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टीसीएस की नौकरी छोड़ शुरू किया कम लागत का बिज़नेस, 20 करोड़ का है टर्नओवर

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देखा जाए तो अधिकतर क्षेत्रों में ऑर्गेनिक खेती (Organic farming) अपना पांव पसारता नजर आ रहा है. इस क्षेत्र में हर कोई अपना लक आजमा रहा है. महिलाएं भी खेती करने क्षेत्र में महारत हासिल कर रही हैं.
आज की यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जो टीसीएस का जॉब कर रही थीं. लेकिन जब उसके पिता की आकस्मिक मृत्यु हुई तब उन्होंने इस जॉब को छोड़ दिया और खेती की शुरुआत की. अब वह इस खेती से 20 करोड़ रुपये हर वर्ष कमा रही है. तो आईए जानते हैं कि किस तरह उन्हें खेती से इतनी बड़ी सफलता मिली
39 वर्षीय गीतांजलि राजामणि का जन्मस्थान हैदराबाद है. लेकिन यह केरल में रहती हैं. पढ़ाई के वक़्त जब छुटियां होतीं तो वह अपने गांव आया करती थीं. उन्हें यहां पेड़-पौधों के विषय में सीखने को मिलता. उन्होंने ग्रेजुएशन साइंस से और MBA इंटरनेशनल मैनेजमेंट में किया.
वह अपनी पढ़ाई सम्पन्न कर TCS की जॉब कर रही थीं. लेकिन जब उनके पिता का देहांत हो गया तो उन्होंने खेती छोड़ जैविक खेती प्रारंभ की और जैविक सब्जियों को उगाकर अपना व्यापार बनाया.
फार्मिजन की स्थापना
वर्ष 2017 में उन्होंने फार्मिजन की स्थापना की. उन्होंने को-फाउंडर शमीक चक्रवर्ती और सुदाकरन बल सुब्रमनियम दोनों के सहयोग से इसकी स्थापना की. उन्होंने जैविक सब्जी को किस तरह उगाकर उन्हें अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचा पाए. यह सब शोध कर रहे थे तब उन्हें यह ध्यान आया कि वह इसका व्यापार भी कर सकते हैं. इससे किसानों और जो व्यक्ति इसे खरीदेंगे दोनों को बहुत ही लाभ मिलेगा.

उन्होंने यह बताया कि कोई भी व्यक्ति ऐप के माध्यम से अपने आसपास के खेत में लगभग 6 सौ स्क्वायर फुट की जमीन एक छोटा सा स्थान ले सकता है, जहां वह अपने अनुसार की सब्जियों को उगा सके. इस मिनी फार्म के लिए उस व्यक्ति को 25 सौ रुपये हर माह चुकाना पड़ेगा. साथ हीं जब सब्जियां तैयार हो जाएं तो इस ऐप के माध्यम से उन्हें यह दिखाया जाता है कि उनकी सब्जी किस तरह तैयार हुई है और इसकी लागत क्या है.
यहां जो सब्जियां उगाई जाती हैं वह हर सप्ताह ग्राहकों को भेजी जाती है. इस मॉडल में फार्मिजन ने बदलाव किया कि वह किसानों से पार्टनरशिप कर और उन्हें स्वतंत्र रूप से जमीन देंगे. जहां वह खेती कर सकें साथ हीं उन्हें जैविक उर्वरक बीज या फिर पौधे भी प्रदान करेंगे. इस एप के माध्यम से ग्राहकों के घर तक जाकर उन्हें सब्जियां पहुंचाने का कार्य किया जाता है. जो ग्राहक उत्पाद ऑर्डर करेंगे उन्हें यह पता रहता है कि इस उत्पाद को एक किसान के द्वारा गया है.
ये फार्मिजन का बिजनेस मॉडल है. उन्होंने यह बताया कि अक्सर हम सब्जियों को खरीदने में उनके आकार पर चले जाते हैं वह नहीं देखते कि वह सब्जियां किस विधि से उगाई गई हैं. हमें इससे कोई मतलब नहीं रहता जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. इसलिए जरूरी है कि किसान जैविक उर्वरक का उपयोग कर फल और सब्जियों को उगाएं ताकि किसान भी इसका सेवन कर स्वस्थ रहें और ग्राहक भी.
उन्होंने बताया है कि किसी भी बिजनेस का रूप देने में बहुत समय लगता है. हम जब लास्ट पड़ाव पर जाते हैं तो हमें लगता है कि यह सफल होना असंभव है और लगता है कि हम इसे परास्त हो गए. लेकिन हमें इससे घबराना नहीं चाहिए और अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर रहना चाहिए. हमें हमेशा कुछ ना कुछ करते रहना चाहिए और अपनी छोटी-छोटी सफलताओं को खुशियों में तब्दील करना चाहिए ताकि मनोबल बढ़े और हम आगे लंबी दूरी तय कर सके.
वह किसानों को भी यह सलाह देती हैं कि उन्हें जैविक उर्वरक का उपयोग कर खेती करना चाहिए ताकि फसलों के साथ में हमारी मिट्टी भी रसायन मुक्त रहें और उसकी उर्वरक क्षमता बनी रही. सफलता के लिए यह तीन बातों को अहम मानती है किसी भी कार्य के लिए तैयार रहना, मन में दृढ़ संकल्प रखना और खुद को सभी कार्यों में सम्मिलित करना.
The post टीसीएस की नौकरी छोड़ शुरू किया कम लागत का बिज़नेस, 20 करोड़ का है टर्नओवर appeared first on THOUGHT OF NATION.

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