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ओवैसी का समर्थन करके हक कैसे मिल जाएगा? जानिए हक़ीक़त

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पिछले कुछ सालों से भाजपा के सामने नतमस्तक मीडिया देश की तमाम क्षेत्रीय पार्टियों और देश की सबसे पुरानी कांग्रेस को छोड़कर भाजपा के अलावा अगर किसी को तवज्जो देती है तो वह है असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी. मीडिया पर भाजपा का कब्जा है फिर मीडिया में ओवैसी को इतना हाईलाइट क्यों किया जाता है?
ओवैसी के एक छोटे से छोटे बयान को बड़ा बताकर घंटों एक्सक्लूसिव वीडियोस न्यूज़ चैनलों की तरफ से क्यों चलाए जाते हैं? भाजपा के हाथों मीडिया बिकी हुई है, यह देश का हर हिंदू-मुसलमान, सिख-ईसाई जानता है. फिर वह मीडिया भाजपा के अलावा दूसरी पार्टियों को छोड़कर ओवैसी को इतना तवज्जो क्यों देती है? इसका जवाब यह है कि भाजपा चाहती है कि मुसलमानों का वोट अधिक से अधिक बटे. क्योंकि दूसरी जातियों का वोट तो तमाम क्षेत्रीय दलों में कांग्रेस के साथ बट ही जा रहा है. जिसका फायदा पिछले 6 साल से भाजपा को हो रहा है.
लेकिन अगर ओवैसी को मुस्लिम वोट अधिक से अधिक मिलता है तो क्षेत्रीय पार्टियों के साथ-साथ कांग्रेस भी और अधिक कमजोर होगी, जिसका सीधा फायदा भाजपा को होगा. भाजपा लगातार राज्यों में और केंद्र में सत्ता में बनी रहेगी. ओवैसी सिर्फ मीडिया के जरिए भाजपा और आरएसएस पर हमला बोलते हैं. इसके अलावा वह जिस भी राज्य में प्रचार के लिए जाते हैं वहां की क्षेत्रीय पार्टियों को निशाना बनाते हैं, कांग्रेस के साथ-साथ. और देश की हर समस्या के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हैं. वह अपने आप को मुसलमानों का मसीहा घोषित करते हैं.
वह कहते हैं कि वह मुसलमानों को उनका हक दिलाएंगे. अब सवाल यह उठता है कि लगातार भाजपा के विरोध में खड़ी जनता का वोट अलग-अलग पार्टियों में जाति धर्म के आधार पर बट जाएगा. और भाजपा का वोट बैंक उसके साथ मजबूती के साथ खड़ा रहेगा तो भाजपा की सरकार लगातार केंद्र में और राज्यों में बनती रहेगी. फिर किस आधार पर ओवैसी मुसलमानों को उनका हक दिलाएंगे? सरजील इमाम से लेकर तमाम मुस्लिम युवा पिछले 6 सालों में जेल गए हैं. जिन पर छोटे-छोटे इल्जाम हैं, उनको बढ़ा चढ़ाकर सालों से जेल में रखा गया है. इनको छुड़ाने के लिए ओवैसी कितनी बार सड़क पर उतरे हैं ? इनके लिए ओवैसी ने अपनी तरफ से कितनी आर्थिक मदद की है? इनके लिए ओवैसी ने कितना आंदोलन किया है, कोई एक भी किया हो तो बताइए ?
असदुद्दीन ओवैसी क्या यह कहना चाहते हैं कि एक धर्म की बात करने से, भड़काऊ भाषण देने से और भाजपा के विरोध में मजबूती से खड़ी पार्टियों का वोट काटने से और लगातार केंद्र में और राज्य में भाजपा की सरकार बनवाने से ओवैसी मुसलमानों को उनका हक दिला देंगे? ओवैसी और उनके समर्थक दूसरी पार्टियों को सेक्युलर नहीं मानते. और खुद को सेक्युलर घोषित करते हैं. ओवैसी लगातार संविधान की बात करते हैं, कानून की बात करते हैं. क्या एक धर्म विशेष के नाम पर वोट मांगना, एक धर्म विशेष का वोटर जहां अधिक संख्या में है, वहां जाकर चुनाव लड़ना सेकुलरिज्म है? भाजपा भी तो यही काम कर रही है पिछले 6 साल से, एक धर्म के नाम पर चुनाव लड़ती है, एक धर्म के लोगों की भावनाओं से खेल कर माहौल तैयार करती है. इसका मतलब तो ओवैसी की नजर से देखें तो भाजपा से बड़ी सेक्यूलर पार्टी नहीं है आज इस देश में?
ओवैसी चुनाव लड़ते हैं बिल्कुल अच्छी बात है. वह कहते हैं कि मेरे बारे में कोई अगर कुछ बोलता है तो क्या मैं चुनाव लड़ना बंद कर दूं? बिल्कुल उन्हें चुनाव लड़ना बंद नहीं करना चाहिए. लेकिन जहां हिंदू आबादी है वहां वह अपना उम्मीदवार खड़ा क्यों नहीं करते? वहां से उनकी पार्टी चुनाव क्यों नहीं लड़ती. ओवैसी तो एक राजनीतिक पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं तो फिर उन्हें पूरे देश में चुनाव लड़ना चाहिए, जहां हर जाति धर्म के लोग रहते हो वहां से चुनाव लड़ना चाहिए. हर जाति धर्म के लोगों के फायदे की बात करनी चाहिए, उन्हें उनका हक दिलाने की बात करनी चाहिए. अगर ओवैसी ऐसा करते हैं तो बिल्कुल उन्हें चुनाव लड़ने का हक है. और नहीं करते हैं तो फिर वह देश की मुस्लिम आबादी को धर्म के नाम पर मूर्ख बना कर भाजपा के प्यादे के रूप में काम कर रहे हैं, यह बात बहुत जल्दी देश के मुस्लिम भाइयों को भी समझ में आ जाएगी.
अगर देश के मुस्लिम भाई उस हिंदू आबादी का विरोध करते हैं जो भाजपा का समर्थन करती है. नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं का समर्थन करती है, जो भड़काऊ भाषण देते हैं, धर्म के नाम पर चुनाव लड़ते हैं. और सिर्फ इसलिए विरोध करती है कि यह लोग धर्म के नाम पर नफरत फैलाकर चुनाव जीत जाते हैं, तो फिर वह किस आधार पर ओवैसी का समर्थन करते हैं? और किस आधार पर भाजपा का विरोध करते हैं? क्योंकि वह भी तो ओवैसी का समर्थन करके यही काम कर रहे हैं. तो फिर जो आबादी भाजपा का समर्थन करती है, योगी आदित्यनाथ का समर्थन करती है, नरेंद्र मोदी का समर्थन करती है, अमित शाह का समर्थन करती है, वह आबादी गलत कैसे?
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