बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. ग्वालियर हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को नोटिस जारी किया है.
साथ ही चुनाव आयोग से भी जवाब मांगा है. डॉ गोविंद सिंह का आरोप है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा नामांकन के दौरान जानकारी छिपाई है. इसी याचिका पर 27 अगस्त को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें नोटिस जारी किया है. दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी में शामिल होने के कुछ दिनों बाद जब राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया था, तब भी कांग्रेस ने इसे लेकर विधानसभा सचिवालय में शिकायत की थी.
लेकिन उस वक्त इसे खारिज कर दिया गया था. लाहेर से विधायक और पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने चुनावी हलफनामे में आपराधिक मुकदमे की जानकारी छिपाने का आरोप ज्योतिरादित्य सिंधिया पर लगाया है. साथ ही कोर्ट से निर्वाचन रद्द करने की मांग की है. गोविंद सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इस मामले में ज्योतिरादित्य सिंधिया से 4 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.
कोर्ट ने इसके साथ ही चुनाव आयोग को भी नोटिस दिया है. ऐसे में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. एडवोकेट कुबेर बौद्ध ने बताया कि याचिका में पूर्व मंत्री और लहार से विधायक डॉ गोविंद सिंह ने राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ याचिका दायर की है. याचिका में ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्यसभा सदस्यता के निर्वाचन को रद्द करने की मांग की है.
एडवोकेट बौद्ध ने बताया कि याचिका में डॉ गोविंद सिंह ने कहा है कि राज्यसभा सांसद के लिए उम्मीदवार के रूप में जो शपथपत्र सिंधिया ने विधानसभा में दिया था, उसमें आपराधिक जानकारी छुपाई गई है. याचिका में कहा है कि साल 2018 में भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. दरअसल, कांग्रेस का आरोप है कि 2018 में भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में कमलनााथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया इस केस के बारे में सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया था. लेकिन अब वह कांग्रेस में नहीं हैं और बीजेपी के सांसद हैं. गोविंद सिंह का आरोप है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस केस के बारे में चुनाव के दौरान जानकारी नहीं दी है.
इसके अलावा आपको बता दे कि राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब से कांग्रेस का हाथ छोड़ा है. तब से विपक्षी पार्टी उनपर हमलावर है. अब उपचुनाव की सुगबुगाहट के बाद ये हमले और तेज हो गए हैं. कांग्रेस सिंधिया को भू माफिया साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. पार्टी नेता के के मिश्रा ने आरोप लगाया कि सिंधिया केवल जमीन के सिलसिले में कमलनाथ से मिलते थे.
दरअसल, तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा सिंधिया एजुकेशन सोसाइटी को 146 एकड़ भूमि 99 साल के लिए 100 रुपये टोकन मनी पर लीज पर दिए जाने को लेकर कांग्रेस नेता के के मिश्रा ने सिंधिया को अपने निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि सिंधिया जब भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलते थे तो उनके पास ग्वालियर या इस अंचल से जुड़े कोई विकास कार्य का मुद्दा नहीं होता था. केवल सिंधिया ट्रस्ट के नाम जमीन नामांतरण और अपने पसंदीदा अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का मसला ही होता था.
उन्होंने कहा कि जब पूर्व मंत्री कमलनाथ ने सिंधिया के जमीन नामांतरण के कार्यों को करना बंद कर दिया तो वह अपने 22 विधायकों के साथ पार्टी से अलग हो गए. गौरतलब है कि ग्वालियर के रहने वाले युवक ऋषभ भदौरिया ने 22 सरकारी सर्वे नंबर को स्थानीय प्रशासन के साथ साठगांठ करके सिंधिया ट्रस्ट के नाम कराए जाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में एक पीआईएल भी दायर की है जिसको लेकर हाई कोर्ट ने ग्वालियर में संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर दस्तावेज भी तलब किए हैं.
बताया जाता है कि दिसंबर 2019 में कैबिनेट की बैठक में सिंधिया एजुकेशन सोसाइटी को 146 एकड़ जमीन लीज पर दिए जाने का प्रस्ताव मंजूर हुआ था और फरवरी में इस जमीन को लीज पर दिए जाने के आदेश भी जारी हो चुके थे. इस जमीन की वास्तविक कीमत 200 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है.
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