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उपचुनाव का ऐलान होने पर कमलनाथ ने दिया बयान

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चुनाव आयोग ने मंगलवार को 56 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया.
बिहार की एक लोकसभा सीट और मणिपुर की दो विधानसभा सीटों पर 7 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. इसके अलावा, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, नगालैंड, तेलंगाना और उत्तरप्रदेश की 54 सीटों पर 3 नवंबर को मतदान होगा. 10 नवंबर को नतीजे आएंगे.
मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव
मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर चुनाव होना है. मध्यप्रदेश के उपचुनावों में भाजपा अपनी सत्ता बचाने और कांग्रेस नेता कमलनाथ छह महीने पहले खोई सत्ता वापस पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख भी दांव पर लगी है, क्योंकि जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें 16 सीटें सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की है.
प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर उपचुनाव हो रहे हैं
मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं. पहली बार प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर उपचुनाव हो रहे हैं. इसकी वजह प्रदेश में मार्च में हुआ सियासी फेरबदल है. इसी साल 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था. इसके बाद अल्पमत में आई कमलनाथ सरकार गिर गई थी. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने से 22 सीटें खाली हो गई थीं.
इसके बाद जुलाई में बड़ा मलहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी और नेपानगर से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी कसडेकर ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली. फिर मांधाता विधायक ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का झंडा पकड़ लिया. इसके अलावा, तीन विधायकों का निधन हो गया. यानी कुल 28 विधानसभा सीटें खाली हो गईं.
शिवराज, कमलनाथ, सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर
सिंधिया के साथ 22 विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए थे. इनमें 16 सीटें उनके प्रभाव क्षेत्र ग्वालियर-चंबल की हैं. यह सिंधिया के प्रभाव वाला इलाका है. इन सीटों पर भाजपा को जिताना उनके लिए बड़ी चुनौती है. कांग्रेस ने अब तक 24 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. भाजपा के नामों की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. लेकिन 25 सीटों पर उसके प्रत्याशी लगभग तय माने जा रहे हैं.
इनमें 22 वह विधायक होंगे जो सिंधिया के साथ भाजपा में आए और तीन वे जिन्हें सीएम शिवराज ने शामिल कराया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा विधायक जिताकर अपनी सत्ता और मजबूत करना चाहेंगे. वहीं, कमलनाथ इस बात के लिए जोर लगाएंगे कि उपचुनाव में कांग्रेस इतनी संख्या में विधायकों को जिता ले कि एक बार फिर सियासी उठापटक की सूरत बन जाए.
जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से 27 पर पहले कांग्रेस का कब्जा था
राज्य की जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से 27 पर पहले कांग्रेस का कब्जा था. प्रदेश में 230 सदस्यीय राज्य विस में बहुमत के लिए 116 सीटें होना जरूरी हैं. अगर भाजपा उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसकी सरकार और स्थिर होगी. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस की कोशिश है कि वह 20 या उससे ज्यादा सीटें जीत ले, जिससे की एक बार फिर प्रदेश में सत्ता पलट सकती है.
उपचुनाव के ऐलान पर कमलनाथ का बयान
उपचुनाव के ऐलान पर कमलनाथ ने कहा है कि चुनाव आयोग द्वारा मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर 3 नवंबर को उपचुनाव की घोषणा का स्वागत. कांग्रेस इन उपचुनावों को लेकर पूरी तरह से तैयार है. हमने अभी तक 24 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिये है, शेष नाम भी हम शीघ्र घोषित करेंगे. कांग्रेस का परचम इन सीटों पर निश्चित लहरायेगा और हम भाजपा को इन सीटों पर परास्त करेंगे. यह उप चुनाव जनादेश का अपमान, संवैधानिक मूल्यों व लोकतंत्र की हत्या करने वालों को कड़े जवाब के रूप में होगा. कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश की जनता एक लोकप्रिय, चुनी हुई, विकास की सोच वाली सरकार को सौदा कर गिराने वालों को इन चुनावों में कड़ा जवाब देगी.
 
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