सीकर. कोरोना संक्रमण के चलते बढ़ती मौतों के बीच हर कोई अस्पताल में मरीजों के लिए सरकारी सुविधाएं बढ़ाने की मांग कर रहा है, लेकिन मरीज की मौत के बाद सरकारी सहयोग से परहेज है। मौत के बाद संक्रमण के डर से शव के हाथ लगाने से लोग भले ही बच रहे हो, लेकिन अग्नि और मिट्टी अपने ही पैसों की देना चाह रहे हैं। हालांकि कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोग श्मशान घाट में कम पैसा जमा करवा देते हैं, लेकिन नगर परिषद की ओर से निशुल्क दाह संस्कार के लिए अधिकृत किए गए धर्माणा श्मशान घाट में अभी तक एक भी कारोना संक्रमित शव का दाह संस्कार सरकारी खर्च पर नहीं हुआ है। यह ही स्थिति कमोबेश बड़े कब्रिस्तान की है। वहां से भी अभी तक नगर परिषद को दो ही रसीद प्राप्त हुई है।दूसरी लहर के बाद एक श्मशान घाट में 90 अंतिम संस्कारकोरोना की दूसरी लहर आने के बाद शहर के शिव धाम धर्माणा श्मशान घाट में 90 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है। इनमें से मई माह में ही अब तक 65 शवों का अंतिम संस्कार किया गया, जिनमें से अधिकतर कोरोना संक्रमित शव थे। गत माह में 19 अप्रेल के बाद 25 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। मौत का यह आंकड़ा इतना डरावना है कि पिछले वर्षों की स्थिति देखे तो जितने शवों का वर्ष भर में अंतिम संस्कार किया जाता था। उतने शवों का अंतिम संस्कार महज एक माह की अवधि में ही कर दिया गया।परिषद ने किया अधिकृत, जनता का परहेजसरकार की ओर से कोविड से मृत व्यक्तियों की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकाल के अनुसार करने के निर्देश दिए हैं। शहरी क्षेत्रों के लिए चिकित्सालय से श्मशान व कब्रिस्तान तक शव लाने और अंतिम संस्कार में होने वाला खर्च वहन करने की जिम्मेदारी नगर निकायों को सौंपी थी। इसके बाद सीकर नगर परिषद ने शहर के शिवधाम धर्माणा श्मशान घाट और बड़े कब्रिस्तान को अधिकृत किया था। श्मशान घाट के लिए प्रत्येक शव का सात हजार और कब्रिस्तान के लिए चार हजार रुपए का खर्च भी तय कर दिया था। लेकिन अभी तक किसी ने निशुल्क सरकारी खर्च की रसीद नहीं कटवाई।इनका कहना है…सरकार के निर्णय के अनुसार धर्माणा श्मशान घाट और बड़े कब्रिस्तान में ससम्मान अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई है। अभी तक कब्रिस्तान से दो रसीद प्राप्त हुई है, जबकि धर्माणा ने किसी भी मृतक ने सरकारी सहायता पर अपने परिजनों का अंतिम संस्कार नहीं किया है।श्रवण कुमार विश्नोई, आयुक्त नगर परिषद सीकर
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