प्रमोद स्वामी. खाटूश्यामजी. .श्याम नगरी से करीब नौ किमी दक्षिण में मुख्य सड़क मार्ग पर बसा हुआ है जालुंड गांव। गांव के रघुवीर सिंह शेखावत व जोधराज शर्मा ने बताया कि यह गांव लगभग 450 साल पहले जालू बाबा की ढाणी के नाम से जाना जाता था। तत्कालीन समय में अजीत सिंह खंडेला के पौत्र व राजा सावंत सिंह के पुत्र देवी सिंह ने डांसरोली से यहां आकर जालुंड गांव की स्थापना की। इनको 18000 बीघा की जागीर प्रदान की गई थी। व्यवसायी विक्रम सिंह व रतन बणसिया ने बताया कि करीब दो हजार की आबादी वाला यह गांव पहले मुख्य सड़क मार्ग से पश्चिम में बसा हुआ था। अब पूरे गांव की आबादी सड़क के दोनों तरफ बस गई है। यह गांव पहले दांतारामगढ पंचायत समिति की खोरा ग्राम पंचायत के में शामिल था। वर्तमान परिसिमन में नवसर्जित ग्राम पंचायत मगनपुरा में जोड़ दिया गया। गांव को मिली पहचान जितेंद्र सिंह शेखावत, सोहन वर्मा व विनोद वर्मा, दयालचंद ने बताया कि गांव के कई युवा राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर खेलों में गांव का नाम रोशन कर रहे हैं। हाल ही में गांव की बेटी ममता वर्मा पुत्री प्रभुदयाल अंतराष्ट्रीय स्तर पर जूनियर फुटबॉल टीम में नेतृत्व कर रही है। वह रूस में होने वाली फुटबॉल प्रतियोगिता में देश की ओर से खेलेगी। गांव में कई व्यक्ति सिविल एवं डिफेंस में उच्च पदों पर आसीन रहे हैं। वर्तमान में भी कई लोग उच्च एवं महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं। समस्याएं…गांव में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, सतत शिक्षा केंद्र, डाकघर, सहकारी समिति एवं गोशाला भी है। गांव में मुख्य रूप में पेयजल की काफी समस्या है। गांव के लगभग दो-तिहाई परिवार टैंकरों से पानी मंगवा रहे हैं। सरकारी ट्यूबवेल से पेयजल की आपूर्ति बिल्कुल बंद है। विधायक ने बड़ी टंकी निर्माण के लिए वादा किया था। टंकी का निर्माण हो जाए तो पेयजल संकट दूर हो सके। उच्च प्राथमिक विद्यालय को क्रमोन्नत करने की आवश्यकता है। इससे गांव के छात्र – छात्राओं को पढ़ाई के लिए अन्यत्र नहीं जाना पड़ेगा। धार्मिक पहचान गांव में कई धार्मिक स्थल भी है। इनमें सती माता धनु कंवर का मंदिर, विशन सिंह जी व भोमिया जी की प्राचीन बुर्ज, प्राचीन रघुनाथ जी का मंदिर, गणेश जी का मंदिर, राधा कृष्ण धाम, बाबा रामदेव मंदिर आदि प्रमुख हैं। इनमें आसपास के लोगों की काफी आस्था है।
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