जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने किसान आंदोलन के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है और कहा है कि ये बेजुबान नहीं है जिन्हें आप पूजीपतियों को बेच देंगे या उनके पास गिरवीं रख देंगे.
उन्होंने ट्वीट किया है, सुनो साहेब, ये किसान हैं, बेज़ुबान सरकारी संस्थान नहीं कि अपने दोस्तों के हाथ औने-पौने दाम में बेच दोगे. सीपीआई नेता ने ताबड़तोड़ कई ट्वीट किए हैं. उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा है, किसान कौन सा आपसे पंद्रह लाख माँग रहे या यह भी नहीं कह रहे कि उनके लिए साढ़े आठ हजार करोड़ का हवाई जहाज़ ख़रीद दो. बस इतना कह रहे कि बिल में एक लाइन लिख दो कि एमएसपी से कम पर फसलों की ख़रीद ग़ैरकानूनी होगी.
सुनो साहेब!! ये किसान हैं, बेज़ुबान सरकारी संस्थान नहीं कि अपने दोस्तों के हाथ औने-पौने दाम में बेच दोगे।
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) November 28, 2020
किसान कौन सा आपसे पंद्रह लाख माँग रहे या यह भी नहीं कह रहे कि उनके लिए साढ़े आठ करोड़ का हवाई जहाज़ ख़रीद दो। बस इतना कह रहे कि बिल में एक लाइन लिख दो कि एमएसपी से कम पर फसलों की ख़रीद ग़ैरकानूनी होगी।
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) November 28, 2020
आपको बता दे कि कन्हैया के ट्वीट पर लोग भी प्रतिक्रिया दे रहे है. रविश कुमार पैरोडी अकाउंट से लिखा गया कि ये अन्नदाता है साहेब कुछ तो लिहाज करो. देश को बेचकर सत्यानाश कर दिया अब किसान को मारने पर तुले हो. एक यूजर ने लिखा कि गजब का मजाक कर रहे है साहेब दिन रात पानी से खलेने वालो को ही पानी से डरा रहे है. कन्हैया के ट्वीट पर रिधि जैन नामक यूजर ने लिखा कि चुनाव हो गया रिजल्ट आ गया, सरकार बन गई अब रोजगार देने की बात आई तो नीतीश कुमार कहते हैं कोरोना वापस आ गया.
कन्हैया के ट्वीट पर दीपक नामक यूजर ने लिखा कि किसान आ रहे हैं कोई आतंकवादी नहीं अगर इतनी सुरक्षा पुलवामा में की गई होती तो देश के जवान शहीद नहीं होते. समरेन्द्र मौर्य नामक यूजर ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री जी, कपड़ों से नहीं तो पैरों के छालों से पहचानिए, ये किसान ही हैं. अब किस किस को देश द्रोही ठहराएंगे. क्या देश के जो नागरिक बीजेपी की नीतियों का विरोध करेंगे वो सभी देश द्रोही कहलाएंगे.
आपको बता दे कि एक दिन पहले ही कन्हैया ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा था, सुनिए सरकार, ये किसान हैं. भड़के हुए बैलों को क़ाबू करने का हुनर इनको आता है. भला इनको कौन भड़काएगा! आपने इनकी बर्बादी के क़ानून लिखे हैं. देखना, ये आपको भी क़ाबू में करके ही दम लेगें. बता दे कि दिल्ली में सिंधु बॉर्डर पर बैठे आंदोलित किसानों की आगे की रणनीति क्या होगी, ये अब तक साफ नहीं, लेकिन ज्यादातर का कहना है वो यहां से तभी हटेंगे, जब उनकी मांगें मानी जाएंगी.
किसानों का कहना था कि वो पंजाब से तकरीबन 6 महीने का राशन लेकर निकले हैं. किसानों ने कहा कि हम बुराड़ी नहीं जा रहे हैं, जो किसान बुराड़ी गए हैं सरकार उन्हें उलझा रही है. इस बीच, हरियाणा के कुरुक्षेत्र में दिल्ली कूच करने वाले किसानों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. ट्यूकर बॉर्डर पर बैरिकेड तोड़ने पर पंजाब के किसानों के खिलाफ कुरुक्षेत्र पेहवा के साथ-साथ शाहाबाद में भी डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा के तहत केस दर्ज किया गया है.
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