्म कर देंगे और कृषि क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के लिए कमाई सुनिश्चित करने वाली मंडी व्यवस्था को निष्प्रभावी बना देंगे.
मंत्रियों का विचार था कि इतने बड़े समूहों के साथ बातचीत करते हुए किसी निर्णय पर पहुंचना मुश्किल है और इसलिए उन्होंने एक छोटे समूह के साथ बैठक करने का सुझाव दिया, लेकिन किसान नेता दृढ़ थे कि वे सामूहिक रूप से ही मिलेंगे.यूनियन नेताओं ने कहा कि उन्हें आशंका है कि सरकार उनकी एकता और उनके विरोध की गति को तोड़ने की कोशिश कर सकती है.
बीकेयू (दाकौंडा) भटिंडा जिला अध्यक्ष बलदेव सिंह ने कहा, सरकार ने हमें बेहतर चर्चा के लिए एक छोटी समिति बनाने के लिए 5-7 सदस्यों के नाम देने के लिए कहा, लेकिन हमने इसे अस्वीकार कर दिया। हमने कहा कि हम सभी उपस्थित रहेंगे.”उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकार बातचीत के लिए एक छोटे समूह के लिए जोर दे रही है क्योंकि वे हमें विभाजित करना चाहते हैं. हम सरकार की चालों से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ हैं.
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