सीकर. शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी आज आस्था व उल्लास के साथ मनाई जा रही है। घर घर मां दुर्गा की पूजा-अराधना के साथ कन्याओं के भोजन व पूजन का दौर शुरू हो गया है। माता के मंदिरों में भी हवन- पूजन जारी है। महाष्टमी इस बार सुकर्मा योग में आई है। जो ज्योतिषियों के अनुसार विशेष फलदायी है। प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाअष्टमी का व्रत किया जाता है, लेकिन नवरात्र में आने वाली अष्टमी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। इसे महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां आदिशक्ति के अष्टम स्वरुप महगौरी का पूजन किया जाता है। इसी के साथ अष्टमी तिथि पर व्रती अपने घरों में हवन भी करवाते हैं। यह तिथि परम कल्याणकारी और यश-कीर्ति व समृद्धि दिलाने वाली मानी गई है। नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने से सभी कष्टों का नाश होता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इसके साथ ही अष्टमी तिथि पर कुमारी पूजन का विशेष महत्व है। ज्योतिष में अष्टमी तिथि को जया तिथि कहा गया है। माना जाता है कि इस तिथि में किए गए कार्य सदैव पूर्ण होते हैं। यह तिथि व्याधियों का नाश करने वाली मानी गई है।
कल रवि योग में महानवमीमहाअष्टमी पर सुकर्मा योग के साथ इस बार महानवमी भी गुरुवार को रवि योग में आएगी। जिसमें भी मां दुर्गा की अराधना व कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
अष्टमी व नवमी तिथि तथा शुभ मुहूर्त-शारदीय नवरात्रि अष्टमी तिथि मंगलवार रात 09 बजकर 47 मिनट से शुरू हो चुक ीहै। जो बुधवार को रात 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगी। जबकि शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि का पूजन 14 अक्टूबर गुरुवार को किया जाएगा। जिसका आरंभ 13 अक्टूबर बुधवार रात्रि 08 बजकर 07 मिनट से हेागा। नवमी तिथि की समाप्ति 14 अक्टूबर गुरुवार शाम 06 बजकर 52 मिनट पर होगी।
नवरात्रि में नवमी तिथि व कन्या पूजन का महत्वनवरात्रि के आखिरी दिन यानी नवमी तिथि को समस्त सिद्धि प्रदान करने वाली मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। अष्टमी तिथि की तरह ही नवरात्र में नवमी तिथि का भी विशेष महत्व माना गया है। इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरुप की प्रतीक नौं कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करके पूजन किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन एक बालक को भी आमंत्रित किया जाता है जिसे बटुक भैरव का स्वरुप माना जाता है। कन्या पूजन के साथ ही मां दुर्गा को विदा कर दिया जाता है और नवरात्रि का समापन हो जाता है। नवमीं पर इस बार रवि योग रहेगा।
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