-खाटूश्यामजी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी हैखाटूश्यामजी. उत्तर भारत में शायद ही ऐसा कोई धाम होगा जहां के नाम से देशभर में 100 से ज्यादा समितियां बनी होगी। श्याम समिति, श्याम मित्रमण्डल, श्याम सेवा समिति… ये वे नाम हैं जिनके माध्यम से देश के कोने-कोने में खाटूश्याम की भक्ति में लीन हैं। खाटूश्याम के फाल्गुनी लक्खी मेले में ये समितियां देश के कोने-कोने से यहां पहुंचती हैं और मेले में आनेवाले श्रद्धालुओं की तन-मन-धन से सेवा करने में जुटी रहती हैं। हालांकि इस साल कोरोना के चलते ऐसा बिल्कुल संभव नहीं हो सका है।
एक माह से कैम्पदेशभर की ये श्याम समितियां फाल्गुनी मेले से काफी पहले से यहां पहुंच जाते हैं और तैयारियों में सहयोग करते हैं। मेले के दौरान लगने वाले पाण्डाल को नियोजित रूप से सजाते हैं। सभी आम सुविधाओं को यहां पूरी करने की कोशिश करते हैं। जबकि इस साल कोरोना के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका है।
जमीन के लिए करते जुगतफाल्गुनी मेले में लगाने वाले पण्डाल के लिए ये श्याम मण्डल या समितियां गांव वालों से जमीन की जुगत में रहते हैं। ग्रामीणों से एक माह के लिए उनकी जमीन किराए पर लेते हैं और भव्य पण्डाल लगाते हैं।
फाल्गुनी मेला ही नहीं हर माह करते हैं रुखबाबा श्याम की भक्ति में लीन भक्तों के लिए फाल्गुनी लक्खी मेला सबसे अहम होता है लेकिन प्रति माह पडऩे वाली ग्यारस पर भरने वाले मेले में भी उनका चाव रहता है। लोग दूर-दूर से पूर्व तय कार्यक्रम से यहां पहुंचने का प्रयास करते हैं।
सेवा से जी नहीं भरतायहां महीनेभर तक सेवा करने वाले लोग कहते हैं कि उनका यहां मेले के दौरान सेवा से जी नहीं भरता है। मेले की शुरुआत से अंत तक लोग ज्यादा से ज्यादा सेवा करने की जुगत में ही रहते हैं।
सेवा मेले का मुख्य आकर्षण खाटूश्यामजी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े प्रतिष्ठित लोग आम बन लोगों की सेवा करते हैं। बाबा श्याम के ये प्रिय लोगों के प्रिय बन पुण्य कमाने की जुगत में रहते हैं। बताते हैं कि मानव सेवा से मन निर्मल होता है भकित में मन रमता है।
खाटू मेला: क्या आपको मालूम हैं कि 100 से ज्यादा श्याम समितियां देशभर में करती हैं सेवा
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