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भक्तों को दर्शन देने दर से बाहर आए ‘लखदातार’

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‘Lakhdatar’ came out of the darshan to see devotees
-बाबा का ‘खजाना लूटने’ के लिए रथयात्रा में भक्तों का मेला-एकादशी पर डेढ़ लाख भक्तों ने बाबा श्याम के दर्शन कर मांगी मनौती-बिना कोविड रिपोर्ट व रजिस्ट्रेशन के भी हुआ श्याम का दीदार
सीकर. खाटूश्यामजी (khattushayamji)के फाल्गुनी लक्खी मेले में एकादशी पर रंगों से रंगे व भावों से भरे भक्त बाबा श्याम में एकीभाव हो गए। सलोने श्याम मानो साकार और भक्त उनमें एकाकार हो गए। उत्साह व उमंग में डूबा प्रेम पग-पग और रोम-रोम में उमग रहा था। नाचते-गाते भक्तों का आस्था से भरा आनंद व उल्लास भी ह्रदय में ना समाकर इत्र-फूलों की सौंधी सुगंध संग हर ओर उमड़-बिखर रहा था। नगर भ्रमण के बहाने भक्तों को मनोहारी दर्शन देने बाबा श्याम दर से बाहर निकले तो प्रेमी भक्त अपने प्रेमास्पद के प्रेम रस में तरबतर हो गए। नीले घोड़े पर सवार शीश के दानी जब नगर में निकले तो हजारों शीश समर्पण भरी श्रद्धा से झुक गए। उड़ते अबीर गुलाल, बरसते फूलों व जयकारों की गूंज के बीच अराध्य की एक झलक के लिए श्रद्धालुओं की आंख अपलक निहारती रही। शोभायात्रा व मंदिर में बाबा श्याम को जिसने भी देखा वो मनोहारी छवि में मतवाला हो गया, तो श्याम की भक्ति में तल्लीन भक्तों के सूक्ष्म भावों को समझने वाला भी निहाल हो गया। कोरोना वायरस की पाबंदियों व आशंकाओं के बीच भी करीब डेढ़ लाख लोगों ने एकादशी पर श्याम बाबा के धोक लगाई। जो इस साल मेले में अब तक की सबसे बड़ी संख्या रही।
24 घंटे खुला रहा श्याम दरबारजहां कोविड गाइडलाइन (corona guideline) के चलते मेले में 19 मार्च से मंदिर के कपाट रात्रि दस बजे बंद हो जाते थे, वहीं मुख्य मेले पर एकादशी को भक्तों की भीड़ को देखते हुए संपूण रात्रि मंदिर के कपाट दर्शनों के लिए खुले रहे।
27 से मंदिर के कपाट दर्शन के लिए बंदश्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष शंभू सिंह चौहान ने बताया कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए होली व धुलंडी के दिन श्याम मंदिर के कपाट दर्शनों के लिए बंद रहेंगे। मंदिर कमेटी की ओर से निर्णय लेने के बाद कपाट फिर से खोले जाएंगे।
बिना रजिस्ट्रेशन व कोविड रिपोर्ट हुआ प्रवेशमुख्य मेले में कोरोना गाइडलाइन की पालना में भी ढिलाई दिखी। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व कोविड रिपोर्ट के बिना पहुंचे भक्तों के लिए भी प्रशासन नरम रहा। उन्हें भी रींगस रोड से मेले में प्रवेश दे दिया गया। हालांकि मुहर की औपचारिकता जारी रही। रींगस रोड के अलावा बाकी रास्तों से पहुंचे श्रद्धालु तो बिना किसी जांच के ही मंदिर पहुंचते रहे।
अद्भुत रहा बाबा का श्रृंगारएकादशी पर बाबा श्याम का श्रृंगार भी अद्भुत रहा। गोटा किनारी व बेल बूटों से सजी सुनहरी पोशाक में रंग बिरंगे फूलों की शोभा से बाबा श्याम की छवि अद्भुत छटा बिखेर रही थी। शोभायात्रा में भी साफा व शेरवानी पहनकर नीले घोड़े पर निकले बाबा श्याम की सूरत हर श्रद्धालु की आंखों का केंद्र बन गई।
यह है परम्पराबाबा श्याम को नगर भ्रमण करवाने की परम्परा वर्षों पुरानी है । फाल्गुन माह की एकादशी पर मेले मे भीड़ के दौरान गांव व धर्मशालाओं में ठहरे बुजुर्ग, बीमार, बच्चे, महिलाएं आदि भीड़ के कारण मंदिर में नहीं जा पाते। उन्हें दर्शन देने बाबा श्याम प्रत्यक्ष रूप से भक्तों के द्वार जाकर दर्शन रथ में सवार हो नगरभ्रमण पर निकलते हैं।

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