Lakshmangarh’s daughter is increasing value with a package 70 lack
लक्ष्मणगढ. शिक्षा की काशी के नाम से मशहुर लक्ष्मणगढ़ (laxmangarh)कस्बे की उपलब्धियों में अब एक ओर नाम जुड़ गया है। कस्बे की एक बेटी ने सफलता की लंबी उड़ान भर यह संदेश दिया है कि बेटियां भी बेटो से किसी भी मामले में कम नहीं है। लक्ष्मणगढ़ कस्बे के वार्ड 34 निवासी चारू उपाध्याय को लंदन की नामचीन कपंनी जे पी मॉर्गन सॉफ्टवेयर कंपनी ने सालाना 70 लाख रूपए के पैकेज पर सॉफ्टवेयर अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी है। कपंनी ने चारू को अपने यहां नियुक्ति का जॉइनिंग लेटर भी भेज दिया है। कस्बे के बगडिय़ा स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद चारू ने यहां के मोदी विश्वविद्यालय(modi university) से सॉफ्टेवयर इंजीनियरिंग में बी टेक की डिग्री प्राप्त की । चारू वर्तमान में लंदन की रीड कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर कार्यरत है। पत्रिका से खास बातचीत में चारू ने अपने जीवन के संघर्ष व उपलब्धियों को साझा करते हुए इतने बड़े ओहदे पर पहुंचने पर भगवान का शुक्रिया अदा किया। बैडमिंटन की राष्ट्रीय खिलाड़ी रही चारू से बातचीत के कुछ खास अंश।
शेखावाटी की बेटियों को पहले जहां पढ़ाई के लिए भेजने से परिजन डरते थे, आज उसी इलाके की बेटियां अंतर्राष्ट्रीय पटल पर इलाके का नाम रोशन कर रही है, इसकी खास वजह।यहां की बेटियों ने ना केवल अपने परिजनों के विश्वास को जीता है, बल्कि मौका मिलते ही यह साबित भी कर दिखाया है कि पुरूषों के मुकाबले वे किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है। यही कारण है कि बेटियां अपने देश के अलावा विदेशों में इंडिया व शेखावाटी का नाम रोशन कर रही है। इंजीनियरिंग, खेल, अंतरिक्ष, पर्यावरण सहित अन्य विभिन्न क्षेत्रों में शेखावाटी की बेटियों ने अपनी धाक कायम की है।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई को कठिन बताते हुए कई युवा पढ़ाई बीच में छोड़ अन्य किसी क्षेत्र को चुन लेते है, आपने अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए क्या किया।जैसा हम सोच रहे है, वैसा कुछ भी नहीं है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई बहुत आसान है। कई बार कम समय में अधिक सफलता पाने के चक्कर में युवा अपने दिमाग को डाइवर्ट कर लेते है। मेरा ये मानना है कि सफलता का कोई भी शॉर्ट कट नहीं है। हिन्दी मीडियम से होने के बावजूद भी मैनें इंजीनियरिंग की डिग्री अच्छे अंको से हासिल की। सच्ची लगन व निष्ठा के साथ यदि आप कोई काम करोगे तो आपकी सफलता को कोई भी नहीं रोक सकता। आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए मैने हमेशा मेरे सपनों कों मेरी हर किताब के पहले पन्ने पर लिखा। ये सपने मुझे प्रेरणा देते रहते थे।
अभिभावकों व युवाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेगीं।अभिभावकों से मैं ये आग्रह करना चाहूंगी कि ईश्वर धरती पर जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चें को एक विशेष प्रतिभा का धनी बनाकर भेजता है। अभिभावक अपने बच्चे की उस प्रतिभा को पहचाने और उसी क्षेत्र में आगे बढऩे को प्रेरित करें। निसंदेह बच्चे की नैसर्गिक प्रतिभा के प्रति न्याय होगा। अक्सर अभिभावक अपने बच्चो पर अपने निर्णय थोपते है। मेरा यह मानना है निर्णय थोपने की बजाय हम बच्चे की काउंसलिंग करें। मेरा दावा है कि इससे रिजल्ट बेहतर मिलेगें। युवाओं के लिए मैं कहना चाहुंगी कि कभी अपने परिजनों के विश्वास को ना खोए। उनके विश्वास व सपनों की कद्र करते हुए आत्मविश्वास के साथ सफलता मिलने तक अपनी पढ़ाई व परिश्रम जारी रखे। सफलता एक ना एक दिन आपके कदम चूमेगी।
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