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केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस की नई रणनीति, जानें संविधान के किस अनुच्छेद से ढूंढा जा रहा है तोड़

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देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कृषि और किसानों से जुड़े बिलों को मंजूरी दे दी है. मगर, विपक्ष अब भी कृषि विधेयकों को वापस लेने की मांग पर डटा हुआ हैं.
इस बीच कांग्रेस ने कांगेस शासित प्रदेशों में कृषि संबंधी कानूनों को अप्रभावी बनाने के लिए एक रणनीति पर विचार किया जा रहा है. आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कांग्रेस शासित राज्यों से कहा है कि केंद्र के कृषि विधेयकों को खारिज करने के लिए कानून पर विचार करें. इसके अलावा कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों से कहा है कि वे अपने यहां अनुच्छेद 254(2) के तहत बिल पास करने पर विचार करें जो केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयकों को निष्क्रिय करता हो.
वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सलाह दी है कि कांग्रेस शासित राज्यों को अपने यहां केंद्र की ओर से पारित कराए गए कृषि संबंधी कानूनों को निष्क्रिय करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 254(2) का इस्तेमाल करने पर विचार करना चाहिए. संविधान का यह अनुच्छेद राज्य विधानसभाओं को राज्य के अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण करने वाले केंद्रीय कानूनों को नकारने के लिए एक कानून पारित करने की अनुमति देता है.
वेणुगोपाल ने कहा कि इससे कांग्रेस शासित राज्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और एपीएमसी के विघटन समेत तीन सख्त कृषि कानूनों को दरकिनार कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि इससे किसानों को मोदी सरकार और बीजेपी की ओर से किए गए घोर अन्याय से भी मुक्ति मिलेगी.
राज्य के विधान-मंडल द्वारा समवर्ती सूची में प्रगणित किसी विषय के संबंध में बनाई गई विधि में कोई ऐसा उपबंध अंतर्विष्ट है जो संसद द्वारा पहले बनाई गई विधि के या उस विषय के संबंध में किसी विद्यमान विधि के उपबंधों के विरुद्ध है तो यदि ऐसे राज्य के विधान-मंडल द्वारा इस प्रकार बनाई गई विधि को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखा गया है और उस पर उसकी अनुमति मिल गई है तो वह विधि उस राज्य में अभिभावी होगी.
परंतु इस खंड की कोई बात संसद को उसी विषय के संबंध में कोई विधि, जिसके अंतर्गत ऐसी विधि है, जो राज्य के विधान-मंडल द्वारा इस प्रकार बनाई गई विधि का परिवर्धन, संशोधन, परिवर्तन या निरसन करती है, किसी भी समय अधिनियमित करने से निवारित नहीं करेगी.
किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति दे दी है. किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन उनकी अपील किसी काम न आई. तीनों बिल अब कानून बन गए हैं. साथ ही राष्ट्रपति ने J-K आधिकारिक भाषा बिल 2020 पर भी अपनी सहमति दे दी है.
आपको बता दे कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तीन नए किसान कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के तहत सोमवार को धरना दिया. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए पूछा कि MSP को विधेयकों में शामिल क्यों नहीं किया गया है? कैप्टन ने कहा कि दिल्ली में आज सुबह ट्रैक्टर जलाया जाना लोगों को गुस्सा दिखाता है. यह दिखा रहा है कि लोग कैसा महसूस कर रहे हैं…उनका गुस्सा दिख रहा है. किसानों को नहीं पता है कि अब उनकी उपज कौन खरीदने जा रहा है.
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